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इन भारतीयों या भारतीय मूल के लोगों के भरोसे हो रहे हैं बड़े-बड़े काम

आज बात होगी उन चुनिंदा लोगों की जिन्होंने देश-दुनिया में अपनी अलग धाक जमाई है.

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हम आपको बताएंगे ऐसे 10 लोगों के बारे में जो देश-दुनिया में बड़ा नाम कमा रहे हैं, वहां की व्यवस्था चला रहे हैं. (तस्वीरें- इंडिया टुडे)

आज बात होगी उन चुनिंदा लोगों की जिन्होंने देश-दुनिया में अपनी अलग धाक जमाई है. हम आपको बताएंगे ऐसे 10 लोगों के बारे में जो देश की व्यवस्था चला रहे हैं. साथ ही 10 ऐसे लोग भी जो भारतीय मूल के हैं और दुनिया भर में भारत का नाम बढ़ा रहे हैं. शुरुआत उन लोगों से जो देश चला रहे हैं.

1. जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़

भारत के मुख्य न्यायाधीश. जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठों की कार्यवाहियों की लाइव स्ट्रीमिंग करवाई. सरकार समेत कई हल्कों से कड़े विरोध का सामना करते हुए भी भारत में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने सरीखे संवेदनशील मुद्दों पर लगातार सुनवाई की. फिर राज्यपालों को राजनैतिक क्षेत्र में दखल के खिलाफ सीधी चेतावनी दी. अलग-अलग मौकों पर जस्टिस धनंजय ने दिखाया कि जरूरत पड़ने पर वे साहसी फैसले लेने से कतराते नहीं. फिर चाहे वो सरकार की ओर से दिए जाने वाले सीलबंद लिफाफों पर उनकी टिप्पणी हो या फिर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का मसला हो. जस्टिस धनंजय के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ भी भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. और जस्टिस धनंजय अपने पिता के फैसलों को पलटने की वजह से भी चर्चा में रह चुके हैं. जस्टिस धनंजय की मां प्रभा चंद्रचूड़ ऑल इंडिया रेडियो के लिए गाना गाती थी और अपने युवावस्था में धनंजय भी रेडियो जॉकी के रूप काम कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट से बाहर भी जस्टिस चंद्रचूड़ अपनी टिप्पणियों को लेकर चर्चा में बने रहे हैं. वो लोकतंत्र, असहमति और फ्री स्पीच को बचाने की वकालत करते रहे हैं. कई कार्यक्रमों में उन्होंने ऐसा कहा है. फरवरी 2020 में जस्टिस चंद्रचूड़ ने अहमदाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान लाइन कही थी- असहमति लोकतंत्र का एक 'सेफ्टी वॉल्व' है. उन्होंने कहा था कि असहमति को एक सिरे से राष्ट्र-विरोधी और लोकतंत्र-विरोधी करार देना संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण के खिलाफ है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल 2 साल तक का है. नवंबर 2024 तक वे इस पद पर रहेंगे. और ये हाल के वर्षों में सबसे ज्यादा समय तक इस पद पर रहने वाले न्यायाधीशों में से एक होंगे. चीफ जस्टिस बनने से पहले भी उनके फैसलों की खूब चर्चा रही है. निजता के अधिकार, सबरीमाला मंदिर, समलैंगिकता को लेकर फैसलों में अपनी टिप्पणियों को लेकर जस्टिस चंद्रचूड़ हमेशा से सुर्खियों में रहे हैं. इधर मैरिटल रेप, समलैंगिक विवाह और देशद्रोह कानून की वैधता जैसे मामलों पर देश में लंबे समय से बहस चल रही है. जस्टिस चंद्रचूड़ से ऐसे मसलों पर महत्वपूर्ण फैसले की उम्मीदें हैं.

