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भारत-नेपाल के बीच क्या बड़ी डील हुई? नेपाली PM के भारत दौरे की 5 जरूरी बातें

चीन के पक्षधर माने जाने वाले प्रचंड पीएम मोदी से मिले तो क्या हुआ?

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1 जून को PM मोदी ने नेपाल के PM प्रचंड से मुलाक़ात की है. (फोटो सोर्स- आज तक)

नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड. पूरा नाम पुष्प कमल दहल 'प्रचंड'. वे 31 मई 2023 को भारत आए हैं. चार दिन के दौरे पर. आज 1 जून को उनकी मुलाकात PM मोदी से भी हुई. प्रचंड को भारत की तुलना में चीन की तरफ ज्यादा झुकाव माना जाता है. बीते कुछ सालों में नेपाल का भारत के प्रति रुख भी कुछ ठीक नहीं रहा है. ऐसे में उनके इस दौरे से क्या बदलने वाला है? प्रचंड ने भारत और नेपाल के बीच किस संधि में संशोधनों पर दस्तखत किए हैं. इसमें नेपाल का फायदा क्या है? सब कुछ पांच पॉइंट में समझते हैं-

प्रचंड कब तक भारत रहेंगे?

बुधवार, 31 मई 2023 को प्रचंड भारत आए हैं. वे यहां तीन जून तक रहेंगे. प्रचंड ने बीते साल दिसंबर में नेपाल के प्रधानमंत्री का पद संभाला था. वे नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओवादी (CPN-माओवादी) के नेता हैं. प्रचंड का दिल्ली हवाई अड्डे पर भारत सरकार में विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने स्वागत किया. इससे पहले भी प्रचंड, साल 2008 और 2016 में नेपाली प्रधानमंत्री के तौर पर भारत की यात्रा पर आ चुके हैं.

भारत-नेपाल में क्या संधि हुई?

आज 1 जून को प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल के PM प्रचंड के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की. PM मोदी ने जो कहा उसे संक्षिप्त में जान लेते हैं-

-दोनों देशों के बीच ट्रांज़िट अग्रीमेंट संपन्न किया गया है. इसमें नेपाल के लोगों के लिए नए रेलरूट्स के साथ-साथ भारत के इनलैंड वाटर रूट्स की सुविधा का भी प्रावधान किया गया है.
-नए रेललिंक्स बनाकर फिजिकल कनेक्टिविटी बनाने का निर्णय लिया गया है.
-नेपाल के रेलकर्मियों को भारत में ट्रेनिंग दी जाएगी. दो और पुल बनाए जाएंगे.
-क्रॉस-बॉर्डर डिजिटल पेमेंट के माध्यम से फाइनेंशियल कनेक्टिविटी बढ़ेगी.
-आज भारत और नेपाल के बीच लॉन्ग टर्म पावर ट्रेड अग्रीमेंट संपन्न किया गया है. इसके तहत हमने आने वाले दस सालों में नेपाल से 10 हजार मेगावाट बिजली आयत करने का लक्ष्य रखा है.
-नेपाल में एक फ़र्टिलाइज़र प्लांट लगाने के लिए भी सहमति बनी है.

यात्रा से नेपाल को क्या फायदा?

बता दें कि 1999 में नेपाल और भारत के बीच ट्रांज़िट संधि हुई थी. हर सात साल में ये एग्रीमेंट स्वतः रिन्यू हो जाता था. आखिरी बार जनवरी 2020 में ये एग्रीमेंट रिन्यू हुआ था. अब इसमें जो संशोधन हुए हैं उनसे आयात और निर्यात में लगने वाले समय और लागत में कमी आएगी. और भी कई फायदे होंगे. नेपाल अभी तक सामान के आयात और निर्यात के लिए भारत के कोलकाता बंदरगाह का इस्तेमाल करता रहा है. एग्रीमेंट में जो नए बदलाव हुए हैं, उनसे नेपाल को भारत के दूसरे जलमार्गों तक भी पहुंच मिल जाएगी.

दौरे पर प्रचंड और क्या-क्या करेंगे?

भारत दौरे पर आए प्रचंड, उज्जैन और इंदौर के मंदिर देखने भी जाएंगे. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान PM मोदी ने प्रचंड को इसके लिए शुभकामनाएं भी दीं. प्रचंड 2 जून को इंदौर और उज्जैन जाएंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, वो उज्जैन के महाकाल मंदिर में दर्शन करेंगे और उसके बाद इंदौर लौटकर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के काम का जायजा लेंगे. इसके बाद प्रचंड, इंदौर में TCS और इंफोसिस के कैंपस का भी दौरा करेंगे.

प्रचंड के दौरे के राजनीतिक मायने

प्रचंड के बारे में कहा जाता है कि वो भारत और अमेरिका को साम्राज्यवादी देश मानते हैं. नेपाल को लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के पक्ष में अमेरिका और यूरोपियन यूनियन का समर्थन जुटाने के लिए भारत ने भी मदद की थी. लेकिन साल 2013 में प्रचंड ने कहा था कि भारत को नेपाल की राजनीति में 'माइक्रो मैनेजमेंट' की कोशिश नहीं करनी चाहिए. प्रचंड ने चेतावनी दी थी कि ये भारत के लिए ही नुकसानदेह होगा. प्रचंड का ये भी कहना था कि नेपाल में पश्चिमी देशों की भूमिका बढ़ी तो इसकी प्रतिक्रिया में चीन ने भी नेपाल में अपनी मौजूदगी और प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की.

इंडियन एक्सप्रेस अख़बार में छपी नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार युबराज घिमिरे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रचंड के दिल्ली आने से कुछ घंटे पहले ही नेपाली राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने नेपाल के नागरिकता क़ानून में एक संशोधन पर अपनी सहमति दी है. संशोधन के मुताबिक, नेपाली पुरुषों से शादी करने वाली विदेशी महिलाओं को नेपाली नागरिकता के लगभग सभी अधिकारों सहित राजनीतिक अधिकारों की भी गारंटी मिलती है. पौडेल का ये कदम चीन के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. क्योंकि चीन लगातार इस क़ानून के खिलाफ रहा है. उसका कहना है कि ये क़ानून तिब्बती शरणार्थियों को नागरिकता और संपत्ति के अधिकार दे सकता है.