जाने-माने वकील मुकुल रोहतगी ने केंद्र सरकार को झटका दिया है. उन्होंने अटॉर्नी जनरल (AG) बनने के केंद्र के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. कुछ ही दिन पहले खबरें आई थीं कि मुकुल रोहतगी देश के अगले अटॉर्नी जनरल होंगे. कहा गया कि इसे लेकर उनके और सरकार के बीच सहमति बन गई है. लेकिन अब मुकुल रोहतगी ने सरकार का ऑफर ठुकरा दिया है.
"मन में कुछ और चल रहा" - ये बोलकर मुकुल रोहतगी ने अटॉर्नी जनरल बनने से इनकार किया
अब अटॉर्नी जनरल की कुर्सी पर कौन बैठेगा?
मौजूदा अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल का कार्यकाल 30 सितंबर को खत्म हो रहा है. मुकुल रोहतगी को एक अक्टूबर से ये जिम्मेदारी संभालनी थी. लेकिन उनके मन में कुछ और चल रहा है, जिसके चलते उन्होंने AG बनने से इनकार कर दिया है. हालांकि रोहतगी ने ये नहीं बताया है कि उनके मन में क्या चल रहा है. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ वकील ने सरकार का ऑफर ठुकराने की खबर की पुष्टि करते हुए केवल इतना कहा है कि I had second thoughts. मोटामाटी मतलब ये कि मुकुल रोहतगी का मन बदल गया.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक रोहतगी ने अपने इस फैसले के बारे में सरकार को बता दिया है और आभार व्यक्त किया है.
मुकुल रोहतगी 2014 से 2017 के बीच अटॉर्नी जनरल रह चुके हैं. जून 2017 में उनके इस्तीफे के बाद ही केके वेणुगोपाल को AG बनाया गया था. माना जा रहा था कि संयोग से ये पद वापस रोहतगी को मिलने वाला है. लेकिन वेणुगोपाल का कार्यकाल खत्म होने से ऐन पहले रोहतगी ने सरकार का प्रस्ताव लौटा दिया.
मौजूदा अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल का कार्यकाल तीन बार बढ़ाया जा चुका है. 2020 में जब उनका कार्यकाल पूरा हुआ तो सरकार ने एक-एक साल के दो सेवा विस्तार उन्हें दे दिए. इस साल जून में फिर तीन महीने का सेवा विस्तार दिया गया था. आजतक के मुताबिक सरकार चाहती थी कि 90 वर्षीय वेणुगोपाल आगे भी ये पद संभालते रहें. उसने एक बार फिर उनका कार्यकाल बढ़ाने की पेशकश भी की थी. लेकिन बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य का हवाला देते हुए वेणुगोपाल ने इसे स्वीकार नहीं किया.
कौन हैं मुकुल रोहतगी, जिन्हें सरकार ने फिर अटॉर्नी जनरल बनाने का ऑफर दिया है?