केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 26 अगस्त को कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपने हालिया अनुमान में कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.4 फीसदी की दर से बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि इसी तरह का अनुमान सरकार ने भी लगाया है और यह घरेलू आकलन के अनुरूप है. वित्त मंत्री ने कहा कि IMF और विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि भारत की अर्थव्यवस्था अगले दो वित्त वर्षों में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ेगी.
दो साल में सबसे तेजी से बढ़ेगी इकॉनमी, IMF और वर्ल्ड बैंक का हवाला दे बोलीं वित्त मंत्री
'रेवड़ी कल्चर' पर डिबेट के बीच निर्मला सीतारमण ने कहा कि मुफ्त चीजें बजट से बाटी जाएं, दूसरों पर बोझ ना डाला जाए.
हालांकि, उन्होंने इसके साथ ये भी कहा कि बाहरी कारणों के चलते अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता बनी हुई है, इसलिए वृद्धि को लेकर निश्चिंत होने का ये सही समय नहीं है.
मुंबई में आयोजित फाइनेंशियल एक्सप्रेस बेस्ट बैंक अवॉर्ड कार्यक्रम के मौके पर सीतारमण ने कहा कि मजबूत कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन एक स्पष्ट संकेत था कि निजी निवेश एक टिकाऊ खपत-मांग के वादे पर बढ़ रहा है.
केंद्रीय मंत्री ने निर्यात को लगातार समर्थन देते रहने की ओर इशारा किया और बताया कि विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए सरकार क्या कर रही है. उन्होंने कहा,
‘हम भारत में विदेशी निवेश को बढ़ाना चाहते हैं ताकि वृद्धि की रफ्तार धीमी न पड़े. हम निश्चित रूप से इस दिशा में काम कर रहे हैं.’
निर्मला सीतारमण ने हाल में बहस का विषय बने तथाकथित 'रेवड़ी कल्चर' पर भी अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि 'रेवड़ियों में क्या-क्या शामिल है' के बजाय वो इस बात को लेकर चिंतित हैं कि मुफ्त में दी जा रही चीजों का भार 'किसी और के कंधे' पर डाला जा रहा है, जैसे कि डिस्कॉम. जबकि इसका भुगतान बजट से होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जो राजनीतिक दल इस तरह के वादे कर रहे हैं, उन्हें इसके खर्च का प्रावधान बजट में करना चाहिए. वित्त मंत्री ने कहा,
रेवड़ी कल्चर डिबेट पर बोलीं Nirmala Sitharaman'लोगों को सशक्त बनाना और उन्हें दलदल से निकाल कर उनके पैरों पर खड़ा करने के लिए सुविधाएं देना ठीक है. लेकिन इस चीज को अधिकार में तब्दील कर देना बिल्कुल अलग बात है.'
मालूम हो कि आगामी गुजरात चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी द्वारा मुफ्त में कई चीजें देने की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे 'रेवड़ी कल्चर' कहते हुए निशाना साधा. सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर चिंता जाहिर की है और सुनवाई के लिए मामले को तीन सदस्यीय पीठ के पास भेज दिया है.
निर्मला सीतारमण ने इस बातचीत में यह भी स्पष्ट किया कि वित्त मंत्रालय का कोई ऐसा प्लान नहीं है कि UPI पर कोई चार्ज लगाया जाए. उन्होंने कहा कि सर्विस प्रोवाइडर्स की चिंताओं का समाधान अन्य तरीकों से किया जाएगा. वित्त मंत्री ने कहा,
‘हमरा मानना है कि डिजिटल भुगतान जनता की भलाई के लिए है. लोगों को इन सुविधाओं का स्वतंत्र रूप से उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण लोगों के लिए आकर्षक हो और डिजिटलीकरण के माध्यम से, हम उच्च स्तर की पारदर्शिता प्राप्त कर सकें. इसलिए हम अभी भी सोचते हैं कि इस पर चार्ज लगाने का यह समय नहीं है.’
मंत्री ने कहा कि यदि डिजिटल भुगतान तंत्र के बजट में कमी आती है, तो इसका अलग से समाधान किया जाएगा. UPI और रुपे डेबिट कार्ड के लेनदेन में आने वाले खर्च का भुगतान करने के लिए सरकार ने 1500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
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