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मर्डर के बाद 30 साल से फरार था, "मां बाप की भूल" समेत 28 फिल्मों में काम किया, पकड़ा गया

ओमप्रकाश ने भारतीय सेना में भी काम किया. ड्यूटी पर अनुपस्थित रहने के चलते निकाल दिया गया.

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क्षेत्रीय फिल्म के सीन में हत्या का आरोपी ओमप्रकाश (फोटो- आजतक)

तीन दशक पहले हुए एक मर्डर (Murder) का आरोपी सोमवार, 1 अगस्त को गाजियाबाद (Ghaziabad)के हरबंस नगर से पकड़ा गया है. आरोपी का नाम ओमप्रकाश (Omprakash) उर्फ पाशा बताया जा रहा है, जो पानीपत (Panipat) की समालखा तहसील के नरैना गांव का रहने वाला है. 15 जनवरी 1992 को ओमप्रकाश और उसके साथी पर भिवानी में लूट की कोशिश के दौरान एक मोटरसाइकिल सवार की कथित तौर पर चाकू मारकर हत्या करने का मामला दर्ज किया गया था. अरेस्ट होने के पहले तक ओमप्रकाश फिल्मों में एक्टिंग करता था. करीब 28 फिल्मों में काम कर चुका था.

सेना में कर चुका है काम

पुलिस के मुताबिक, 1980 के दशक में उसने कई छोटे-मोटे अपराध किए. कार, दोपहिया और एक सिलाई मशीन भी चुराई. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उस वक्त पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया.  जानकारी है कि ओमप्रकाश ने भारतीय सेना में भी काम किया. 1988 में बिना बताए ड्यूटी पर अनुपस्थित रहने के चलते उसे सेना की नौकरी से निकाल दिया गया.

28 फिल्मों में की है एक्टिंग 

1992 में जब उसके खिलाफ मर्डर का मामला दर्ज हुआ तो ओमप्रकाश ने रडार से बचने के लिए नया जीवन शुरू किया. उसने उत्तर प्रदेश में रीजनल और भोजपुरी फिल्मों में अभिनय करना शुरू किया. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वो अब तक 28 फिल्मों में काम कर चुका है. एक फिल्म में वो कांस्टेबल का रोल भी कर चुका है. ओमप्रकाश ने टकराव, दबंग छोरा यूपी का, झटका, मां बाप की भूल और 5 कुंवरियां जैसी फिल्मों में काम किया है.

3 दशक बाद कैसे पकड़ा गया ? 

ओमप्रकाश पिछले महीने हरियाणा पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स के रडार पर आया, जब पुलिस ने फरार अपराधियों की सूची की जांच शुरू की.

मामले पर SI विवेक कुमार ने बताया

“हरियाणा पुलिस की ओर से उसकी सूचना देने के लिए 25 हजार रुपये का इनाम रखा गया. हमें लगभग 15 दिन पहले गाजियाबाद में उसके ठिकाने के बारे में सूचना मिली, जिसके बाद हमने उसकी गतिविधियों पर नज़र रखना शुरू किया और आखिरकार हमने उसे उसके घर से गिरफ्तार कर लिया.”

हत्या के बाद छिपता रहा 

अधिकारियों ने मामल पर जानकारी देते हुए बताया

“1992 में कथित रूप से हत्या करने के बाद ओमप्रकाश छिपने के लिए तमिलनाडु भाग गया और एक साल तक मंदिरों में शरण ली. हत्या के बाद उसने पानीपत में अपने परिवार के साथ सभी संबंध तोड़ लिए. उसने अपनी पहली पत्नी और बेटी को भी छोड़ दिया. गिरफ्तारी के डर से वो अपने गांव नहीं गया. कुछ समय बाद वो गाजियाबाद गया और ट्रक चलाने का काम शुरू किया. यहां उसने दूसरी शादी कर ली और 1997 में गाजियाबाद के हरबंस नगर में 60 वर्ग गज का प्लॉट खरीदा. ओमप्रकाश ने दिहाड़ी मजदूरी सहित कई तरह के छोटे-मोटे काम किए. कम से कम सात साल तक उसने टेंपो और ट्रक चलाए.”

क्राइम रिकॉर्ड के मुताबिक ओमप्रकाश के खिलाफ हरियाणा में पांच मामले दर्ज हैं. इसमें चोरी के 4 और एक मामला हत्या का है. राजस्थान में भी दो मामले दर्ज हैं. 

देखें वीडियो- यूपी में आया फर्जी एनकाउंटर का मामला!