2. प्रमोद कुमार मिश्र
1972 बैच के गुजरात कैडर के IAS. पीके मिश्र नाम से जाने जाने वाले प्रमोद कुमार मिश्र को इस सरकार में सबसे ताकतवर ब्यूरोक्रेट माना जाता है. प्रमोद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव हैं. उनके सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से एक. महत्वपूर्ण सुधारों और सरकारी नियुक्तियों से लेकर प्रमुख नीतियां लागू करने तक में मिश्र सरकार के लिए खासी अहमियत रखते हैं. एक तरीके से फाइनल फिल्टर. क्योंकि प्रधानमंत्री के पास जाने वाली फाइलों को आखिरी बार वही देखते हैं. कई बार महत्वपूर्ण पदों पर बैठे नेताओ, ब्यूरोक्रेट्स, टेक्नोक्रेट्स की नियुक्ति के मामलों की फाइलें भी उनकी टेबल से गुजरने के बाद ही प्रधानमंत्री के पास पहुंचती है. मोदी सरकार के सबसे बड़े सुधारों में से एक को लागू करने की राह पीके मिश्र ने ही खोली. इसमें योग्यता के साथ वरिष्ठता, यानी सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति के चयन पर विचार करने के अलावा बाबुओं की कार्यकुशलता को बढ़ाना नौकरशाही की बाधाएं दूर करने की प्रतिबद्धता भी शामिल है. मिश्रा को आपदा प्रबंधन में माहिर माना जाता है. 2001 में भुज भूकंप के बाद के हालात से निपटने के लिए 2003 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र की ओर से पुरस्कार भी मिल चुका है. तब वे गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सीईओ हुआ करते थे.

3. अजित डोभाल (भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार)

अजित डोभाल पिछले 10 साल से भारत के सुरक्षा और रणनीतिक मामलों को संभाल रहे हैं, जो कि संभवतः देश के किसी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का सबसे लंबा कार्यकाल है. डोभाल के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फरवरी में असामान्य रूप से उनकी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक बैठक हुई. और इस दौरान उन्होंने यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों को लेकर भारत का रुख साझा किया. यह मुलाकात इस लिहाज से दुर्लभ मानी जा रही है क्योंकि पुतिन आम तौर पर केवल राष्ट्राध्यक्षों के साथ ही बैठक करते हैं. इसके अलावा डोभाल वाशिंगटन डीसी में कई हाई लेवल मीटिंग्स का हिस्सा रह चुके हैं और और इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल ऐंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (ICET) की पहली बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व भी कर चुके हैं. साथ ही डोभाल अमेरिका, UAE और सऊदी अरब में अपने समकक्षों के साथ प्रस्तावित साझा रेल परियोजना को आगे बढ़ाने पर बातचीत कर रहे हैं. यह परियोजना समुद्री बंदरगाहों के माध्यम से भारत को न केवल खाड़ी और अरब देशों से जोड़ेगी बल्कि बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के जरिए अपनी पैठ बनाने के चीन के प्रयासों का मुकाबला भी करेगी.

4. शक्तिकांत दास (गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक)

दो बड़े संकटों रूस-यूक्रेन युद्ध और कोविड-19 महामारी के दौरान रिजर्व बैंक की कमान शक्तिकांत दास के ही हाथ रही. इस दौरान कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मंदी के कगार पर पहुंच गईं. लेकिन शक्तिकांत दास ने बढ़ती महंगाई और गिरते रुपए की चुनौतियों का डटकर सामना किया. भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने बढ़ती महंगाई पर लगाम कसे रखी. इस प्रक्रिया में रिजर्व बैंक ने मई 2021 के बाद मुद्रास्फीति को 6 फीसद की शुरू की ऊपरी सीमा के करीब बनाए रखने के लिए ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी जारी रखी. इस कठिन समय में भी शक्तिकांत दास, भारतीय बैंकिंग सेक्टर को लचीला और खुद को समर्थ बनाए रखने के प्रति आश्वस्त करने वाली एक आवाज बने.

5. राजीव गौबा (कैबिनेट सेक्रेटरी)

बड़ी नीतियों और सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों की प्लानिंग और उनके एग्जीक्यूशन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े सिपहसालार.  जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के कार्यान्वन और अनुच्छेद 370 निरस्त करने में राजीव गौबा की भूमिका काफी महत्वपूर्ण थी. गौबा इस समय देश के सबसे अनुभवी सेवारत ब्यूरोक्रेट हैं. वे ब्यूरोक्रेट्स को ट्रेन करने और उनकी स्किल्स को बढ़ाने के कार्यक्रम मिशन कर्मयोगी में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. राजीव गौबा ने अगस्त 2019 में पद संभाला था और अब तक उन्हें दो सेवा विस्तार मिल चुका है. विस्तार के बाद उनका कार्यकाल अगस्त 2023 तक का है. लेकिन माना जा रहा है कि उन्हें एक और विस्तार मिल सकता है और आगामी लोकसभा चुनाव तक वे इस पद पर बने रह सकते हैं.

