केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं. राजौरी में चार अक्टूबर को एक जनसभा के दौरान गृह मंत्री ने पहाड़ी समुदाय के लिए आरक्षण की घोषणा की. शाह ने कहा कि पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) कैटगरी के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाएगा. साथ ही इससे गुज्जर और बकरवाल समुदाय को दिया जा रहा आरक्षण प्रभावित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 नहीं हटता तो यहां ट्राइबल रिजर्वेशन नहीं मिलता.
शाह ने कहा कि पीएम मोदी ने आर्टिकल-370 हटाकर आरक्षण का रास्ता साफ कर दिया. राजौरी में जनसभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा,
"(आर्टिकल) 370 हटने के बाद आरक्षण की प्रक्रिया को मंजूरी दी गई. जस्टिस शर्मा (जीडी शर्मा) आयोग ने रिपोर्ट भेजी थी और गुज्जर, बकरवाल और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण की सिफारिश की थी. इन सिफारिशों को मान लिया गया है और कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद बहुत जल्द इसका लाभ दिया जाएगा."
BJP ने किया था वादा
इस आयोग का गठन जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया था. गृह मंत्री ने कहा कि कुछ लोगों ने गुज्जर और बकरवाल समुदाय को भड़काने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हो सके. उन्होंने कहा कि इससे गुज्जर और बकरवाल समुदाय के एसटी कोटे में एक फीसदी की भी कटौती नहीं होगी. पहाड़ी और सभी समुदाय को बराबर का हिस्सा मिलेगा. हाल में ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई थीं कि पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा देने के खिलाफ जम्मू और शोपियां में गुज्जर और बकरवाल समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया था.
समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, सीमावर्ती राजौरी और पुंछ जिले में गुज्जर और बकरवाल समुदाय की आबादी 40 फीसदी है. पहाड़ी समुदाय भी इसी इलाके में रहते हैं लेकिन उनकी आबादी थोड़ी कम है. जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी और डोगरा के बाद गुज्जर और बकरवाल तीसरा सबसे बड़ा सजातीय समुदाय है.
बीजेपी ने पहाड़ी समुदाय को एसटी दर्जा देने का वादा किया था. अप्रैल 1991 से गुज्जर और बकरवाल समुदाय को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में एसटी कैटगरी के तहत 10 फीसदी आरक्षण मिलता रहा है. पहाड़ी समुदाय भी ऐसी ही मांग कर रहा था, जिसका गुज्जर और बकरवाल समुदाय विरोध करते थे.
पहाड़ी समुदाय की आबादी 6 लाख
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर पहाड़ी समुदाय को आरक्षण मिलता है तो यह भारत में किसी भाषाई समुदाय के लिए आरक्षण देने का पहला मामला होगा. इसके लिए केंद्र सरकार को आरक्षण में संशोधन करने की जरूरत होगी. जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी समुदाय की आबादी करीब 6 लाख है, जिनमें 55 फीसदी हिंदू हैं और बाकी मुस्लिम हैं.
अमित शाह ने रैली में विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा और कहा कि आज की ये रैली उन लोगों को जवाब है जो कहते थे कि आर्टिकल-370 हटेगा तो पीर पांजाल में आग लग जाएगी, ये रैली उन लोगों को जवाब है जो कहते थे 370 हटने के बाद खून की नदियां बह जाएंगी. इसके अलावा शाह ने दावा किया कि आजादी (1947) से लेकर 2019 तक पूरे जम्मू-कश्मीर में 15 हजार करोड़ रुपये का औद्योगिक निवेश आया था. वहीं 2019 से अब तक तीन सालों में 56 हजार करोड़ का निवेश आया है.
वीडियो: जम्मू-कश्मीर के बड़े पुलिस अधिकारी का मर्डर, नौकर यासिर पर शक, लाश को जलाने वाला था!