देश के पहले स्वदेशी हेवीवेट टॉरपीडो (Heavy Weight Torpedo) का एक और सफल टेस्ट हुआ है. भारतीय नौसेना ने डिफेंस रिसर्च एंड डेवेलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के बनाए इस टॉरपीडो का टेस्ट किया. DRDO ने कहा कि टॉरपीडो ने पानी के अंदर अपने टारगेट को सटीक तरीके से हिट किया. इंडियन नेवी ने इसे बड़ी सफलता बताया है.
नेवी ने पानी के अंदर चलने वाली मिसाइल को टेस्ट किया, पनडुब्बी वाली लड़ाई में काम आएगी
इस हेवी वेट टॉरपीडो को DRDO ने डिज़ाइन किया है. 95 फीसदी हिस्से स्वदेशी हैं.
भारतीय नौसेना के स्पोक्सपर्सन की तरफ से 6 जून, 2023 को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई.
ट्वीट में लिखा गया,
"स्वदेशी तरीके से विकसित किए गए हैवीवेट टॉरपीडो ने सफलतापूर्वक अपने टारगेट को हिट किया. पानी के अंदर किसी लक्ष्य पर हथियार से सटीक वार करने की दिशा में चल रहे भारतीय नौसेना और DRDO के प्रयासों के लिए ये महत्वपूर्ण मील का पत्थर है."
ट्वीट में ये भी कहा गया कि ये सफलता आत्मनिर्भरता के जरिए भविष्य में युद्ध के लिए हमारी तैयारी और प्रतिबद्धता को दिखाता है.
पानी के अंदर चलने वाली मिसाइलटॉरपीडो, असल में पानी के अंदर या पानी की सतह पर किसी टारगेट को नष्ट करने वाला प्रपल्शन वेपन (मिसाइल) होता है. इनसे पनडुब्बी और जहाज़, दोनों पर निशाना लगाया जा सकता है. टार्गेट अगर अपना रास्ता बदलने लगे, तो आधुनिक टॉरपीडो पीछा करते हुए अपना रास्ता भी बदल सकते हैं. टॉरपीडो दोनों तरह से नुकसान पहुंचा सकता है. ये टार्गेट से टकराकर भी दग सकता है. और उसके करीब जाकर भी. जब टॉरपीडो किसी पनडुब्बी या जहाज़ के करीब दगता है, तो उससे पानी के भीतर एक प्रेशर वेव उठती है, जो बहुत नुकसान पहुंचाती है. ये पानी की धार लोहे को बहुत आसानी से काट सकती है.
अब बात हेवीवेट टॉरपीडो की. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडियन नेवी ने 1187 करोड़ रुपए में 63 हेवीवेट टॉरपीडो का ऑर्डर दिया था. DRDO ने इसे डेवेलप किया. और इसे नाम दिया गया- वरुणास्त्र. 21 नवंबर 2020 को पहला वरुणास्त्र हेवीवेट टॉरपीडो, भारतीय नौसेना को सौंपा गया, जिसे भारत डायनामिक्स लिमिटेड ने बनाया था. अब इसकी सफल टेस्टिंग की गई है.
वरुणास्त्र की कुछ ख़ास बातें जान लेते हैं-
वरुणास्त्र एक अत्याधुनिक एंटी-सबमरीन टॉरपीडो है.
इस हेवीवेट टॉरपीडो का करीब 95 फ़ीसद हिस्सा स्वदेशी है.
इसका वजन 1500 किलोग्राम है. ये 7-8 मीटर लंबा होता है.
वरुणास्त्र टॉरपीडो 40 किलोमीटर की दूरी तक टारगेट को भेद सकता है.
वरुणास्त्र टॉरपीडो पानी के अंदर 600 मीटर गहराई में जाकर टारगेट हिट कर सकता है.
इसकी अधिकतम स्पीड 74km प्रति घंटा है.
इसमें कन्फर्मल एरे ट्रांसड्यूसर लगा है. जिसके चलते ये, बाकी टॉरपीडो से ज्यादा इलाके में निशाने की पहचान कर सकता है.
यह 250 किलोग्राम का वॉरहेड (अगला हिस्सा जिसमें विस्फोटक होता है) ले जा सकता है.
इस टॉरपीडो को शिप और सबमरीन दोनों से लॉन्च किया जा सकता है.
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