6. अजय कुमार भल्ला (केंद्रीय गृह सचिव)
1984 बैच के असम-मेघालय काडर के IAS. अजय भल्ला 2019 से गृह सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर हैं. उन्हें तीन बाद सेवा विस्तार दिया जा चुका है. इसकी वजह ये है कि जब बात जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति का जायजा लेने या पूर्वोत्तर राज्यों में विद्रोही समूहों से संवाद की आती है, भल्ला मोदी सरकार के महत्वपूर्ण व्यक्ति होते हैं. गृह सचिव के रूप में भल्ला ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) सरीखे प्रमुख और विवादास्पद कानूनों के पारित होने और राम मंदिर ट्रस्ट की स्थापना तथा कोविड- 19 प्रबंधन के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने की प्रक्रिया की देखरेख की. भल्ला, पंजाब में अमृतपाल सिंह के मामले से बने हालात पर बारीकी से नजर बनाए हुए थे. ब्रिटेन की अपनी हाल की यात्रा में भल्ला ने विशेष रूप से ब्रिटेन में शरण हासिल करने वाले खालिस्तान समर्थकों की ओर से भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिए जाने को लेकर भारत की चिंताओं से अवगत कराया

7. संजय कुमार मिश्रा (निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय)

IRS अधिकारी एसके मिश्र केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रमुख हैं. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट के सभी प्रावधान बरकरार रखे जाने के साथ ही एजेंसी को असीमित शक्तियां मिल चुकी हैं और हाल के कुछ सालों में ये एक नई तरह की सीबीआई बनकर उभरी है. जिसने देश के कुछ सबसे हाइ प्रोफाइल मामलों की जांच का जिम्मा संभाल रखा है. और इस दौरान ED एक ऐसी एजेंसी के तौर पर उभरी है जो राजनैतिक हवाओं का रुख बदल सकती है. विपक्षी दलों का दावा है कि ED जांच के डर से कई लोगों ने या तो केंद्र में सत्तासीन भाजपा से हाथ मिला लिया है या उसकी सदस्यता ग्रहण कर ली है. राजनीति में मिश्र को पसंद और नापसंद करने वाले, दोनों तरह के लोग हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि वे किस पाले में खड़े हैं. मिश्रा अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद तीन बार विस्तार पा चुके हैं. उनके पहले सेवा विस्तार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस पर सरकार ने पहले अध्यादेश और बाद में संसद में विधेयक लाकर ईडी और सीबीआइ निदेशकों को सशर्त पांच साल का कार्यकाल देने का प्रावधान कर दिया.

8. अमिताभ कांत (भारत के जी 20 शेरपा)

नीति आयोग के सीईओ के रूप में छह साल की सेवा के बाद जुलाई 2022 में अमिताभ कांत को जी20 का शेरपा चुना गया, जब जी20 की अध्यक्षता भारत के पास है. जी20 नेताओं के बीच आपसी बातचीत और आम सहमति बनाने की जिम्मेदारी अमिताभ कांत के ही कंधों पर है. अमिताभ कांत मेक इन इंडिया, आकांक्षी जिला कार्यक्रम, स्टार्ट अप इंडिया और एसेट मॉनेटाइजेशन प्रोग्राम सहित मोदी शासन में कुछ प्रमुख सुधारों के सूत्रधार रहे हैं. और फिलहाल वे अलग-अलग मंचों पर जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और फ्रंटियर टेक्नोलॉजी जैसे मुद्दों की वकालत कर रहे हैं.  

