नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सियासी बवाल जारी है. देश की 19 राजनीतिक पार्टियां कह चुकी हैं कि वो 28 मई को होने वाले इस उद्घाटन कार्यक्रम में नहीं जाएंगी. इन पार्टियों में कांग्रेस, DMK, AAP, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), TMC, JDU, RJD इत्यादि शामिल हैं. इनके नेताओं को पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा नई संसद इमारत का उद्घाटन किए जाने को लेकर आपत्ति है. वहीं कुछ राजनीतिक दलों को इससे कोई आपत्ति नहीं है और उनके प्रमुख नेता उद्घाटन समारोह में जाएंगे. इनमें बीजू जनता दल, शिरोमणि अकाली दल जैसी पार्टियां शामिल हैं.
19 विपक्षी दल नए संसद के उद्घाटन में नहीं जा रहे, लेकिन जो जा रहे उनकी संख्या कितनी है?
नवीन पटनायक की BJD ने क्या कह दिया?
कौन-कौन सी पार्टी उद्घाटन में हिस्सा लेंगी?
इस लिस्ट पर पहला नाम है शिरोमणि अकाली दल (SAD) का. इसके अध्यक्ष सुखबीर बादल संसद भवन के उद्घाटन में शामिल होंगे. SAD के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि नए संसद भवन का उद्घाटन गर्व की बात है और इस मौके का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) ने भी घोषणा की है कि वो संसद भवन के उद्घाटन प्रोग्राम में जाएगी. इसके साथ ही आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देसम पार्टी (TDP) भी इस समारोह में हिस्सा लेगी.
ओडिशा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल (BJD) ने भी इस समारोह में हिस्सा लेने की बात कही है. BJD के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सस्मित पात्रा ने कहा,
"BJD का मानना है कि इन संवैधानिक संस्थाओं को किसी भी मुद्दे से ऊपर होना चाहिए. ऐसा नहीं हुआ तो उनकी पवित्रता और सम्मान पर प्रभाव पड़ सकता है. इस तरह के मुद्दों पर सदन में बाद में हमेशा बहस की जा सकती है. इसलिए BJD इस ऐतिहासिक लम्हे का हिस्सा बनेगी."
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिवसेना (एकनाथ शिंदे), बसपा, AIADMK, RPI, और LJP भी इस समारोह में हिस्सा ले सकती हैं.
बहिष्कार करने वाली पार्टियां
उधर विपक्ष की कुल 19 पार्टियों ने समारोह के बहिष्कार की घोषणा करते हुए एक संयुक्त बयान भी जारी किया है. इसमें कहा गया है,
"राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्णय न केवल एक गंभीर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है."
बयान में आगे लिखा है,
"राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है. फिर भी, प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है. ये अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है. ये सम्मान के साथ सबको साथ लेकर चलने की उस भावना को कमजोर करता है जिसके तहत देश ने अपनी पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति का स्वागत किया था."
विपक्षी दलों के इस संयुक्त बयान में आगे कहा गया है कि जब लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निकाल दिया गया है तो उन्हें नई इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता.
इन 19 विपक्षी पार्टियों ने लिया है बहिष्कार का फैसला-
- कांग्रेस
- द्राविड़ मुन्नेत्र कड़गम
- आम आदमी पार्टी
- तृणमूल कांग्रेस
- शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)
- समाजवादी पार्टी
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
- झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)
- केरल कांग्रेस (मणि)
- विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची
- राष्ट्रीय लोकदल
- जनता दल (यूनाइटेड)
- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी
- राष्ट्रीय जनता दल
- इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
- नेशनल कांफ्रेंस
- रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी
- मारुमलार्ची द्राविड़ मुन्नेत्र कड़गम
NDA का जवाब
इधर NDA से जुड़ी पार्टियों ने भी विपक्षी दलों के इस रुख के खिलाफ स्टेटमेंट जारी किया है. बीजेपी समेत NDA के 14 सहयोगी दलों ने विपक्ष के फैसले को अपमानजनक, लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मान्यताओं पर हमला बताया है.
साथ ही संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा है कि ये कोई मसला ही नहीं है. विपक्ष बिना किसी बात के इसका राजनीतिकरण कर रहा है. प्रल्हाद ने विपक्षी पार्टियों को अपने फैसले पर फिर से गौर करने और समारोह में हिस्सा लेने की अपील की है.
वीडियो: नए संसद भवन के उद्घाटन में ये 19 पार्टियां नहीं जाएंगी, एक पार्टी का नाम तो चौंका देगा!