अमृतसर के स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) परिसर में एक बार फिर खालिस्तान समर्थक नारे लगाने का मामला सामने आया है. आज यानी 6 जून को ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) की 38वीं बरसी मनाई जा रही है. इस मौके पर कई सिख संगठनों से जुड़े लोग पहुंचे थे. इसी दौरान खालिस्तान समर्थक नारे भी लगाए गए. इन लोगों ने नारे तो लगाए ही, साथ ही जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टर भी लहराए.
हर साल की तरह इस बार भी 6 जून को स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार की जयंती मनाई जा रही है. इस दौरान अकाली दल नेता सिमरनजीत सिंह मान ने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की गई. सिख कौम पिछले 38 साल से बरसी मना रही है लेकिन आज तक उन्हें इंसाफ नहीं मिला. शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि अकाल तख्त ने सिख कौम को एकता में रह कर अपनी कौम को ताकतवर बनाने का संदेश दिया है.
ये पहला मौका नहीं है जब स्वर्ण मंदिर में खालिस्तानी नारे लगे हों. साल 2017 में भी ऐसी ही घटना हो चुकी है. 33वीं बरसी मनाने के दौरान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए थे.
बता दें कि 6 जून, 1984 को स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत के आर्मी के टैंक अकाल तख्त की तरफ बढ़ गए थे. सेना और उग्रवादियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई थी. अगले दिन भिंडरावाले की डेड बॉडी बरामद हुई थी. 6 जून की मुठभेड़ में अकाल तख्त को भारी नुकसान पहुंचा था. इसलिए 6 जून को ये बरसी बनाई जाती है.
इस बीच अकाल तख्त के प्रमुख जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह का एक और बयान सामने आया है. इंडिया टुडे से जुड़े मनजीत सहगल की रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि सिखों को कभी आज़ादी मिली ही नहीं. उन्होंने कहा कि सिखों को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक तौर पर कमज़ोर करने की कोशिशें की गईं हैं. हमें धार्मिक तौर पर अपनी ताकत बढ़ाने की जरूरत हैं.यही नहीं हरप्रीत ने ये भी कहा कि सिखों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने के लिए संस्थान खोलने की भी जरूरत है.
बता दें की 5 जून को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान स्वर्ण मंदिर में पूजा की थी और ज्ञानी हरप्रीत सिंह से मुलाकात भी. नवभारत टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, सीएम के दौरे और ब्लू स्टार की बरसी को देखते हुए अमृतसर में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी.
वीडियो: स्वर्ण मंदिर में छिपे खालिस्तानी उग्रवादियों का कैसे किया सफाया?