ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे (Odisha Rail Accident) में अब तक 280 लोगों की जान जा चुकी है और 900 से अधिक लोग घायल हुए हैं. इस बीच रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का एक बयान सामने आया है. वैष्णव ने 31 मई को ये बयान दिया था. उन्होंने CNN-News 18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि पिछले 9 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेलवे का कायाकल्प कर दिया है.
रेल हादसे की बात करें तो दो जून की शाम को इसकी खबर आई. शुरुआत में पता चला कि एक मालगाड़ी और एक एक्सप्रेस ट्रेन की टक्कर हुई. बाद में पता चला कि दरअसल हादसे में तीन ट्रेनें शामिल थीं. एक मालगाड़ी, कोरोमंडल एक्सप्रेस और हावड़ा एक्सप्रेस की टक्कर हुई थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चेन्नई की तरफ जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानगा बाजार स्टेशन से 300 मीटर पहले पटरी से उतर गई थी. एक्सप्रेस आउटर लाइन पर खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई और उसके डिब्बे तीसरे ट्रैक पर पहुंच गए. कोरोमंडल एक्सप्रेस का इंजन मालगाड़ी पर चढ़ गया था. इस बीच तेज रफ्तार से आ रही हावड़ा-बेंगलुरु एक्सप्रेस ट्रैक पर मौजूद कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियों से टकरा गई. हावड़ा-बेंगलुरु एक्सप्रेस विपरीत दिशा से आ रही थी.
इधर रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो चुका है और अब मरम्मत का काम चल रहा है.
इससे पहले, डिब्बों में फंसे लोगों को गैस कटर का इस्तेमाल कर निकाला गया था.
इस रेल हादसे पर जारी की गई प्रेस रिलीज के मुताबिक ट्रेन नंबर 12841 (कोरोमंडल एक्सप्रेस) के कोच B2 से B9 तक के कोच पलट गए थे. वहीं A1-A2 कोच भी ट्रैक पर औंधे जा पड़े. वहीं, कोच B1 के साथ-साथ इंजन पटरी से उतर गया और कोच H1 और जीएस कोच ट्रैक पर रह गए. वहीं, ट्रेन नंबर 12864 (बेंगलुरु हावड़ा मेल) का एक जीएस कोच क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके साथ ही पीछे की ओर का जीएस कोच और दो बोगियां पटरी से उतर कर पलट गईं. वहीं कोच A1 से इंजन तक की बोगी ट्रैक पर रहीं.
हादसे की जानकारी मिलते ही बचाव अभियान शुरू कर दिया गया था. रात भर चला रेस्क्यू ऑपरेशन 3 जून की सुबह तक जारी रहा. NDRF की 7 टीमें, ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स की 5 टीमें, फायर ब्रिगेड की 24 गाड़ियां, लोकल पुलिस और वॉलेंटियर बचाव अभियान में जुटे रहे. ओडिशा सरकार के मुताबिक मौके पर 200 एम्बुलेंस लगाई गईं. साथ ही 45 मोबाइल हेल्थ टीम, 50 डॉक्टर लगाए गए थे. बचाव अभियान में मदद के लिए सेना भी जुटी थी.