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झारखंड के स्कूल में मलाला का पोस्टर लगने पर विवाद, इतना विरोध हुआ कि हटवाना पड़ा

स्कूल की टीचर ने मलाला को लेकर बढ़िया जवाब दिया है.

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मुखिया ने टीचर को धमकाया कि अपनी मर्जी से स्कूल मत चलाइए (फोटो- आज तक)

झारखंड के एक सरकारी स्कूल में नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई के पोस्टर लगाने पर विवाद खड़ा हो गया. स्कूल की दीवार पर पोस्टर लगने के बाद स्थानीय लोगों ने हंगामा किया. मामला रामगढ़ जिले के एक हाई स्कूल का है. स्थानीय मुखिया ने स्कूल के प्रिंसिपल से जाकर पूछ लिया कि स्कूल की मुख्य दीवार पर अपने देश के महापुरुषों की तस्वीर ना लगाकर, सिर्फ मलाला की बड़ी सी तस्वीर आपने क्यों लगाई है. बवाल इतना बढ़ गया कि स्कूल को मलाला का पोस्टर हटाना पड़ा.

मलाला यूसुफजई पाकिस्तानी शिक्षा अधिकार कार्यकर्ता हैं. साल 2012 में लड़कियों तालिबानियों ने मलाला पर हमला किया था. क्योंकि मलाला लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाती थीं. साल 2014 में मलाला को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. झारखंड के स्कूल की दीवार पर मलाला की जो तस्वीर लगी है उस पर मलाला का एक स्टेटमेंट लिखा है, 

"एक बच्ची, एक टीचर, एक किताब और एक पेन दुनिया बदल सकती है."

आजतक से जुड़े सत्यजीत कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूल के प्रिंसिपल रविंद्र प्रसाद ने बताया कि यह पोस्टर किसी के आदेश पर नहीं लगाया. छात्राओं को प्रोत्साहित करने के लिए टीचर मनीषा धवन ने लगवाया. उन्होंने कहा कि मनीषा ने कई और महापुरुषों का पोस्टर बनवाया है, जिसे गर्मी छुट्टी के बाद दीवारों पर लगाया जाएगा.

इस पोस्टर को लेकर स्कूल की टीचर मनीषा धवन और स्थानीय मुखिया के बीच बहस भी हुई. इसका एक वीडियो सामने आया है. इसमें मुखिया टीचर को धमकी दे रहे हैं कि आपको लगाने के लिए और कोई तस्वीर नहीं मिली. अपनी मर्जी से स्कूल मत चलाइए. संविधान और कानून से चलने दीजिए. मुखिया ने आगे ये भी कहा, 

“ये लोग भड़काऊ भाषण देते हैं. हमारे देश के खिलाफ काम करते हैं, इसके बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए."

टीचर ने क्या जवाब दिया

इस पर टीचर मनीषा जवाब देती हैं कि उसे (मलाला) नोबेल प्राइज से सम्मानित किया गया है. हालांकि बार-बार टोके जाने के बाद मनीषा कहती हैं कि वो पोस्टर हटा देंगी.

वहीं, मनीषा धवन ने आजतक को बताया कि इस पोस्टर को लगाने का उद्देश्य लड़कियों को मोटिवेट करना है. उन्होंने कहा, 

"लड़कियों को ये दिखाने के लिए लगाया है कि किसी भी बैकग्राउंड से उठकर एक लड़की विश्व के सर्वोच्च शिखर तक पहुंच सकती है. उसके लिए ना उम्र बंधन है, ना बैकग्राउंड. सबसे बड़ी बात ये है कि वो अपने लिए नहीं, बल्कि अपने क्षेत्र की लड़कियों की शिक्षा के लिए लड़ी."

मनीषा ने आगे कहा कि उनका भी वही उद्देश्य है जो पोस्टर पर लिखा है कि एक लड़की पूरी दुनिया बदल सकती है. ये किसी के आदेश से नहीं लगा है. 

हालांकि मुखिया के हस्तक्षेप के बाद पोस्टर को आखिरकार हटा दिया गया.

वीडियो: मलाला ने दुनिया को बताया तालिबान का रोंगटे खड़े करने वाला सच