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20 रुपये में लोगों का इलाज करने वाले डॉक्टर को पद्मश्री, सेना में रहकर किया था ये काम

2 रुपये की फीस से शुरू किया था इलाज.

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डॉक्टर डावर (फोटो- ANI)

74 वें गणतंत्र दिवस (74th Republic Day) की पूर्व संध्या पर सरकार ने पद्म पुरस्कार विजेताओं के नामों का ऐलान कर दिया गया है. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) और ORS के खोजकर्ता डॉ. दिलीप महलानोबिस को मरणोपरांत देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (Padma Vibhushan) दिया गया है. सरकार ने पद्मश्री अवार्ड (Padma Shri) विजेताओं के नाम भी घोषित किए हैं. इसमें से एक नाम है जबलपुर के डॉक्टर एमसी डावर का. जो महज 20 रुपये में लोगों का इलाज (Dr MC Dawar) करने के लिए जाने जाते हैं.

सेना में की थी सेवा

इंडिया टुडे से जुड़े धीरज शाह की रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर डावर MBBS करने के बाद सेना में भर्ती हुए थे. जिसके बाद उन्होंने साल 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कई सैनिकों का इलाज किया था. रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर डावर को भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद एक बीमारी के कारण सेना से रिटायर होना पड़ा था. डॉक्टर डावर ने इंडिया टुडे से बात करते हुए बताया,

“मैंने अपने गुरु से सेवा करने की भावना सीखी थी. साल 1986 में मैंने 2 रुपये फीस लेना शुरू की थी. जिसके बाद 3 और फिर साल 1997 आते-आते 5 रुपये फीस लेना शुरू की थी.”

डॉक्टर डावर बताते हैं कि 2012 में उन्होंने अपनी फीस 10 रुपये की थी. और वर्तमान में वो सिर्फ 20 रुपये की फीस लेकर इलाज करते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर डावर को 77 साल की उम्र में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है.

पाकिस्तान में जन्में थे डॉक्टर डावर

डॉक्टर एमसी डावर का जन्म 16 जनवरी 1946 को पाकिस्तान के पंजाब में हुआ था. जिसके बाद उनका परिवार हिंदुस्तान आकर मध्य प्रदेश के जबलपुर में रहने लगा. डॉक्टर डावर ने साल 1967 में MBBS की डिग्री हासिल की. इसके बाद 1971 से लेकर 1972 तक उन्होंने सेना में सेवा की.

रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर डावर की पत्नी शशि डावर का निधन हो चुका है. उनके परिवार में उनके बेटे डॉक्टर ऋषि डावर और बहू सुचिता डावर हैं. न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए डॉक्टर डावर ने कहा कि इतनी कम फीस को लेकर घर में जरूर चर्चा होती थी पर कभी कोई विवाद नहीं हुआ. मेरा उद्देश्य मात्र इतना था कि लोगों की सेवा की जा सके. इसलिए फीस को नहीं बढ़ाया. सफलता के ढेरों मूल मंत्र हैं. अगर आप धैर्य पूर्वक काम करते हैं तो आज नहीं तो कल आपको सफलता जरूर मिलती है और सफलता का सम्मान भी होता है

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