75 साल के मांगीदास की जमीन के कागजात में स्पेलिंग मिस्टेक थी. वो सुधरवाने के लिए उसने 55 साल कोशिश की. पिछले हफ्ते मांगीदास चल बसा. जब उसे पता चला कि फाइनली उसका नाम सही हो गया है. इतनी खुशी बर्दाश्त नहीं कर सका.
बीकानेर का जयमलसर गांव. यहां रहने वाले मांगीदास 20 साल के थे तो पिता नरसिंहदास गुजर गए. नोखा दइया गांव की 10 बीघा जमीन मांगीदास के हाथ आ गई. गांव के बाहर 40 बीघा. लेकिन जमीन के कागजात पर नाम बदलने थे. ट्रांसफर लेटर पर किसी की गलती से नाम चढ़ गया 'मंगनीदास'. वहीं से इनकी समस्या शुरू हो गई.
फिर शुरू हुई कोशिश नाम सही कराने की. ये कोशिश 55 साल चली. मांगीदास के बड़े बेटे बाबूदास ने बताया कि उनके पिता सरकारी रिकॉर्ड्स में किसान गिने ही नहीं गए कभी. उनको किसान क्रेडिट कार्ट का फायदा भी नहीं मिला. क्योंकि कागजात पर नाम मैच नहीं करता था.
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक 21 मई को इनके गांव में कैंप लगा 'न्याय आपके द्वार' स्कीम का. मांगी का दूसरा बेटा जानकीदास पेपर्स पर इनके अंगूठे का निशान लेने आया. ये बताते हुए कि "बाबा बुरे दिन कट गए. अब आपका नाम ठीक हो जाएगा." मांगी ने राहत की सांस ली. लेकिन सांस फिर लौट कर नहीं आई. जब वो पेपर्स सही कराके लौटा तो देखा पिताजी की सांस थम चुकी है. खुशी के मारे उनकी जान जा चुकी है.