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पटरी से उतर जाना है रेल हादसों की बड़ी वजह, CAG ने रिपोर्ट में पिछले साल ही बता दिया था

इसके बावजूद ट्रैकों को नया करने के फंड में कटौती की गई.

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साल 2017 से 2021 के बीच ट्रेनों के बेपटरी होने से हुए 75 फीसदी बड़े रेल हादसे. (फोटो: CAG और PTI)

ओडिशा में बालासोर रेल हादसे की क्या वजह थी, इसकी अभी जांच चल रही है. कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से कैसे उतरी, ये जांच के बाद ही साफ हो पाएगा. लेकिन देश में होने वाली ज्यादातर बड़ी रेल दुर्घटनाएं ट्रेनों के पटरी से उतर जाने की वजह से होती हैं. इसके बारे में भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी CAG की एक ऑडिट रिपोर्ट में पिछले साल ही बताया गया था. ये रिपोर्ट है, Performance Audit on Derailment in Indian Railways यानी भारतीय रेलवे में ट्रेनों के पटरी से उतरने की जांच रिपोर्ट. 

CAG की इस ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2021 के बीच देश में 217 ऐसे रेल हादसे हुए, जिनमें जानमाल का नुकसान हुआ. इनमें हर 4 में से लगभग 3 रेल हादसे यानी लगभग 75 फीसदी हादसे ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह से हुए. ये रिपोर्ट पिछले साल दिसंबर में यानी दिसंबर 2022 में संसद में पेश की गई थी. इस रिपोर्ट में ट्रेन के पटरी से उतरने की मुख्य वजह 'पटरियों के रखरखाव' से जुड़ी बताई गई थी.

भारतीय रेलवे ट्रेन हादसों को दो कैटेगरी में बांटता है- 

1. Consequential Train Accidents

2. Other Train Accidents (अन्य रेल दुर्घटनाएं)

Consequential Train Accidents में वो रेल हादसे आते हैं, जिनमें जानमाल को नुकसान हुआ हो. जैसे किसी की मौत हुई हो, कोई घायल हुआ हो, रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचा हो या रेलवे ट्रैफिक में रुकावट हुई हो. 

CAG की रिपोर्ट में बताया गया कि अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2021 तक कुल 2017 रेल हादसे हुए. इनमें 217 Consequential Train Accidents थे और 1800 अन्य ट्रेन हादसे थे. 

साल 2017-2021 के बीच 217 Consequential Train Accidents में 163 (लगभग 75 प्रतिशत) हादसे ट्रेन के पटरी पर से उतरने के कारण हुए. इसके बाद ट्रेन में आग के कारण 20 (लगभग 9 प्रतिशत) रेल दुर्घटनाएं हुईं.

इसी दौरान 1800 'अन्य ट्रेन दुर्घटनाएं' हुईं. इनमें 68 प्रतिशत (1229) दुर्घटनाएं डिरेलमेंट के कारण हुईं. 

CAG की रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि ट्रैक को नया करने के कामों के लिए धन आवंटन में भी कटौती हुई. साल 2018-19 में ट्रैक की मरम्मत और नए ट्रैक बिछाने के लिए 9607.65 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे. लेकिन 2019-20 में इसे घटाकर 7417 करोड़ रुपये कर दिया गया. साथ ही, आवंटित राशि का भी पूरा इस्तेमाल नहीं किया गया.

ऑडिट में 16 जोनल रेलों के 1129 मामलों या हादसों में ट्रेन के पटरी से उतरने के लिए जिम्मेदार 23 कारणों का भी जिक्र है. इनमें 167 मामलों में सबसे बड़ी वजह 'ट्रैक के रखरखाव' से जुड़ी बताई गई. इसके बाद 149 मामले 'ट्रैक के सही न होने' और 144 मामले 'खराब ड्राइविंग या ओवर स्पीडिंग' के बताए गए.
 

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