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'पुष्पा' जैसे 12 लाख की लकड़ी चुराई, IFS अफसर ने क्या किया जो तस्कर भागे-भागे फिर रहे!

700 किलोमीटर दूर जाकर एक्शन, सारे पेड़ वापस लेकर लौटी टीम...

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मध्य प्रदेश के बैतूल में महूपानी के जंगलों से पेड़ों की कटाई हुई. (फोटो- आजतक)

पुष्पा मूवी याद है? हर बार कोई नया तरीका निकालकर कैसे लाल चंदन की लकड़ी को छिपा-छिपाकर बेचा जाता था. मूवी के बारे में इसलिए बता रहे हैं क्योंकि मध्यप्रदेश के बैतूल में महूपानी के जंगलों से 22 सागौन के पेड़ों की कटाई हुई. काटी गई लकड़ियों को राजस्थान के भीलवाड़ा तक पहुंचाया गया. वो भी ट्रक के जरिये. लेकिन बाद में 13 वनकर्मियों की टीम भीलवाड़ा के हरिपुरा गांव पहुंची. सुबह 6 बजे. वहां आरा मशीन से लकड़ी चीरने का काम चल रहा था. वनकर्मियों की टीम को देखकर कुछ कर्मचारी भागने लगे तो मालिक ने टीम को अपनी ऊंची पहुंच की धौंस दी. लेकिन बाद में टीम ने लकड़ी जब्त कर ली.

दरअसल, लकड़ी जब्त करने की कार्रवाई बैतूल वन विभाग की महिला अफसर पूजा नागले के नेतृत्व में हुई. आजतक से बातचीत के दौरान पूजा ने बताया कि कैस जिले में हो रहे अवैध कटाई के नेटवर्क का उन्हें पता चला. कैसे 57 घंटों में 700 किलोमीटर का मिशन पूरा हुआ. इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.

विश्नोई गैंग ने पेड़ों को कटवाया

आजतक से जुडे़ राजेश भाटिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एक महीने पहले महूपानी के जंगल में सागौन के 22 पेड़ों की अवैध कटाई की गई थी. इस मामले में फॉरेस्ट स्टाफ जांच में जुटे थे. जांच की टीम में ट्रेनी IFS पूजा नागले के अलावा फॉरेस्ट स्टाफ के 12 कर्मचारी शामिल थे. जांच की शुरुआत में भूरा नाम के ड्राइवर का नाम सामने आया. भूरा खंडवा में था. जिसे टीम पकड़कर बैतूल लेकर आई. भूरा ने पूछताछ में बताया कि महूपानी का सागौन हरदा की विश्नोई गैंग ने कटवाकर राजस्थान के भीलवाड़ा भेजा है.

भूरा ने बताया कि जंगल में पेड़ काटने के पहले, दिन में निशान लगाए जाते हैं और इसके बाद हरदा से मजदूरों को लाकर रात में पेड़ों की कटाई होती है. कुछ घंटों में ही आरा से पेड़ काट दिए जाते हैं और इन्हें ट्रक में भरकर ले जाया जाता है.

पूजा ने आजतक को आगे बताया, 

“जब भूरा ने बताया कि बैतूल से 700 किलोमीटर दूर भीलवाड़ा सागौन की लकड़ियां पहुंचाई गई हैं. तो हमें समझ नहीं आया कि इतनी दूर लकड़ी कैसे चली गई. क्योंकि रास्ते में फॉरेस्ट के कई बैरियर और नाके मिलते हैं. हमारे लिए दूसरी चुनौती थी लकड़ी पकड़ने के लिए इतना दूर कैसे जाया जाए. लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने मुझे राजस्थान जाकर लकड़ी पकड़ने की अनुमति दी. 11 मई को 13 वन कर्मियों की टीम बैतूल के निकली. 12 मई को हमने भीलवाड़ा के हरिपुरा गांव की आरा मशीन पर टीम ने छापा मारा जहां अवैध लकड़ियां बेची गई थी.”

11 मई को 13 वन कर्मियों की टीम बैतूल के निकली थी. (फोटो: आजतक)

पूजा ने आगे कहा कि टीम के पहुंचते ही आरा मशीन के कर्मचारी भागने लगे. आरा मशीन के मालिक रामेश्वर सुथार को बुलाया गया. पहले रामेश्वर अपनी पहुंच की धौंस देने लगा लेकिन बाद में टीम की सख्ती के बाद उसने सरेंडर कर दिया. और पूरी कहानी वन विभाग को बता दी. रामेश्वर ने बताया कि उसने लकड़ी गोकुल विश्नोई से 7 लाख रुपये में खरीदी थी. इस लकड़ी की सरकारी कीमत 12 लाख रुपए बताई जा रही है.

जानकारी के मुताबिक, वन विभाग की टीम ने आरा मशीन से जब्त की गई लकड़ी को ट्रक के माध्यम से बैतूल वापस लाया. इस पूरे अभियान में 57 घंटे लगे और 13 मई को टीम वापस बैतूल आ गई. इस मामले में अभी तक ट्रक ड्राइवर भूरा और आरा मशीन मालिक रामेश्वर सुथार को गिरफ्तार किया गया है. वहीं वन माफिया गोकुल बिश्नोई, भजन बिश्नोई और दीपक तीनों फरार हैं.

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