9. प्रवीण सूद (डायरेक्टर, CBI)

बीते दिन यानी 25 मई को ही सीनियर IPS प्रवीण सूद ने CBI डायरेक्टर का पद संभाला. सूद दो साल तक इस पद पर रहेंगे. 1986 बैच के कर्नाटक कैडर के IPS इससे पहले कर्नाटक पुलिस के डीजी थे. प्रवीण सूद इस साल मार्च में भी सुर्खियों में आए थे, जब कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने सूद को “BJP का एजेंट” बताया था. शिवकुमार ने प्रवीण सूद को 'नालायक' कहते हुए आरोप लगाया था कि वो BJP के कहने पर कांग्रेस नेताओं के खिलाफ केस दर्ज कर रहे हैं. हालांकि चुनाव परिणाम आने के ठीक बाद ही सूद की नियुक्ति CBI डायरेक्टर के तौर पर हो गई. सूद देश की उस शीर्ष जांच एजेंसी के प्रमुख हैं जो कई हाई-प्रोफाइल मामलों की पड़ताल कर रही है. और ये जांच एजेंसी भी राजनैतिक सत्ता संतुलन को बदलने की क्षमता रखती है.

10. माधवी पुरी बुच (अध्यक्ष, सेबी)

माधवी ने मार्च 2022 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष का पद संभाला. वे इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला थीं. पद संभालने के बाद उन्होंने नियामक को और अधिक विकासपरक और सुविधाजनक बनाने की पहल की. उन्होंने सभी विभागों के सेबी स्टाफ को पूरी सक्रियता के साथ उद्योग तथा बाजार के भागीदारों से जोड़ा और उनकी प्रतिक्रिया जानी. इसका इस्तेमाल उन्होंने नीतियों को बेहतर बनाने में किया. उन्होंने पुराने कानूनों में जरूरी बदलाव किए. चाहे बात शेयर बाइबैक की हो या फिर म्यूचुअल फंड ट्रस्टीज के भूमिका की या निवेशकों के लिए शिकायत निवारण तंत्र बनाने की. माधवी का मानना है कि टेक्नोलॉजी, अनुपालन, लागत में कमी और नियंत्रण जैसे मामलों में बाजार की मददगार हो सकती है. साथ ही सेटलमेंट के मामले में दुनिया के सबसे तेज बाजारों में से एक के तौर पर भारतीय शेयर बाजारों के बदलाव पर नजर रख सकती है. 

हमने आपको उन अफ़सरों के बारे में तो बता दिया, जो देश के कामकाज का पहिया हैं. अब आपको भारत से निकले 10 "ग्लोबल सिटीज़न" भी बता दिए जाएं. असल में जब हम लोग जियो क्रांति की आंधी को ख़र्च कर रहे थे, तब दुनिया ग्लोबल विलेज बन गई और इसमें हर देश का हिस्सा हो गया. अनुमानों की कहें, तो इसी साल भारत दुनिया भर का सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश बनने वाला है. और इधर हमने इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और जीएलसी यानी ग्रेटर लंदन काउंसिल की कमान देसियों के हाथों में होने के मीम्स भी देखे. और ख़ाली सत्ता या राजनीति क्यों, इस फ़ेहरिस्त में अकादमिक जगत, वित्तीय-औद्योगिक क्षेत्र, हॉलीवुड और सिलिकॉन वैली के गढ़ों के लोग हैं, जो दुनिया भर में भारत के परचम-बरदार हैं.

पिछले सेगमेंट में हम दस से एक गए थे, इस बार कोई ऑर्डर नहीं हैं. सब अपने फ़ील्ड्स के धुरंधर हैं. बिस्मिल्लाह करते हैं.

1. ऋषि सुनक (ब्रिटेन के प्रधानमंत्री)

लाव-लश्कर समेत बोलते हैं: दो सदियों में ब्रिटेन के सबसे युवा और भारतीय मूल के पहले प्रधानमंत्री ऋषि सुनक. एक ब्रिटिश राजनेता, जो पहले बोरिस जॉनसन के तहत दो कैबिनेट पदों पर रहा और अक्टूबर 2022 से कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता और UK का PM है. जन्म हैमशायर के साउथेम्प्टन शहर में हुआ. मां-बाप भारतीय मूल के थे; जो 1960 के दशक में पूर्वी अफ्रीका से ब्रिटेन में आकर बस गए थे. सुनक ने विनचेस्टर और लिंकन कॉलेज, ऑक्सफोर्ड से दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की. फिर कैलिफोर्निया में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से MBA कर लिया. आप सीवी देख रहे हैं! 

