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आशिक हूं मैं कातिल भी हूं, ISIS में शामिल भी हूं

नवंबर 2015 में बंगाल में 19 लोगों को पकड़ा गया. इन लोगों पर ये आरोप था कि इनके ISIS से रिश्ते हैं. उनमे से एक आरोपी की है ये लव स्टोरी

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ये कहानी पूरी फिल्मी है. लड़का है, आशिक अहमद. स्कूल जाने वाला. इंजीनियरिंग में पढ़ने वाला लड़का. लड़की है. लव ट्राएंगल भी है. धर्म अलग-अलग हैं. बैरी ज़माना है. दोनों को एक दूजे से जुदा करने वाला परिवार है. फिर प्यार में दीवानापन है. जूनून है. ऐसा पागलपन, जिसमे ना जाने प्यार कहां छूट गया. लड़के ने ठान लिया कि लड़की को हासिल करना ही है. लेकिन बीच में हो गई गड़बड़. लड़का भटक गया. और उसके बाद कहानी ने अलग मोड़ ले लिया.

आशिक के IS (इस्लामिक स्टेट) से रिश्तों की खबर सामने आई. अब NIA (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) उसके केस की जांच कर रही है. 

आशिक अहमद तब 11वीं क्लास में पढ़ता था. एक लड़की से उसको प्यार हो गया. प्यार कब उम्र या धर्म-जाति देख कर होता है. यहां भी वही हुआ. आशिक मुसलमान था. जिस लड़की से उसने प्यार किया वो हिन्दू थी. लेकिन दोनों को इस बात की कोई परवाह नही थी. दोनो को अपने प्यार पर यकीन था. सोचा था कि जब शादी की उम्र होगी तब तक आशिक सेटल हो जायेगा. घर वाले भी मान जायेंगे. लेकिन कहानियां इतनी सीधी-सादी कहां होती हैं. ट्विस्ट तो आना ही था. आशिक के एक दोस्त को भी उसी लड़की से प्यार हो गया. एक लड़की, दो दीवाने. लेकिन लड़की तो आशिक से ही प्यार करती थी. दोस्त को जब ये बात पता चली, उसका दिमाग सातवें समान पर चला गया. न कुछ सोचा, न कुछ समझा, सीधे लड़की के घर पहुंच गया. पहुंचकर लड़की के घर वालों को आशिक और उनकी बेटी के प्यार की खबर दे दी. लड़की के पापा और भाई स्कूल पहुंच गए. आशिक की क्लास ले ली. स्कूल में सीन भी बना दिया. उस दिन के बाद से लड़की ने आशिक से सारे रिश्ते तोड़ लिए. बात करना भी छोड़ दिया. आशिक की हालत खराब हो गई. उसने कसम खा ली कि जब तक उस लड़की को वापस अपनी ज़िन्दगी में नहीं ले आयेगा, तब तक चैन से नहीं बैठेगा. 19 साल उम्र हुई थी. इंजीनियरिंग में एडमिशन भी ले लिया था. लेकिन उसने साथ में पैसे कमाने के नए रास्ते तलाश करने शुरू कर दिए. पैसा वो इसलिए कमाना चाहता था ताकि प्लास्टिक सर्जरी करवा सके. फिर अपना धर्म बदल ले. अपनी हर पुरानी पहचान मिटा दे. एकदम नया सा कोई शख्स बन जाये. फिर इस नए नवेले अवतार में अपनी गर्लफ्रेंड के घर जाये. वहां जाकर उसके घर वालों से उसका हाथ मांग सके. प्लास्टिक सर्जरी करवाने के लिए ढेर सारे पैसों की ज़रूरत पड़ती. जल्द से जल्द इतने सारे पैसे कमाने थे. किसी ने आइडिया दे दिया कि अफगानिस्तान चले जाओ. वहां जा कर अफीम की खेती करो. बहुत पैसा है इसमें. आशिक को बात जम गयी. अब अफगानिस्तान जाने की तैयारी करनी थी. वहां के बारे में जानकारी इकट्ठी करनी थी. तो उसने एक ईरानी दरगाह जाना शुरू कर दिया. वहां से किताबें ला कर पढ़ने लगा. वहां पर उसका ध्यान इमाम महदी के बारे में लिखी गयी किताबों की तरफ खिंचने लगा.
इस्लाम में इमाम महदी को आखिरी खलीफा माना गया है. ये मान्यता है कि जब वो आएंगे, दुनिया के सारे मुसलमानों की सब तकलीफें दूर करेंगे.
किसी किताब में आशिक ने पढ़ लिया कि इमाम महदी अफगानिस्तान और खोरासान से आएंगे. आशिक का इंटरेस्ट अब बढ़ने लगा. उसके और खोजबीन शुरू कर दी. खूब रिसर्च की इमाम के बारे में. इस दौरान उसने जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर के वीडियो भी खूब देखे. उसके भाषण से आशिक खूब प्रभावित हुआ. किताबों में उसने ये भी पढ़ा कि ये इमाम काला झंडा ले कर आएंगे. उसने इन्टरनेट पर ढूंढाई शुरू कर दी. इन्टरनेट तो ऐसे अनगिनितों ग्रुप्स से पटा पड़ा था जो काले झंडे का इस्तेमाल करते हैं. A fighter of the ISIL holds a flag and a weapon on a street in Mosul   आशिक को लगा उसे सही रास्ता मिल गया है. अब शायद उसे अपनी गर्लफ्रेंड याद भी नहीं रही गयी थी.

