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एक हफ्ते में 98 लोगों की हार्ट अटैक से मौत, यूपी के इस शहर में ऐसा क्यों हो रहा है?

डॉक्टर ने हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों की वजह बताई है.

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कानपुर का हृदय रोग अस्पताल (फोटो- आज तक)

कड़ाके की ठंड के बीच हार्ट अटैक के मामले (Heart attack deaths) भी बढ़ गए हैं. कानपुर के हृदय रोग संस्थान से जो आंकड़े आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं. कानपुर का कार्डियोलॉजी हॉस्पिटल आसपास के जिलों में दिल की बीमारी के इलाज के लिए सबसे बड़ा अस्पताल है. अस्पताल ने बताया है कि पिछले एक हफ्ते (1-7 जनवरी) में हार्ट अटैक से 98 लोगों की मौत हुई है. इनमें से 18 लोग 40 साल से कम उम्र के थे. ध्यान रहे, ये आंकड़ा सिर्फ एक अस्पताल का है. साथ ही जो मौतें रिपोर्ट हो रही हैं वो भी सिर्फ इसी अस्पताल की है. 

इंडिया टुडे से जुड़े सिमर चावला की रिपोर्ट के मुताबिक, कानपुर कार्डियोलॉजी हॉस्पिटल ने बताया कि सिर्फ 7 जनवरी को हार्ट अटैक से 14 लोगों की मौत हुई. इसमें इलाज के दौरान 6 लोगों की जानें गईं. वहीं हार्ट अटैक से पीड़ित 8 लोगों को मृत ही लाया गया था. इसी दिन हार्ट अटैक के कारण 54 मरीजों को भर्ती किया गया.

रिपोर्ट के मुताबिक बीते एक हफ्ते में इमरजेंसी और ओपीडी में कुल 4 हजार 862 मरीज अस्पताल पहुंच चुके हैं. वहीं अस्पताल में कुल दिल से जुड़ी बीमारियों के 604 मरीजों का इलाज जारी है. बढ़ते केस को देखते हुए डॉक्टर बुजुर्ग लोगों को भीषण ठंड में बाहर न निकलने की सलाह दे रहे हैं. बीते एक हफ्ते में जिन 98 लोगों की मौत रिपोर्ट हुई है, उनमें 50 लोग 60 साल से अधिक उम्र के थे.

ठंड में क्यों हो रही ज्यादा मौतें?

कार्डियोलॉजी हॉस्पिटल के डायरेक्टर विनय कृष्णा ने बताया कि इस हृदय रोग संस्थान में आसपास के 18 जिलों से भी मरीज आते हैं. इसलिए सिर्फ ये नहीं कहा जा सकता है कि हार्ट अटैक से जिनकी मौत हुई वे कानपुर के ही थे. उन्होंने कहा कि जान गंवाने वालों में डायबिटीज, ब्लड प्रेशर की बीमारी झेल रहे लोगों की संख्या ज्यादा है.

डॉ विनय के मुताबिक, ज्यादा ठंड की वजह से नसें सिकुड़ जाती हैं. कई लोगों के नसों में कोलेस्ट्रॉल की रुकावट पहले से होती है और फिर सर्दी में नस सिकुड़ती है. अगर ये रुकावट 40 फीसदी थी तो नसों के सिकुड़ने के बाद 60 से 80 फीसदी तक बढ़ जाती है. ठंड में हार्ट अटैक और ब्लड प्रेशर बढ़ने की ये सबसे बड़ी वजह है.

डॉ विनय कृष्णा की सलाह के मुताबिक, 

"जो लोग ब्लड प्रेशर या दिल से जुड़ी बीमारियों की दवा खाते हैं उन्हें खास खयाल रखना चाहिए. अपने डॉक्टर को दिखाकर दवाओं की डोज को बढ़ाने या घटाने की बात कर लें. अपने घर में डिस्प्रिन की गोली रखनी चाहिए. आपात स्थिति में उसे गुनगुने पानी के साथ ले लें. इससे खून पतला होगा और हृदय रोगियों को अस्पताल तक पहुंचने में समय मिल सकेगा."

हर 7 मिनट में दो हार्ट अटैक के केस

इंडियन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक भारत में हार्ट अटैक के लगभग 50 फीसदी मामले 50 साल से कम और 25 फीसदी मामले 40 साल से कम उम्र के लोगों में देखने को मिल रहे हैं. वहीं WHO के मुताबिक, भारत के शहरों में रहने वाले 12 फीसदी और गांवों में रहने वाले करीब 10 फीसदी लोगों में किसी ना किसी तरह की दिल की बीमारियां हैं.

देश में होने वाली कुल मौतों में से 28 फीसदी मौतें दिल की बीमारियों से होती हैं. हर साल करीब 20 लाख लोगों की मौत हार्ट अटैक से होती है. देश में हर 7 मिनट में 2 हार्ट अटैक के केस सामने आते हैं. ऐसे में किसी भी तरह के लक्षण होने पर डॉक्टर से तुरंत सलाह जरूर लें.