राजनीति में घुसे ऑक्सफ़ोर्ड में पढ़ने के दौरान ही. तभी से कंज़र्वेटिव पार्टी के मेंबर हैं. फिर गोल्डमैन सैश जैसी बड़ी इनवेस्टमेंट कंपनियों में काम किया. राजनीति एक पैरेलल पटरी पर चल रही थी. फिर 2015 से रिचमंड (यॉर्क) से सांसद चुन लिए गए. BREXIT के समर्थक थे. बोरिस जॉनसन ने प्रमोट किया. कैबिनेट में चांसलर बनाया. ऋषि का क़द बढ़ा. पार्टी में भी, लोक में भी. पार्टी-गेट स्कैंडल के बाद उन्होंने बीते साल जुलाई से सितंबर के कंज़र्वेटिव पार्टी नेतृत्व चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया. लेकिन लिज़ ट्रस से हार गए. मगर लिज़ ट्रस ज़्यादा समय सरकार नहीं चला पाईं. लिज़ ट्रस की भारी टैक्स कटौतियों से पैदा हुई दहशत, आसमान छूती महंगाई और नर्सों, शिक्षकों और दूसरी हड़तालों को लामबंद किया और दूसरी बारी में भाला फेंक दिया. अब तक के उनके कार्यकाल की बड़े कामों में

  - ईयू के साथ नया ब्रेग्जिट समझौता

  - औकस रक्षा समझौते को अंतिम रूप देना

  -  ऊर्जा सुरक्षा पर काम

  -  और अपराध और पुलिस व्यवस्थाओं में कड़ाई शुमार है. ब्रितानियों की राजनीति बूझने वाले कहते हैं, कि उन्होंने कुछ इबारत लिखनी तो शुरू की, बाक़ी वक़्त के हवाले.

2. कमला हैरिस (वाइस प्रेसिडेंट चुनी जाने वाली पहली महिला)
पहली अफ्ऱीकी-अमेरिकी और पहली एशियाई-अमेरिकी वाइस प्रेसिडेंट. कैलिफोर्निया राज्य के ओकलैंड में पैदा हुईं. सीवी तक तो बाद में जाएंगे. एक्टिविस्ट माता-पिता के घर जन्मीं, 13 साल की उम्र में ही कमला ने अपना पहला प्रदर्शन कर दिया था. अपने घर के सामने, क्योंकि बच्चों को सामने वाले लॉन में खेलने नहीं दिया जाता था. सो वो अड़ गईं और बाद में वो नियम बदलना ही पड़ा. कमला ने हावर्ड और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया. अपना करियर शुरू किया ज़िला अटॉर्नी के रूप में. तरक्की मिलती गई और 2003 में वो सैन फ्रांसिस्को की अटॉर्नी चुन ली गईं. फिर कमला ने 2016 के सीनेट चुनाव में लोरेटा सांचेज़ को हराया और अमेरिकी सीनेट में काम करने वाली पहली एशियाई अमेरिकी और दूसरी अफ्रीकी-अमेरिकी महिला के तौर पर अपना नाम पक्का कर लिया. 2017 से 2021 तक कैलिफोर्निया की जूनियर सेनेटर रहीं, फिर 2020 डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने की मंशा ज़ाहिर की. बाद में नाम वापस ले लिया. मगर जो बाइडेन ने उन्हें अपने रनिंग मेट चुना. और उन दोनों ने राष्ट्रपति ट्रंप और उपाध्यक्ष माइक पेंस की जोड़ी को हरा दिया. बाइडेन सरकार में हैरिस बहुत अहम हैं.

चाहे वो हर सियासी मुद्दे पर डेमोक्रेटिक पार्टी की जिरह करनी हो, महिलाओं के अबॉर्शन पर अधिकारों के लिए राय रखनी हो, या अमेरिकी विदेश नीति की रूपरेखा तय करनी हो या अश्वेत महिला वोटर्स के अवरोध तोड़ने वाले आदर्श के तौर पर. विशेषज्ञ कमला हैरिस में राष्ट्रपति पद का भावी उम्मीदवार देखते हैं.