फेसबुक पर उसने आशिक पठान  के नाम से एक फेक एकाउंट बना लिया . बहुत सारे 'काले झंडे' वालों को ऐड कर लिया. ऑनलाइन ही उसे एक नया दोस्त मिला जो अफगानिस्तान में  रहता था.

उससे आशिक की खूब बातें होने लगीं. आशिक को पता चला कि पाकिस्तान और ईरान, अफगानिस्तान के दुश्मन हैं. उस दोस्त की बातों में आशिक को नया नजरिया दिखने लगा था. उसने सोच लिया कि वो AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) जॉइन कर लेगा. अब वो सिर्फ वही सोच रहा था जो उसका अफगानी दोस्त उसको दिखा रहा था. इंडिया में उसको अपने जैसे लोग ढूंढने थे. फिर एक नई फेक फेसबुक प्रोफाइल बनाई. इस बार उसने अपना नाम रखा मुजाहिद इस्लाम. अब उसको एक यूपी में रहने वाला मोहम्मद जाहिद मिला. उसने आशिक को मुसलमानों की दुर्दशा के बारे में बताया. साथ मिल कर 'जिहाद' लाने की बात की. फिर कुछ ही दिनों बाद AuT ग्रुप के लीडर अहमद अली से मिला. ये ग्रुप इंडिया में IS की मदद करता है.

अब 'आशिक' की आशिकी सिर्फ 'जिहाद' से थी.

19 साल का लड़का, जो एक लड़की से प्यार करता था. उससे शादी करने के लिए अपने चेहरे की 'प्लास्टिक सर्जरी' करवाना चाहता था. वो खुद अपनी मर्ज़ी से एक इंडियन मुजाहिदीन का हिस्सा बनने के लिए बेताब था. बस यहीं, इसी कदम पर वो गिरफ्तार हो गया. बंगाल में उसको 18 और लोगों के साथ पकड़ लिया गया. सब पर NIA (नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी) ने IS से रिश्ता होने का केस किया है. अब आशिक ने अपनी प्रेम कहानी सुना दी है. NIA को अच्छा खासा सबूत मिल गया है. उसकी कहानी से उन सारे लोगों के खिलाफ चार्जशीट बनाने में NIA को बहुत हेल्प मिलेगी. जो कहानी एक लव स्टोरी हो सकती थी. वो आतंकी खेमे में आकर तबाह हो गयी. आशिक, इंजिनियर बन सकता था. शायद किसी MNC में नौकरी करता. अच्छा खासा पैकेज होता. अगर तब भी उसी लड़की से प्यार करता होता तो उसके घर जाता. उसके पापा मम्मी से बात करता. शायद वो मान जाते. ना मानते तो उनकी मर्ज़ी के खिलाफ चला जाता. एक हैप्पिली एवर आफ्टर हो सकता था इस कहानी का. और इसके लिए उसे प्लास्टिक सर्जरी की ज़रूरत भी नहीं पड़ती. पर शायद उसे कोई समझाने वाला नहीं था.

जिसने भी सलाह दी, ऐसी दी कि अब आशिक 'आशिक' नहीं रहा, आतंकवादी बन गया.