कोरोमंडल एक्सप्रेस (Coromandel Express) चलाने वाले सहायक लोको पायलट के बारे में जानकारी मिली है. 36 साल के हजारी बेहरा ICU में भर्ती हैं. उनका इलाज भुवनेश्वर के AMRI अस्पताल में चल रहा है. हजारी के बाएं पैर में फ्रैक्चर है और शरीर पर कई जगह खरोंच हैं. उनकी पत्नी ने बताया कि वो अभी काफी कमजोर हैं और सीधे होकर बैठ भी नहीं पा रहे हैं. 2 जून को ओडिशा के बालासोर में हुए हादसे में हजारी बेहरा मौत से बाल-बाल बच गए.
हजारी बेहरा के सहयोगी लोको पायलट जी.एन. मोहंती की हालत गंभीर बताई जा रही है. वो भी उसी अस्पताल के ICU में भर्ती हैं.
द हिंदू से जुड़ीं मैत्री पोरेचा की रिपोर्ट के मुताबिक, हादसे के बाद स्थानीय मीडिया में हजारी बेहरा की मौत से जुड़ी फर्जी खबरें चली थीं. जिसको लेकर उनका परिवार काफी दुखी था. हजारी की पत्नी ने कहा कि मीडिया को इस बात का एहसास नहीं है कि इस तरह की झूठी खबरें घायलों के परिवार पर भारी पड़ सकती हैं.
'लोको पायलट के पास कंट्रोल नहीं होता'
रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे कई लोग हैं जो ट्रेन हादसे के लिए लोको पायलट और उनके सहायक को दोषी ठहरा रहे हैं. इसपर रेल अधिकारियों की तरफ से बयान सामने आया है. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द हिंदू को बताया कि लोको पायलट का काम ट्रेन स्टार्ट करना, रोकना और गति देना है. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे 128 किलोमीटर प्रति घंटे पर चल रही ट्रेन का लोको पायलट देख ले कि वो मालगाड़ी से टकराने वाले हैं. वो भी रात के अंधेरे में. तब जब उसे मेन लाइन पर आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी मिल गई हो.
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेन जब ट्रैक स्विच करती है तो सिग्नल हरा किया जाता है. ये सुनिश्चित करता है कि ट्रेन सही ट्रैक पर चल रही है. ये पूरा काम सेक्शन ऑफिस से होता है जहां सिग्नलमैन, सेक्शन ऑफिसर, सेक्शन हेड और स्टेशन मास्टर होते हैं. अधिकारी ने बताया कि लोको पायलट का इसपर कोई कंट्रोल नहीं होता.
हादसे पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की वजह से दुर्घटना हुई है. इसकी जांच की जा रही है. अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हादसे की वजह और कौन लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं, उनकी पहचान कर ली गई है.
कैसे हुआ रेल हादसा?
बालासोर रेल हादसा तब हुआ, जब चेन्नई की ओर जा रही शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई. यह बगल के ट्रैक पर खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई. इससे कोरोमंडल एक्सप्रेस का पिछला डिब्बा तीसरे ट्रैक पर जा गिरा. तीसरे ट्रैक पर सामने से आ रही बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से टकराकर पटरी से उतर गई.
इस हादसे में अबतक 275 लोगों की मौत का आंकड़ा सामने आया है. इसके अलावा इस भीषण ट्रेन एक्सीडेंट में 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए है. उनका ओडिशा के 21 अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है.