बहुत हुआ सियासत का खेल, अब ट्रैक बदलते हैं. 
3. लिस्ट में तीसरा नंबर है सत्या नडेला का, ये ओरिजनल भारतीय हैं कहने का मतलब, ये ख़ुद भारत में जन्में हैं. आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में. मां संस्कृत की स्कॉलर थीं और पिता IAS अधिकारी. अभी क्या करते हैं? सब जानते हैं. माइक्रोसॉफ्ट के एग्ज़ीक्यूटिव चेयरमैन और CEO हैं. लेकिन अब सर्किट में इनका नाम बदल गया है. अब इन्हें AI ब्रिगेड के अगुआ माना जाने लगा है. नडेला और माइक्रोसॉफ्ट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित प्रोडक्ट्स के डेवलेपमेंट में आगे बढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.  मिसाल के तौर पर, माइक्रोसॉफ़्ट ने ChatGPT विकसित करने वाली लैब OpenAI में क़रीब 13 अरब डॉलर निवेश किए हैं. बिल गेट्स और स्टीव बालमर के बाद CEO बने सत्य नडेला, माइक्रोसॉफ़्ट को मजबूत मुकाम पर ले आए हैं. मीडिया रपटों के मुताबिक़, नडेला का सालाना वेतन पैकेज - स्टॉक और नकद मिलाकर - 5 करोड़ डॉलर के आसपास था. यानी कंपनी और अपनी, ख़ूब तरक्की. पैसा ही पैसा. जनवरी 2022 में नडेला को व्यापार और उद्योग श्रेणी में भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण दिया गया.  इससे पहले 2019 में फाइनेंशियल टाइम्स के पर्सन ऑफ द ईयर और फॉर्च्यून के बिजनेस पर्सन ऑफ द ईयर के रूप में सराहना की गई.

4. अगला नाम भी एक टेक जायंट का ही है. गूगल के CEO सुंदर पिचाई. गूगल के बारे में बताना या लिखना, बेमानी है. इससे अच्छा, तो हम गूगल के AI गूगल बार्ड से ही लिखवा लें, जिसे 11 मई को भारत में लॉन्च किया गया. फिर तो गूगल से बेहतर है कि हम गूगल बार्ड से ही सुंदर पिचाई के बारे में ही लिखवा लें. सो हमने वही किया. और, गूगल बार्ड के बकौल - सुंदर पिचाई का जन्म 1972 में हुआ था. IIT खड़गपुर में इंजीनियरिंग की. फिर अमेरिका चले गए. स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से मेटेरियल साइंस और इंजीनियरिंग में मास्टर्स किया और 2004 में पिचाई ने Google जॉइन किया. एक के बाद एक कई तरह के नेतृत्व पदों पर रहे. 2015 में, पिचाई को Google का CEO बनाया गया और 2019 में गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट का. पिचाई विविधता के भरसक पक्षधर हैं. उन्होंने भेदभाव के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और Google को अधिक समावेशी वर्कप्लेस बनाया. ऐसा उनका AI कह रहा है. पिचाई IT सेक्टर में पर्वत हैं. 2020 में ही टाइम मैगज़ीन ने उन्हें दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में नामित किया गया है और उन्हें भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है. पिचाई इस व्यवसाय में सबसे अधिक वेतन पाने वाले अधिकारियों में से एक हैं, साल 2022 में उनका वार्षिक वेतन 22.6 करोड़ डॉलर से अधिक था. माने पद भी है और पैसा भी. और सुंदर, पक्के भारतीय हैं. क्योंकि 2022 में पद्मभूषण सम्मान लेते हुए पिचाई ने कहा था, "भारत मेरा एक हिस्सा है. मैं जहां भी जाता हूं, भारत को अपने साथ लेकर जाता हूं."

