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मणिपुर में टैक्स अधिकारी को गोली मारी, हिंसा में अब तक 54 लोगों की मौत

रात में चुरचांदपुर में तीन लोगों की गोली मारकर हत्या हुई.

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हालात पर काबू के दावे के बाद चुरचांदपुर में गोलीबारी हुई (फोटो- PTI)

मणिपुर में जारी हिंसा (Manipur violence) में मरने वालों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है. 5 मई की रात चुरचांदपुर जिले में गोलीबारी की एक घटना में तीन लोगों की मौत हो गई. यह गोलीबारी तब हुई, जब इलाके से मैतेई समुदाय के लोगों को निकाला जा रहा था. 5 मई को इम्फाल में एक टैक्स असिस्टेंट की भी मौत हुई. गोलीबारी की ये घटना तब हुई, जब सेना ने दावा किया था कि चुरचांदपुर में हालात पर नियंत्रण पा लिया गया है. 

मणिपुर में 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती हुई है. मणिपुर सरकार ने हिंसा पर काबू पाने के लिए 'शूट एट साइट' (देखते ही गोली मारने का) आदेश दिया था. हिंसा प्रभावित इलाकों से अब तक 13 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.

इम्फाल में जिस टैक्स असिस्टेंट की मौत हुई, उनका नाम लेतमिनथांग हाओकिप था. उनकी मौत का विरोध जताते हुए इंडियन रेवेन्यू सर्विस एसोसिएशन ने कायरतापूर्ण बताया. एसोसिएशन ने हाओकिप की फोटो पोस्ट करते हुए ट्वीट किया, 

"ड्यूटी पर तैनात एक निर्दोष सरकारी अधिकारी की हत्या को कोई वजह या विचारधारा सही नहीं बता सकती है. उनके परिवार के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं."

5 मई को ही चुरचांदपुर में एक CRPF कोबरा कमांडो की गोली मारकर हत्या कर दी गई. CRPF जवान छुट्टी पर अपने गांव में थे. समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, कॉन्स्टेबल चोनखोलेन हाओकिप की हत्या दोपहर 2 से 3 के बीच हुई थी. बताया जा रहा है कि कुछ हथियारबंद लोगों ने गांव में घुसकर जवान की हत्या की.

हिंसा की घटनाओं पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने मीडिया को बताया कि भारत सरकार हिंसा रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है. रिजिजू ने कहा कि हिंसा से राज्य के विकास पर चोट पहुंचेगा इसलिए सबसे अपील करता हूं कि नुकसान ना पहुंचाएं.

पीटीआई के मुताबिक, 6 मई की सुबह इम्फाल वैली में दुकानें और बाज़ार खुले. सड़कों पर गाड़ियां भी दिखी. हालांकि सभी प्रमुख सड़कों पर रैपिड एक्शन फोर्स और केंद्रीय पुलिस बलों के जवान अब भी भारी संख्या में तैनात हैं. पूरे राज्य में अब भी इंटरनेट बंद है.

चुरचांदपुर से ही भड़की थी हिंसा

राज्य में पूरा बवाल तीन मई को मणिपुर हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद शुरू हुआ. कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का निर्देश दिया था. मैतेई समुदाय ये मांग लंबे समय से कर रहा था. राज्य के आदिवासी समूह जिसमें खासतौर पर नागा और कूकी जनजाति समेत 34 जनजाति के लोग शामिल हैं, इसके विरोध में उतर गए.

मणिपुर में मैतई समुदाय बहुसंख्यक है. राज्य की आबादी का करीब 65 फीसदी. इस विरोध की सबसे बड़ी वजह बताई जाती है राज्य की आबादी और राजनीति - दोनों में मैतेई का प्रभुत्व है. मैतेई समुदाय को OBC और SC कैटेगरी में सब कैटेगराइज भी किया गया है और इसके तहत आने वाले लोगों को कैटेगरी के हिसाब से रिजर्वेशन भी मिलता है.

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लेकिन कोर्ट के फैसले के विरोध में 'ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर' ने 3 मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजित किया था. इसी दौरान चुरचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी. इसके बाद हिंसा की आग बाकी जिलों में भी फैली.

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