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राहुल गांधी के लिए सबसे अच्छी खबर अब आई है!

अदालतों के फैसलों से सांसदी जिस तरह जाती है, उसी तरह लौट भी आती है. मोहम्मद फैसल को ही लीजिए.

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राहुल गांधी और NCP सांसद मोहम्मद फैसल (फोटो सोर्स- PTI और आज तक)

राहुल गांधी का उदाहरण हमें बताता है कि 2 साल की सज़ा हो जाने पर सांसदी चली जाती है. लेकिन अब हमारे सामने एक ऐसा उदाहरण भी है, जो बताता है कि अदालतों के फैसलों से सांसदी जिस तरह जाती है, उसी तरह लौट भी आती है. हम बात कर रहे हैं NCP सांसद मोहम्मद फैसल की. इनकी सांसदी जनवरी में गई थी. मार्च खत्म होते-होते लौट आई है. 

क्या था मामला?

लक्षद्वीप से सांसद और NCP नेता मोहम्मद फैजल और 3 अन्य लोगों को हत्या के प्रयास के एक पुराने मामले में 10 जनवरी, 2023 को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी. मोहम्मद फैजल पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पीएम सईद के दामाद और कांग्रेस नेता मोहम्मद सालिया पर हमले का आरोप था. कावारत्ती जिला न्यायालय से ये सजा हुई. फैसल को कन्नूर जेल भी भेज दिया गया. 13 जनवरी को लोकसभा सचिवालय ने 1951 के ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल्स एक्ट’ की धारा 8 के प्रावधानों के मुताबिक फैसल की सदस्यता भी रद्द कर दी. ठीक उसी तरह जैसे राहुल की सदस्यता रद्द हुई. और 18 जनवरी को चुनाव आयोग ने लक्षद्वीप लोकसभा के लिए 27 फरवरी को उपचुनाव कराने की घोषणा कर दी.

ऐसे बची सांसदी

लेकिन फैसल ने कावारत्ती डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फैसले के खिलाफ केरल हाईकोर्ट में अपील की थी. केरल हाई कोर्ट ने 25 जनवरी, 2023 को फैसल की सजा और दोषसिद्धि निलंबित कर दिये. केरल हाईकोर्ट के जज बेचू कुरियन थॉमस ने कहा था कि इस तरह का कदम महंगे चुनाव से बचने के लिए जरूरी है. यह भी तथ्य है कि इस तरह से महंगी चुनाव प्रक्रिया के बाद चुने गए उम्मीदवार का कार्यकाल केवल 15 महीने का होगा.

हालांकि, केरल हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ लक्षद्वीप प्रशासन का कहना था कि अगर सजा रद्द की गई तो समाज में गलत संदेश जाएगा.

दोषसिद्धि का तो निलंबन हो गया लेकिन उपचुनाव की घोषणा हो चुकी थी. ऐसे में मोहम्मद फैसल ने 19 जनवरी को उपचुनाव करवाने के चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाल दी.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस कुरियन जोसेफ की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका पर कहा,

“निर्वाचन आयोग ने भी कह दिया है कि केरल हाई कोर्ट की ओर से पूर्व सांसद की दोष सिद्धि पर रोक लगाने के बाद अब EC नई परिस्थितियों के लिए मौजूदा नियमों के तहत आगे की कार्यवाही करेगा.”

इस पर चुनाव आयोग ने कहा,

“केरल हाईकोर्ट से दोष सिद्धि पर स्टे लगाए जाने के बाद फिलहाल उपचुनाव की जरूरत नहीं रह गई है.”

इस तरह फैसल की लक्षद्वीप लोकसभा सीट पर उपचुनाव तो रद्द हो गया. लेकिन मामला फैसल की अयोग्यता पर अटका था. इसके बाद केंद्रीय विधि मंत्रालय ने मोहम्मद फैज़ल की सदस्यता बहाल करने की आधिकारिक अनुशंसा भी जारी की. लेकिन लोकसभा सचिवालय से उनकी सदस्यता बहाली का नोटिफिकेशन आया नहीं.

24 मार्च को फैसल ने समाचार एजेंसी PTI से कहा भी,

''लोकसभा सचिवालय हमें अयोग्य ठहराने में तो झट-पट फैसला लेता है. लेकिन जब सदस्यता बहाल करने की बारी आती है, तो ढीला पड़ जाता है. जबकि विधि मंत्रालय अपनी राय साफ कर चुका है. मैं जब भी सचिवालय से अपने केस के बारे में पूछता हूं, वो यही कहते हैं कि जल्द आदेश आ जाएगा. लेकिन वो तकरीबन दो महीने से फाइल पर बैठे हुए हैं. अब मेरे पास अदालत का दरवाज़ा खटखटाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है.''

फैसल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. और लोकसभा सचिवालय की उन्हें बतौर सांसद अयोग्य घोषित करने वाली अधिसूचना वापस नहीं लेने पर सचिवालय के खिलाफ याचिका दायर कर दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 26 मार्च को अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया, कि बुधवार 29 मार्च को मामले की सुनवाई की जाए.

इस पर जस्टिस एम. जोसेफ़ और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की बेंच ने फैसल के वकील से सवाल पूछा कि फैसल का कौन सा मौलिक अधिकार है जिसका उल्लंघन हुआ है. वकील का जवाब था कि सांसद मोहम्मद फैसल से उनके निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार छीना गया है. इसके पीछे दलील थी कि दोषसिद्धि और सजा पर हाईकोर्ट रोक लगा चुका है. इसके बाद भी फैसल को सांसद पद पर बहाल नहीं किया गया है. इसके बाद पीठ 29 मार्च को सुनवाई के लिए राजी हो गई. 

लेकिन इससे पहले कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होती, आज ही लोकसभा सचिवालय ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया. इसमें केरल हाईकोर्ट के सजा रद्द करने के फैसले को ही आधार बनाकर मोहम्मद फैसल की संसद सदस्यता बहाल करने का आदेश है.

सांसदी बहाल होने के बाद मोहम्मद फैसल का बयान भी आया.
उन्होंने न्यूज़ एजेंसी ANI से कहा,

"फैसला आने में जो देरी हुई है उसकी सराहना नहीं की जानी चाहिए. मेरी सदस्यता रद्द करने में जितनी तेजी दिखाई थी उतनी ही सदस्यता बहाल करने में दिखाई जानी चाहिए. मैं एक दूरस्थ इलाके से आता हूँ. उस इलाके के लोगों के लिए कोई दूसरा MP नहीं है. लेकिन मैं फिर भी लोकसभा सचिवालय और स्पीकर का धन्यवाद करता हूं कि कम से कम उन्हें अब एहसास हुआ है कि जो उन्होंने किया, उन्हें पहले ही कर देना चाहिए था."

राहुल क्या करेंगे?

लाख रुपये का सवाल ये है कि क्या फैसल के मामले में जो हुआ, उसके बाद राहुल गांधी की सांसदी बहाल होने की कुछ उम्मीद बढ़ी है? लेकिन अब तक राहुल ने उन कानूनी उपायों का इस्तेमाल नहीं किया है, जो उनके पास हैं. क्या इसके पीछे कांग्रेस की कोई और रणनीति है? इन सवालों के जवाब हमारे साथी सौरभ की इस रिपोर्ट से मिल जाएंगे.

वीडियो: राहुल गांधी के पास बचने के 4 रास्ते, फिर भी चुप क्यों हैं? ऊपर की अदालतों में अपील क्यों नहीं की?

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