5. अगली नंबर नंबरों की दुनिया से ही है. अर्थ की दुनिया से. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष या IMF की फ़र्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर, कोलकाता में जन्मीं. गीता गोपीनाथ फ़र्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनने से पहले 2019 और 2022 के बीच गीता, IMF की मुख्य अर्थशास्त्री थीं. और उससे भी पहले, उनका एक अकादमिक के रूप में दो दशक लंबा करियर था. बहुत समय तक हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर थीं. फिर IMF में आने के बाद तो उन्होंने काफी तारीफें बटोरी ही हैं. ख़ासकर कोरोना के दौर में. गीता गोपीनाथ ने महामारी को ख़त्म करने के व्यावहारिक प्रस्ताव दिए. इसमें दुनिया की 60 फ़ीसद आबादी को एक तय समय तक वैक्सिनेट करना, जोख़िमों पर नज़र रखना, व्यापक जांच पक्का करना. ये काम किए. अब IMF डायरेक्टर के तौर पर वो बहुपक्षीय मंचों पर IMF का प्रतिनिधित्व करती हैं,

- सरकारों और बोर्ड सदस्यों के साथ उच्चस्तरीय संपर्क रखती हैं

- साथ ही फंड निगरानी और इससे संबंधित नीतियों का नेतृत्व करती हैं

बाक़ी जियो-पॉलिटिक्स हो, मंहगाई के जोख़िम या केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतियों में दरारें, IMF के उच्चतम अफ़सर का मत वज़न तो रखता ही है.

6. अर्थ की बात चल रही है, तो इसी पर एक और नाम बता देते हैं. अजयपाल सिंह बंगा वर्ल्ड बैंक के 14वें अध्यक्ष. जन्मे कहां? पुणे में. परिवार वाले जालंधर से हैं. पिता आर्मी में थे. दिल्ली के सेंट स्टीफ़न से इकोनॉमिक्स में ग्रैजुएशन किया. फिर IIM अहमदाबाद से MBA कर लिया. भारतीय मूल के इस अमेरिकी बिज़नेस एग्ज़ीक्यूटिव ने कई बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम किया. और केवल काम नहीं किया. ज़रूरी पद भी संभाले. जैसे मास्टरकार्ड के कार्यकारी अध्यक्ष थे. साथ ही भारत में निवेश करने वाली 300 से ज़्यादा बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली US-इंडिया बिजनेस काउंसिल के अध्यक्ष और इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष भी रहे हैं. अभी इन्वेस्टमेंट जायंट जनरल अटलांटिक में वाइस चेयरमैन हैं. इसी साल की फरवरी में जो बाइडन सरकार ने उन्हें वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष पद के लिए नामित किया गया और 3 मई को उन्हें अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया.
उनकी नियुक्ती इसलिए भी चर्चा में आई क्योंकि उन्हें 'जलवायु परिवर्तन को नकारने' के आरोपी ट्रंप के हाथों मनोनीत पूर्व विवादास्पद प्रमुख डेविड मल्पास के इस्तीफे के बाद विश्व बैंक का प्रमुख चुना गया. बंगा से उम्मीद तो यही है कि वो जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ लड़ाई में निजी क्षेत्र की शिरकत को बढ़ाएंगे.

7. अगला नंबर है लक्ष्मी मित्तल का चीन से बाहर दुनिया के सबसे बड़े इस्पात निर्माता अर्सेलर मित्तल समूह के चेयरमैन और सबसे बड़े शेयरधारक. राजस्थान में जन्म हुआ, कलकत्त से पढ़ाई की, जा कर बस गए यूके में. इनका राजस्व 2022 में 79.8 अरब डॉलर था. क़रीब 17 अरब पाउंड की संपत्ति के साथ यूके के सबसे अमीर लोगों की संडे टाइम्स 2022 सूची में छठा स्थान हासिल किया. एस्सार स्टील के अधिग्रहण के बाद से ही भारत में आगे बढ़ने के लिए अर्सेलर मित्तल ग्रुप आक्रामक कदम उठाती रही है और अभी हाल में इस साल दिवालिया इंडियन स्टील कॉर्पोरेशन को भी अपने हाथ में लेने की मंजूरी ले ली है.

