The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

अनुसूचित जाति के व्यक्ति ने पोस्टमॉर्टम किया, गांववाले अंतिम संस्कार में नहीं आए

अंतिम संस्कार के लिए बाइक से ले जाया गया शव.

post-main-image
मृतक मुचुनू का शव बाइक पर (साभार: इंडिया टुडे)

ओडिशा में एक व्यक्ति के शव को दाह संस्कार के लिए बाइक पर ले जाया गया. क्योंकि उसके रिश्तेदारों और गांव के लोगों ने अंतिम संस्कार में शामिल होने से मना कर दिया. ऐसा इसलिए क्योंकि मृत व्यक्ति का पोस्टमॉर्टम एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति ने किया था.

इंडिया टुडे से जुड़े सुफ़ियान की ख़बर के मुताबिक, मामला ओडिशा के बरगढ़ जिले के माहुलपाली गांव का है. मृतक का नाम मुचुनू संधा था और वो दिहाड़ी मजदूर थे. मुचुनू संधा को लीवर की बीमारी थी. तबीयत ज़्यादा खराब होने पर उन्हें इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा उनका पोस्टमॉर्टम कराया गया और बाद में शुक्रवार यानी 23 सितंबर को एंबुलेंस से उन्हें उनके गांव लाया गया.

ख़बर के मुताबिक, मुचुनू का शव घर के अंदर उसकी गर्भवती पत्नी, तीन साल की बेटी और बूढ़ी मां के सामने पड़ा रहा लेकिन गांव और रिश्तेदारों में से मृतक के अंतिम संस्कार के लिए कोई नहीं आया. शव घर के अंदर घंटों रखा रहा, लेकिन कुछ समय बाद गांव की प्रधान के पति सुनील बेहरा आए और शव को अपनी बाइक पर ले जाने का फैसला किया.

ख़बर के मुताबिक इससे पहले सुनील ने ही एम्बुलेंस के पैसो का भुगतान भी किया था क्योंकि मृतक के परिवार के पास एम्बुलेंस को देने लिए पैसे नहीं थे. इंडिया टुडे से बात करते हुए सुनील ने कहा, 

"मुचुनू की तबीयत काफी समय से खराब थी. इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट होने के बाद इलाज के दौरान ही उनकी मौत हो गई थी. उनके परिवार में गर्भवती पत्नी, एक बेटी और एक बुजुर्ग मां है. इसलिए हमने  7000-8000 रुपये इकट्ठे किये और एम्बुलेंस के पैसो का भुगतान किया."

इस मामले में एक दूसरा दावा भी किया जा रहा है. ख़बर के मुताबिक सुनील ने बहिष्कार पर सवाल टालते हुए दावा किया कि गांव में एक नियम है. गांववाले मृतकों का पोस्टमॉर्टम कराने से नाखुश होते हैं. इसलिए वे उन लोगों के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होते हैं, जिनका पोस्टमॉर्टम हो चुका है. और उन्होंने कहा,

"मुचुनू के परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है, इसलिए मुझे अपनी बाइक पर शव को श्मशान ले जाना पड़ा. मैंने एम्बुलेंस चालक और कर्मचारियों से शव को श्मशान घाट ले जाने का आग्रह किया, लेकिन सड़क खराब होने के कारण एम्बुलेंस को बीच में ही रोकना पड़ा."

बताया जा रहा है कि एम्बुलेंस चालक और उसके कर्मचारियों की मदद से श्मशान घाट पर जाकर अंतिम संस्कार किया गया.

कौन हैं वो दो जज, जिन्होंने किया SC-ST ऐक्ट में बदलाव किया