The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

मनरेगा मजदूरी क्यों नहीं मिल रही? दिल्ली आए श्रमिक कह रहे- 'समय पर पैसा दें, चोरी बंद कराएं'

केंद्र ने खुद बताया है कि मनरेगा श्रमिकों की 4,750 करोड़ रुपये की मजदूरी बकाया है.

post-main-image
दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन करते मनरेगा मजदूर. (फोटो साभार: ट्विटर/@NREGA_Sangharsh)

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम. देश-दुनिया के लोग जिसे मनरेगा के नाम से ज्यादा जानते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का एक बहुत बड़ा जरिया है मनरेगा. इस योजना ने उस समय भी साथ दिया था जब कोरोना महामारी के चलते कई सारे व्यापार, फैक्ट्रियां इत्यादि बंद हो गए थे. आज भी करोड़ों लोगों के लिए मनरेगा संजीवनी बना हुआ है.

लेकिन इसकी चुनौतियां भी कम नही हैं. देश के दूर-दराज क्षेत्रों से लगातार मजदूरों की ये शिकायतें आ रही हैं कि उन्हें समय पर मजदूरी नहीं मिल रही है. खुद सरकारी आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं. इसी को लेकर बीती 2 से 4 अगस्त तक दिल्ली के जंतर-मंतर में कई राज्यों से आए मजदूरों ने प्रदर्शन किया और सही समय पर भुगतान करने, मजदूरी और रोजगार गारंटी बढ़ाने जैसी मांगों को केंद्र सरकार के सामने रखा.

इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई किए नरेगा संघर्ष मोर्चा ने कहा, 

'नरेगा एक मांग आधारित योजना है (यानी कि काम मांगने वाले सभी लोगों को काम दिया जाना चाहिए). लेकिन सभी राज्यों के श्रम बजट में मनमाने तरीके से कटौती की जा रही है. केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 73 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जिनमें से 18,350 करोड़ रुपये तो पिछले साल का ही बकाया है.'

संगठन ने कहा कि भले ही सरकार ने मनरेगा के लिए 73 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया है, लेकिन इसमें से 18 हजार 350 करोड़ रुपये पिछले साल के ही बकाये को पूरा करने में खर्च हो जाएंगे. इसके लिए केंद्र सरकार को जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त बजट आवंटित करना चाहिए.

समय पर भुगतान नहीं होता

मनरेगा कानून के अनुसार काम पूरा होने के 15 दिनों के भीतर मजदूरों को भुगतान कर दिया जाना चाहिए. लेकिन आमतौर पर इस नियम का खुला उल्लंघन किया जाता रहा है. अक्टूबर 2021 में प्रकाशित LibTech India की एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में राज्यों ने केंद्र सरकार को जितना फंड ऑर्डर भेजा था, उसमें से केवल 29 फीसदी का ट्रांसफर केंद्र की तरफ से किया गया.

राज्य द्वारा भेजे गए फंड ट्रांसफर ऑर्डर (एफटीओ) के आधार पर केंद्र सरकार को सात दिनों के भीतर मजदूरों को भुगतान करना होता है.

मनरेगा कानून में ये भी प्रावधान है कि अगर श्रमिकों के भुगतान में कोई देरी होती है तो उन्हें उसका हर्जाना दिया जाना चाहिए. लेकिन इसका भी पालन नहीं हो रहा है.

नरेगा संघर्ष मोर्चा ने योजना के तहत श्रमिकों की प्रतिदिन मजदूरी को बढ़ाकर 800 रुपये करने की मांग की है. वर्तमान में देश के 27 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम कृषि मजदूरी से भी कम राशि मिलती है.

इसके साथ ही संगठन ने ऐप के जरिये मजदूरों की अटेंडेंस लगाने और नरेगा योजना से आधार को डि-लिंक करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इसके चलते कई श्रमिकों को अपनी मजदूरी का नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि देश के सुदूर क्षेत्रों में ये इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम सही से काम नहीं करते हैं, नतीजतन उनकी अटेंडेंस नहीं लग पाती और काम करने के बावजूद उन्हें उस दिन का वेतन नहीं मिलता है.

सरकार ने भी मानी मनरेगा में समस्या

केंद्र सरकार ने खुद संसद में ये स्वीकार किया है कि मनरेगा योजना के तहत अभी कई श्रमिकों की मजदूरी लंबित है, जिसका भुगतान करने की प्रक्रिया चल रही है.

सीपीआई के राज्यसभा सांसद बिनॉय विस्वाम के एक सवाल के जवाब में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने बीती 27 जुलाई को बताया कि मनरेगा श्रमिकों की 4,720 करोड़ रुपये की मजदूरी अभी तक बकाया है, जिसका भुगतान किया जाना बाकी है.

सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में 2,620 करोड़ रुपये की मनरेगा मजदूरी बकाया है. इसके बाद बिहार का नंबर आता है, जहां मनरेगा श्रमिकों को अभी तक उनकी 1,067 करोड़ रुपये की मजदूरी नहीं दी गई है. 

इसी तरह उत्तर प्रदेश में करीब 448 करोड़ रुपये, नागालैंड और झारखंड में 110 करोड़ रुपये, गुजरात में करीब 108 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र में 99 करोड़ रुपये की मनरेगा मजदूरी लंबित है.

इसके अलावा मनरेगा योजना के तहत तमाम सामग्रियों के संबंध में 2,537 करोड़ रुपये की राशि बकाया हैं. इसमें से सबसे ज्यादा कर्नाटक में 476 करोड़ रुपये, पश्चिम बंगाल में 343 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश में 301 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश में 277 करोड़ रुपये और ओडिशा में 193 करोड़ रुपये बकाया हैं. ये आंकड़े 21 जुलाई 2022 तक के हैं.

(सोर्स: राज्यसभा)

इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने संसद में कहा, 

'राज्यों को फंड (मनरेगा के तहत) जारी करना एक निरंतर प्रक्रिया है और केंद्र सरकार इस योजना को लागू करने के लिए राज्यों को फंड उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है.'

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार राज्यों में कार्यों की मांग, पूर्व में जारी राशि का इस्तेमाल, लंबित राशि इत्यादि के आधार पर समय-समय पर दो खेपों में फंड जारी करती है.

वीडियो: राहुल गांधी ने महंगाई, बेरोजगारी पर मोदी सरकार को घेरा, RSS पर बड़ी बात बोल दी!