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'BJP के लिए काम करनेवाला राज्यपाल बनता है', कांग्रेस के आरोप पर कानून मंत्री का जवाब आया है

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एस अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाए जाने पर कांग्रेस ने सवाल उठाए थे.

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(बाएं-दाएं) कानून मंत्री किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एस अब्दुल नजीर. (फाइल फोटो- इंडिया टूडे)

केंद्र सरकार ने रविवार, 12 फरवरी को कई राज्यों के राज्यपाल बदले. इनमें एक नाम काफी चर्चा में है- एस. अब्दुल नजीर. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रहे हैं. खबरें चलीं कि राम मंदिर और नोटबंदी के पक्ष में फैसला देने वाले जजों में एस अब्दुल नजीर शामिल थे. आरोप लगा कि चूंकि ये दोनों मामले केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी से जुड़े थे, इसलिए इनके पक्ष में फैसला देने के चलते ही अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है. कांग्रेस ने इसे लेकर सरकार और बीजेपी पर निशाना साधा, जिस पर कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बिना नाम लिए विपक्षी पार्टी को नसीहत दे डाली है. उन्होंने कहा कि देश को ‘निजी जागीर' न समझा जाए, भारत संविधान के हिसाब से चलता है.

क्या बोले किरेन रिजिजू?

रविवार, 12 फरवरी की रात कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट कर कांग्रेस पर निशाना साधा, बिना नाम लिए. लिखा,

"राज्यपाल की नियुक्ति पर एक बार फिर से पूरा गिरोह जोरों पर है. उन्हें ये समझ लेना चाहिए कि अब वे भारत को अपनी निजी जागीर जैसे नहीं चला सकते. 
अब भारत को संविधान के प्रावधानों और लोगों की इच्छा के अनुसार चलाया जाएगा."

कांग्रेस ने लगाए थे ये आरोप?

जस्टिस नजीर को राज्यपाल बनाए जाने पर कांग्रेस ने पूछा था कि न्यायपालिका से जुड़े लोगों को सरकारी पद क्यों दिए जा रहे हैं? पार्टी ने इसे न्यायपालिका के लिए 'खतरा' बताया था. उसने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि जो भी पीएम मोदी और बीजेपी के लिए काम करता है उसे राज्यपाल बना दिया जाता है. कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा था,

"भाजपा ने हिंदुओं और मुसलमानों को बांटा है. किसी समुदाय को उसकी योग्यता से ज्यादा मिलने पर तुष्टीकरण होता है, लेकिन मुसलमानों को उनका उचित हिस्सा भी नहीं मिलता है. जस्टिस नजीर को राज्यपाल नियुक्त करने से न्यायपालिका के प्रति लोगों का विश्वास कम हो रहा है."

वहीं कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी इस ट्रेंड को गलत बताते हुए कहा था कि ये न्यायपालिका के लिए खतरा है.

कौन हैं जस्टिस नजीर?

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और आंध्र प्रदेश के नए राज्यपाल तो बता ही दिया है. बाकी लाइफ स्टोरी ये है कि 5 जनवरी 1958 को जन्मे अब्दुल नजीर ने वकालत की पढ़ाई एसडीएम लॉ कॉलेज मंगलुरु से की. फरवरी 1983 में बतौर वकील रजिस्टर्ड होने के बाद 20 साल तक वे कर्नाटक हाई कोर्ट में वकालत करते रहे. फरवरी 2017 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया. वे तीसरे ऐसे जज हैं, जो किसी भी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस नहीं रहे, इसके बावजूद सीधे सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए गए.

वे राम मंदिर का फैसला सुनाने वाली बेंच का भी हिस्सा रहे हैं. उन्होंने मंदिर बनाने के पक्ष में फैसला दिया था. नोटबंदी को सही बताने वाली बेंच में भी थे. इस मामले पर वे पांच जजों की बेंच को लीड कर रहे थे, जिसने कहा था कि नोटबंदी का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया था. आर्थिक मामलों पर सरकार की नीति में कोर्ट कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा जब तक ये तथ्यों और विशेषज्ञों की सलाह पर आधारित न हो.

वीडियो: अयोध्या पर राम मंदिर के पक्ष में फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट के 5 जज ये हैं