उद्धव ठाकरे और फडणवीस हंसते-हंसते बात करते नजर आए, महाराष्ट्र में फिर कुछ बड़ा होने वाला है?

11:52 PM Mar 23, 2023 | अभय शर्मा
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महाराष्ट्र में गुरुवार, 23 मार्च को एक ऐसी सियासी तस्वीर देखने को मिली जिसकी चर्चा पूरे राज्य में शुरू हो गई. तस्वीर में राज्य के दो दिग्गज नेता, जो कभी सियासी दोस्त हुआ करते थे लेकिन अब सियासी अदावत है. एक पर आरोप लगता है कि उसने दूसरे के विधायक छीन लिए, सरकार गिरा दी और फिर उसकी पार्टी में दो फाड़ कर दिया. इशारा काफी है आपके दिमाग में दोनों नाम आ गए होंगे. देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और उद्धव ठाकरे राज्य के पूर्व सीएम.

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अब खबर ये है कि ये दोनों एक साथ दिखे हैं. हंसते हुए, बातें करते हुए, ऐसे जैसे दोनों की पक्की वाली दोस्ती हो. दोनों नेता मराठी भाषा विभाग की बैठक में भाग लेने विधानसभा पहुंचे थे. दोनों की साथ-साथ तस्वीर आई और वायरल हो गई, राज्य में चर्चा छिड़ गई. चर्चा ये कि क्या उद्धव ठाकरे और BJP में फिर अंदर-अंदर बातचीत हो रही है? और क्या अविभाजित शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी दोनों फिर एक साथ आ सकते हैं?

क्या उद्धव ठाकरे और BJP साथ आने वाले हैं?

देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे की फोटो से एक बात समझ में आ गई कि महाराष्ट्र की सियासत में जैसा सीन बना हुआ दिखता है, मामला एकदम वैसा तो नहीं है. अदावत ऐसी भी नहीं कि दोनों साथ खड़े न हो पाएं. कहा भी जाता है कि सियासत में कोई भी दुश्मनी स्थाई नहीं होती. लेकिन क्या कभी उद्धव ठाकरे और BJP साथ आ सकते हैं?

इसे लेकर हमने आजतक से जुड़े और महाराष्ट्र की सियासत पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार साहिल जोशी से बात की. साहिल जोशी ने जो कहा उसे सुनने के बाद अविभाजित शिवसेना और बीजेपी के भविष्य में साथ आने की बात नकारा नहीं जा सकता.

साहिल कहते हैं,

'महाराष्ट्र में पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने पूरी कोशिश की लेकिन वो 28 से 30 फीसदी वोट शेयर से ज्यादा नहीं पा सके. बीजेपी का अगले लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में टारगेट 40 सीटें जीतने का है. लेकिन इतनी सीटें तभी जीती जा सकती हैं जब उसका वोट शेयर 44 फीसदी से ऊपर रहे. अब ये कैसे हो सकता है? शिवसेना में टूट हो गई है. उसके आधे से ज्यादा विधायक बीजेपी ने तोड़ लिए हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि उसने 20 फीसदी वोट शेयर पाने वाली शिवसेना का वोट भी हासिल कर लिया है. ऐसे में बीजेपी लोकसभा के चुनाव से पहले होने वाले लोकल चुनाव में ये देखेगी कि शिवसेना की टूट के बाद उसका मत प्रतिशत कितना बढ़ा? अगर उसे लगा कि उसका वोट शेयर 44 फीसदी व उससे ज्यादा नहीं हो जा रहा तो फिर वो कोई ऐसा साथी ढूंढेगी, जो उससे जुड़ सके. और वोट शेयर बढ़ा सके.'

साहिल जोशी के मुताबिक अविभाजित शिवसेना और बीजेपी के नेताओं के एक-दूसरे के लिए बोल भी अब उतने कटु नहीं रहे, जितने पहले थे. ऐसे में उद्धव ठाकरे और BJP के साथ आने की चर्चा अगले लोकसभा चुनाव तक छिड़ी रहेगी.

चलते-चलते बता दें कि गुरुवार को फडणवीस से हुई मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा,

'हम विधान भवन के गेट पर मिले और बस एक-दूसरे का सामान्य तरीके से अभिवादन किया. हमने एक दूसरे को नमस्ते किया. क्या अब हम एक-दूसरे को बधाई भी नहीं दे सकते?'

ठाकरे ने आगे कहा कि पहले राजनीति में खुलापन था. लेकिन अब सिर्फ बैक डोर मीटिंग ही अहम मानी जाती है. इसलिए अगर दोनों दलों के बीच कोई क्लोज डोर मीटिंग होती है, तो वो निश्चित रूप से सब को बताएंगे.

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