8. इस लिस्ट में आठवां नंबर है गोपीचंद हिंदुजा का इनका सामान्य परिचय ये है कि ये हिंदुजा ग्रुप के को-चैयरपर्सन हैं. दर्शकों की जानकारी के लिए बता दें कि हिंदुजा ग्रुप का कारोबार ऑटोमोटिव, रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर सरीखे अनेक क्षेत्रों में फैला है. दुनियाभर में कारोबार कर रहे हिंदुजा ग्रुप में करीब 2 लाख लोग काम कर रहे हैं. गोपीचंद हिंदुजा भारतीय मूल के ब्रिटिश व्यवसायी हैं. हिंदुजा समूह की स्थापना साल 1914 में दीपचंद हिंदुजा ने की थी.  कुछ सालों बाद यानी 1919 में दीपचंद ने अपने व्यापार का विस्तार किया और ईरान में पहला अंतरराष्ट्रीय कार्यालय खोला. 1979 तक यह समूह ईरान से चलता रहा. 1979 में ईरान में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद समूह ने अपना हेडक्वार्टर लंदन ट्रांसफर कर दिया. 100 साल से भी ज्यादा पुराना हिंदुजा ग्रुप आज भी ब्रिटेन के टॉप लेवल धनाढ्य औद्योगिक घरानों में शामिल है. बीते दिनों संडे टाइम्स ने गोपीचंद और उनके परिवार को ब्रिटेन के सबसे अमीर और सबसे प्रभावशाली एशियाइयों की लिस्ट में टॉप पर रखा. अगर संपत्ति की बात करें तो गोपीचंद हिंदुजा 30 अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति के मालिक हैं. पिछले कुछ सालों से इस संपत्ति बंटवारे को लेकर हिंदुजा ग्रुप में विवादों की खबरें आती रहीं. पिछले साल सुलह की चर्चा भी हुई लेकिन विवाद पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है.

9. नौंवे नंबर पर हैं ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफिलक्स की ग्लोबल हेड ऑफ टेलीविजन बेला बजारिया. लंदन में जन्मीं बेला के माता-पिता भारतीय मूल के हैं. साल 1991 में मिस इंडिया यूएसए का खिताब जीत चुकीं बेला एंटरटेंनमेंट की दुनिया का जाना-पहचाना नाम हैं. बेला ही तय करती हैं कि नेटफिलक्स का 17 अरब डॉलर का कॉन्टेंट बजट कैसे खर्च हो और उनकी हरी झंडी दिखाई हुई कहानियां कंपनी के 23 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर तक पहुंचती है. साल 2016 में नेटफिलक्स से जुड़ीं बेला बजारिया की अगुवाई में द स्क्विड गेम और लुपिन जैसे शो हिट हुए. जिसके बाद नेटफिलक्स के प्रोग्रामिंग में गौर करने लायक बढ़ोत्तरी हुई.

10. प्रियंका चोपड़ा (एक्ट्रेस) प्रियंका चोपड़ा हॉलीवुड में पैठ बनाने वाली चुनिंदा भारतीयों में से एक हैं. अमेजन प्राइम की बड़े बजट की सीरीज सिटाडेल में दिखने वाली एक्ट्रेस ने अपने रोल साइन करते हुए उन कहानियों पर जोर दिया है जो विविधता और महिला प्रधान कॉन्टेंट को बढ़ावा देती हैं. प्रियंका चोपड़ा का भारत से बाहर प्रभाव लगातार बढ़ा है. उन्होंने इस साल लॉस एंजिलिस में प्री-ऑस्कर बैश का आयोजन किया जिसका लक्ष्य दक्षिण एशियाई प्रतिभा को बढ़ावा देना था. बीते साल वॉशिंगटन में उन्होंने डेमोक्रेटिक नेशनल कमिटी विमेंस लीडरशिप फोरम में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का इंटरव्यू किया था. प्रियंका मनोरंजन की दुनिया में वेतन समानता की मुखर समर्थक हैं. सिटाडेल में अपने पुरुष को-स्टारों के बराबर वेतन हासिल करने के बाद चोपड़ा जोनस ने बेबाकी से कहा कि हिंदी सिनेमा में यह किस तरह काबिल और कामयाब अभिनेत्रियों के लिए पूरा न होने वाला सपना था. 

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