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PM मोदी के मंत्री बोले, 'राष्ट्रपति संसद के सदस्य नहीं', मनीष तिवारी का जवाब, 'आर्टिकल 79 पढ़िए'

ये राजनीतिक खींचातानी नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर है. 28 मई को पीएम मोदी इसका उद्घाटन करने जा रहे हैं.

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संसद भवन के उद्धाटन समारोह को लेकर विवाद. (फोटो- ट्विटर)

नए संसद भवन (New Parliament Building) का उद्घाटन राष्ट्रपति से न कराने को लेकर विपक्षी पार्टियों का विरोध जारी है. विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार को घेरते हुए कई सवाल उठाए हैं. इसको लेकर अब बीजेपी की तरफ से प्रतिक्रिया सामने आई है. पार्टी के सांसद और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट कर दलील दी है कि राष्ट्रपति संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं होते हैं.

कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर जवाब देते हुए हरदीप पुरी ने विपक्षी दल पर बेवजह विवाद खड़ा करने का आरोप लगाया है. उन्होंने ट्वीट में लिखा,

“कांग्रेस की आदत है जहां कोई विवाद नहीं होता है वहां विवाद खड़ा करना. राष्ट्रपति राज्य के प्रमुख होते हैं, पीएम सरकार का प्रमुख होता है. पीएम सरकार की ओर से संसद का नेतृत्व करता है, जिसकी नीतियां कानून के रूप में लागू होती हैं. राष्ट्रपति संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं होते हैं. जबकि पीएम किसी एक सदन का सदस्य होता है.”

हालांकि हरदीप पुरी के इस ट्वीट के बाद कांग्रेस का पलटवार आया. केंद्रीय मंत्री को जवाब देते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने संविधान के आर्टिकल 79 का ज़िक्र कर दिया. उसका हवाला देते हुए मनीष ने कहा कि संघ के लिए एक संसद होगी जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन होंगे (राज्यसभा और लोक सभा). तिवारी ने आगे कहा कि केंद्रीय मंत्रियों को भारत का संविधान बहुत ध्यान से पढ़ना चाहिए.

क्या है विवाद?

दरअसल, 28 मई को पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करने जा रहे हैं. कांग्रेस समेत कई अन्य विपक्षी नेताओं ने सवाल खड़ा किया है कि पीएम क्यों संसद भवन का उद्घाटन कर रहे हैं, ये राष्ट्रपति द्वारा क्यों नहीं कराया जा रहा है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सवाल करते हुए एक ट्वीट में लिखा,

“ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ने दलित और आदिवासी समुदायों से राष्ट्रपति का चुनाव केवल चुनावी कारणों के लिए किया है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नई संसद के शिलान्यास समारोह में नहीं बुलाया गया था. अब नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाया जा रहा है.”

उन्होंने आगे लिखा,

“राष्ट्रपति सरकार, विपक्ष और हर नागरिक का समान रूप से प्रतिनिधित्व करती हैं. वो भारत की प्रथम नागरिक हैं. वो उद्घाटन करेंगी तो ये लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा.”

इससे पहले राहुल गांधी ने भी राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटन की मांग की थी. उन्होंने ट्वीट में लिखा,

“नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति जी को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं!”

AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी मोदी सरकार से सवाल किया था. उन्होंने लिखा,

"प्रधानमंत्री संसद का उद्घाटन क्यों कर रहे हैं? वो कार्यपालिका के प्रमुख हैं, विधायिका के नहीं. हमारे यहां राज्य की शक्तियों के विभाजन का सिद्धांत लागू है. लोकसभा स्पीकर या राज्यसभा के चेयरमैन भी उद्घाटन कर सकते थे. ये (नया संसद भवन) जनता के पैसे से बनाया गया है."

AIMIM प्रमुख ने ये भी लिखा कि प्रधानमंत्री ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं जैसे उनके "दोस्तों" ने अपने निजी फंड से नई संसद को स्पॉन्सर किया है.