The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

ईरान में स्कूल जाने वाली 700 लड़कियों को ज़हर दे दिया, आखिर हो क्या रहा है?

अभी तक ये पता नहीं चला है कि जहर किसने दिया है. लड़कियों के घरवाले विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.

post-main-image
दर्जनों लड़कियों में सांस की समस्या, मतली, चक्कर आना और थकान जैसे लक्षण दिख रहे हैं. (सांकेतिक तस्वीर - AFP)

ईरान में हाल के महीनों में सैकड़ों स्कूली छात्राओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया. उन्हें ज़हर दिया गया था. ज़हर देने का ये पूरा घटनाक्रम बीते साल नवंबर में शुरू हुआ था. BBC में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़, नवंबर से अब तक 700 लड़कियों को ज़हर की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

ईरान के उप स्वास्थ्य मंत्री यूनुस पनाही ने मीडिया को बताया कि कुछ लोगों ने सभी स्कूलों, ख़ासकर लड़कियों के स्कूलों को बंद करने की मांग की थी. ये भी कहा कि ये ज़हर बहुत घातक नहीं है. इससे पीड़ित लोगों का इलाज हो जाता है.

कौन दे रहा है ज़हर?

मामला शुरू हुआ ईरान के क़ोम शहर से. क़ोम, राजधानी तेहरान से लगभग 160 किलोमीटर दक्षिण में है. एक रूढ़िवादी और धार्मिक शहर है, जो ईरान के धर्मशास्त्रीय मदरसों का मरक़ज़ है. पहला मामला 30 नवंबर को सामने आया था. क़ोम में नूर टेक्निकल स्कूल की 18 छात्राओं को ज़हर के कारण अस्पताल ले जाया गया था. इसके बाद भी कई ऐसे मामले लगातार आते रहे. केवल पिछले एक हफ़्ते में ही बोरुजर्द शहर के चार अलग-अलग स्कूलों में कम से कम 194 लड़कियों को भर्ती कराया गया. राजधानी तेहरान के पास पारडीस के ख़य्याम गर्ल्स स्कूल में मंगलवार, 28 फरवरी को 37 छात्राओं को इसी संबंध में अस्पताल ले जाया गया.

इन मामलों में अभी तक किसी की जान जाने की खबर नहीं आई है. लेकिन दर्जनों लड़कियों में सांस की समस्या, मतली, चक्कर आना और थकान जैसे लक्षण दिख रहे हैं. सरकारी समाचार एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, इन पीड़ित बच्चियों के माता-पिता ने अधिकारियों से जवाब मांगा है. 14 फरवरी को पीड़ित बच्चियों के घरवालों ने कई शहरों में प्रदर्शन किया. इसके अलावा कई पैरेंट्स अपनी बच्चियों को स्कूलों से निकाल रहे हैं.

कुछ लोगों का अनुमान है कि ज़हर उन कट्टरपंथियों ने दिया है, जो अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की कॉपी बनाना चाहते हैं. आशंका ये भी जताई जा रही है कि ये नाइजीरिया में इस्लामिक चरमपंथी समूह बोको हरम का काम है, जो हमेशा से लड़कियों को स्कूल भेजने के खिलाफ रहा है.

इस बारे में अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान द गार्डियन ने ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ता मसीह अलीनेजाद से बात की. मसीह ने कहा,

"मेरी राय में ये रासायनिक हमला इस्लामी गणराज्य का उन बहादुर महिलाओं से बदला है, जिन्होंने हिजाब को अस्वीकार कर दिया था."

सरकार क्या कह रही है?

शुरू में अधिकारियों ने मानने से ही इनकार कर दिया था कि ऐसा कुछ हो रहा है. देश के शिक्षा मंत्री ने ख़बरों को 'अफवाह' बताकर ख़ारिज कर दिया था. कह दिया कि ईरान में सर्दियों के चलते कई स्कूलों में नैचुरल गैस भर जाती है और कार्बन मोनो-ऑक्साइड की वजह से लड़कियों को ये दिक़्क़त हो रही है.

इसके कुछ ही समय बाद ये सामने आया कि सिर्फ़ उन स्कूलों में ऐसा हो रहा है, जहां लड़कियां पढ़ती हैं. संदेह होने लगा कि मामला इत्तेफ़ाक़ नहीं है. ईरान के प्रॉज़िक्यूटर-जनरल ने जांच के आदेश दिए. ये कहते हुए कि ये जानबूझकर किया जा रहा है और इसके पीछे कोई है. इसके बाद ईरान के उप-स्वास्थ्य मंत्री यूनुस पनाही ने आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि कर दी. कहा कि लड़कियों को शिक्षा से रोकने के लिए हल्का-ज़हर दिया जा रहा था.

हालांकि, अधिकारियों ने अभी तक किसी भी संदिग्ध का नाम नहीं लिया है.

वीडियो: दुनियादारी: ईरान में एंटी-हिजाब प्रोटेस्ट के बीच लोगों को सबके सामने क्यों मारा जा रहा है?