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एंटी सबमरीन पोत 'INS कवरत्ती' की खासियत क्या है, जिसे नौसेना में शामिल किया गया

नौसेना में इसके शामिल होने से भारत की ताकत और बढ़ जाएगी.

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एंटी सबमरीन युद्धपोत 'INS कवरत्ती' नौसेना में शामिल हुआ है.
'मेड इन इंडिया' के तौर पर बना एंटी सबमरीन युद्धपोत 'INS कवरत्ती' 22 अक्टूबर को नौसेना में शामिल हो गया. इसका कमीशन सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने विशाखापट्टनम में किया. DND यानी डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन ने कवरत्ती पोत का डिजाइन तैयार किया है. और इसे बनाने का काम कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने किया है. चीन जिस तरह से हिंद महासागर के रास्ते भारत को चारों तरफ से घेरने की कोशिश कर रहा है, इसको ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि 'INS कवरत्ती' के नौसेना में शामिल होने से भारत की ताकत बढ़ेगी. नाम के पीछे की वजह 'INS कवरत्ती' नाम का यह दूसरा जहाज है. इससे पहले साल 1971 में एक युद्धपोत ने तब के पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. उसका नाम भी 'INS कवरत्ती' था. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, उसी के नाम पर इस पोत का नाम 'INS कवरत्ती' रखा गया है. इस पोत को 2003 में लाए गए 'प्रोजेक्ट 28' के तहत बनाया गया है. प्रोजेक्ट के तहत कुल चार एंटी सबमरीन युद्ध पोत बनाए जाने थे. 'INS कवरत्ती' इस प्रोजेक्ट का चौथा यानी अंतिम युद्धपोत है. इससे पहले साल 2014 में 'INS कमरोता', 2016 में 'INS कदमत' और 2017 में 'INS किल्टन' नौसेना में शामिल हो चुके हैं. इसकी खासियत क्या है  # इस एंटी सबमरीन युद्धपोत की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके निर्माण में 90 प्रतिशत भारतीय उपकरण का इस्तेमाल किया गया है. # INS कवरत्ती की लंबाई 109 मीटर और चौड़ाई 12.8 मीटर है. इसका वजन 3250 टन है. इसमें 4B डीजल इंजन लगे हैं. # यह युद्धपोत परमाणु, केमिकल और बायोलॉजिकल लड़ाई की स्थिति में भी काम करेगा. # यह एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और दुश्मन के रडार की पकड़ में नहीं आने वाली स्टील्थ तकनीक से लैस है. # पनडुब्बी-रोधी होने के साथ-साथ यह पोत सेल्फ डिफेंस क्षमता से भी लैस किया गया है. यह लंबी दूरी वाले ऑपरेशन में मददगार होगा. # इसके सुपरस्ट्रक्चर के लिए कार्बन कंपोजिट का उपयोग किया गया है, जो भारतीय पोत निर्माण के इतिहास में बड़ी सफलता मानी जा रही है. इसकी तकनीक के बारे में नौसेना अधिकारियों ने कहा-
"INS कवरत्ती में अत्याधुनिक हथियार प्रणाली है. इसमें ऐसे सेंसर लगे हैं, जो पनडुब्बियों का पता लगाने और उनका पीछा करने में सक्षम हैं."

(यह स्टोरी 'लल्लनटॉप' में इंटर्नशिप कर रहे बृज द्विवेदी ने लिखी है)