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मणिपुर में दोबारा भड़की हिंसा, CM बिरेन सिंह का दावा- '33 कूकी उग्रवादियों को मारा गया'

दोबारा हिंसा शुरू होने के बाद इंटरनेट पर बैन बढ़ाया गया.

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इंटरनेट बैन को 31 मई तक बढ़ा दिया गया है (फोटो- पीटीआई)

मणिपुर के कई इलाकों में एक बार फिर हिंसा भड़क गई है. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने बताया कि कूकी समुदाय के उग्रवादियों ने नागरिकों पर हमले किए. इसके बाद सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई में कम से कम 33 उग्रवादियों को मारा है. हमले में शामिल कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. मुख्यमंत्री ने कूकी उग्रवादियों को 'आतंकवादी' कह दिया. सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच अब भी एनकाउंटर जारी है.

इंडिया टुडे नॉर्थ ईस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने भारी हिंसा के बाद 28 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. CM ने दावा किया कि यह हिंसा दो समुदायों के बीच नहीं बल्कि कूकी उग्रवादियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प के बाद शुरू हुई. उन्होंने कहा कि जो राज्य को बांटने और शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं, वे सभी 34 समुदायों के दुश्मन हैं. सीएम ने कहा कि राज्य सरकार हिंसा को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है.

इंटरनेट पर बैन बढ़ा

मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि संवेदनशील इलाकों की पहचान की गई है और उग्रवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ऑपरेशन चलाया जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर सरकार ने राज्य में इंटरनेट बैन को 31 मई तक बढ़ा दिया है. पहली बार हिंसा शुरू होने के बाद 3 मई को इंटरनेट पर बैन लगाया गया था.

28 मई की सुबह भी फायेंग गांव में कुकी उग्रवादियों के हमले की खबर आई. बताया जा रहा है कि इस हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई और एक व्यक्ति घायल हो गया. वहीं, इम्फाल में भीड़ ने बीजेपी विधायक के रघुमणि के घर में तोड़फोड़ की और दो गाड़ियों में आग लगा दिया. 

राज्य में स्थिति की समीक्षा के लिए आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे भी दो दिन के दौरे पर मणिपुर पहुंचे. उन्होंने 28 मई को मीडिया को जानकारी दी कि कूकी उग्रवादियों ने बीती रात सेरौ, सुगनू, तांगजेंग, तेराखोंगसांगबी, सेकमाई में कई मैतेई घरों को आग के हवाले कर दिया. सेरौ में कूकी उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में मणिपुर के 3 कमांडो शहीद हो गए. दूसरे गावों में भी कई लोगों के मौत की सूचना है.

3 मई को भड़की थी हिंसा

राज्य में पूरा बवाल तीन मई को मणिपुर हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद शुरू हुआ था. कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की सिफारिश को पूरा करने का निर्देश दिया था. मैतेई समुदाय ये मांग लंबे समय से कर रहा था. राज्य के आदिवासी समूह जिसमें खासतौर पर नागा और कूकी जनजाति समेत 34 जनजाति के लोग शामिल हैं, इसके विरोध में उतर गए.

मणिपुर में मैतई समुदाय बहुसंख्यक है. राज्य की आबादी का करीब 65 फीसदी. इस विरोध की सबसे बड़ी वजह बताई जाती है राज्य की आबादी और राजनीति - दोनों में मैतेई का प्रभुत्व है. मैतेई समुदाय को OBC और SC कैटेगरी में सब कैटेगराइज भी किया गया है और इसके तहत आने वाले लोगों को कैटेगरी के हिसाब से रिजर्वेशन भी मिलता है.

लेकिन कोर्ट के फैसले के विरोध में 'ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर' ने 3 मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजित किया था. इसी दौरान चुरचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी. इसके बाद हिंसा की आग बाकी जिलों में भी फैली.

वीडियो: मणिपुर हिंसा पर विदेशी मीडिया ने क्या-क्या लिखा?