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नए संसद भवन का अशोक स्तंभ बनाने वाले ने बताया, राष्ट्रीय चिह्न के 'शेर' कितने बदले

नए संसद भवन की छत पर अशोक स्तंभ की कांस्य प्रतिमा के अनावरण के बाद इसके शेरों के भाव और चरित्र पर सवाल उठाए जा रहे हैं. विपक्ष इसे राष्ट्रीय चिह्न का अपमान बता रहा है. इस बीच इस प्रतिमा का मॉडल तैयार करने वाले मूर्तिकार सुनील देवरे का बयान सामने आया है.

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अशोक स्तंभ विवाद (फोटो: आजतक)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार, 11 जुलाई को नए संसद भवन की छत पर अशोक स्तंभ की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया. लेकिन इस अनावरण के बाद से ही उस पर राजनीति तेज हो गई है. पहले पीएम मोदी की मौजूदगी पर सवाल उठाया गया, फिर उस अशोक स्तंभ के डिजाइन पर सवाल उठने लगे. आरोप लगाया जा रहा है कि राष्ट्रीय चिह्न के डिजाइन के साथ छेड़छाड़ की गई है. स्तंभ के शेरों के भाव और चरित्र में बदलाव किया गया है. हालांकि, नए संसद भवन के लिए अशोक स्तंभ की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार सुनील देवरे ने इन दावों को खारिज किया है.

अशोक स्तंभ के मूर्तिकार ने कहा- डिजाइन में कोई बदलाव नहीं किया

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इस अशोक स्तंभ के मूर्तिकार सुनील देवरे ने किसी भी तरह के बदलाव से इनकार किया है. जब सुनील से शेरों के मुंह ज्यादा खुले होने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसे नकारते हुए बताया कि उन लोगों को एक स्पष्ट ब्रीफ दिया गया था. सुनील देवरे ने कहा कि उन लोगों ने किसी के कहने पर कोई बदलाव नहीं किया है. उन्होंने दावा किया कि ये सारनाथ में मौजूद स्तंभ का ही कॉपी है. 

देवरे ने बताया,

हमने प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले मूल मूर्ति का अध्ययन किया था. हमने सटीक अनुपात को ध्यान में रखा. मूल मूर्ति 3 से 3.5 फीट ऊंची है, लेकिन नई मूर्ति 21.3 फीट ऊंची है.

देवरे ने बताया कि अलग-अलग कोणों के अनुसार शेरों की अभिव्यक्ति में एक महत्वपूर्ण अंतर है. मूर्तिकार देवरे के मुताबिक जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही हैं, वे नीचे से ली गई हैं, इसलिए शेरों के भाव आक्रामक लग रहे और मुंह बड़ा दिखाई दे रहा.

सुनील देवरे ने इस बात की भी जानकारी दी कि ये अशोक स्तंभ बनाने के लिए उन्हें सरकार या बीजेपी से कोई सीधा कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिला था. उनका करार टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड के साथ हुआ था. उन्हीं को सुनील देवरे द्वारा अशोक स्तंभ का मॉडल दिखाया गया था, जब अप्रूवल मिला, तब उस पर काम शुरू किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक इस विशाल अशोक स्तंभ को बनाने में उन्हें करीब 9 महीने लगे. 

विवाद क्या है?

नए संसद भवन पर अशोक स्तंभ के अनावरण के बाद से ही कई तरह की प्रतिक्रियाएं आने लगी थीं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी पर सभी संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण लोकसभा अध्यक्ष को करना चाहिए था.

मंगलवार, 12 जुलाई को टीएमसी सांसदों जवाहर सरकार और महुआ मोइत्रा और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी सहित अन्य विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रीय चिह्न में शेरों के भाव और अनुपात को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला.

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया, जिसमें कुछ लिखा तो नहीं बस दो शेरों की तस्वीरें लगा दी गईं. इसमें दाईं ओर दिख रहा शेर वो है जो नए संसद भवन की छत पर लगे अशोक स्तंभ में है. ट्वीट में बाईं ओर महुआ ने पारंपरिक अशोक स्तंभ की तस्वीर शेयर की.

वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया,

सारनाथ में अशोक के स्तंभ पर शेरों के चरित्र और प्रकृति को पूरी तरह से बदलना भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान है!

अशोक स्तंभ के डिजाइन पर इतने सवाल उठने के बाद बीजेपी नेता अमित मालवीय ने भी विपक्ष पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि विपक्ष 2डी छवियों की तुलना एक भव्य 3डी संरचना से कर रहा है. 

उधर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने ट्वीट कर विपक्ष को समझाने का प्रयास किया है. 

पुरी ने स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि अगर जिस सारनाथ मॉडल से प्रेरित होकर ये अशोक स्तंभ बनाया गया है, इसके आकार में बदलाव नहीं किया जाता तो इतनी ऊंचाई से ये किसी को नहीं दिखने वाला था. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन एक्सपर्ट को ये भी समझना चाहिए कि असल सारनाथ ग्राउंड लेवल पर स्थित है, लेकिन ये नया और विशालकाय अशोक स्तंभ है, ये जमीन से 33 मीटर की ऊंचाई पर है.

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