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IAS एग्जाम को लेकर ये बड़ा फैसला कर सकती है सरकार

संसदीय समिति ने सिविल सेवा परीक्षा को लेकर कई सिफारिशें की है.

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UPSC की सांकेतिक तस्वीर (फोटो- पीटीआई)

केंद्र सरकार आधे से भी कम IAS अधिकारियों के साथ काम कर रही है. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं. केंद्र सरकार ने खुद ये जानकारी दी है. केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने संसदीय समिति को बताया है कि केंद्र सरकार के साथ सिर्फ 442 IAS अधिकारी काम कर रहे हैं. जबकि कुल स्वीकृत पदों की संख्या 1,469 है. इसके अलावा देश भर में IAS अधिकारियों के 1472 पद खाली हैं. सिविल सेवा परीक्षा के जरिये हर साल 180 IAS अफसरों की नियुक्ति होती है. संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि इसकी संख्या बढ़ाई जानी चाहिए.

ये सभी जानकारी DoPT की डिमांड्स फॉर ग्रांट्स रिपोर्ट, 2023-24 में दी गई है, जिसे पिछले हफ्ते राज्यसभा में पेश किया गया था. अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार में ऑल इंडिया सर्विस के अफसरों जैसे IAS और IPS की भारी कमी है. क्योंकि कई अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में आना नहीं चाहते या राज्य सरकारें अपने यहां अधिकारियों की कमी के कारण उन्हें पद से मुक्त नहीं करना चाहते.

रिपोर्ट के मुताबिक, देश में IAS अधिकारियों की कुल संख्या 5,317 है. समिति को ये भी बताया गया कि 115 IAS अफसरों ने अपनी अचल संपत्ति का रिटर्न फाइल नहीं किया है, जो अनिवार्य है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि CBI में 23 फीसदी पद खाली हैं. एक जनवरी 2022 से सिर्फ 175 अधिकारियों की नियुक्ति हुई है.

सिविल सेवा परीक्षा की प्रक्रिया 6 महीने में पूरी हो

इस संसदीय समिति के अध्यक्ष बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी हैं. दैनिक भास्कर अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, समिति ने ये भी सिफारिश की है कि सिविल सेवा परीक्षा आयोजित कराने की अवधि को कम किया जाना चाहिए. समिति ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा के नोटिफिकेशन जारी होने से लेकर रिजल्ट जारी होने तक 15 महीने का समय लग जाता है. समिति के मुताबिक, इस पूरी प्रक्रिया में 6 महीने से ज्यादा का समय नहीं लगना चाहिए. समिति ने UPSC से यह भी पूछा कि सिविल सेवा परीक्षा देने के लिए आधे उम्मीदवार ही क्यों पहुंचते हैं. पिछले दो सालों से जितने उम्मीदवार फॉर्म भर रहे हैं, उनमें आधे ही परीक्षा देने पहुंच रहे हैं. समिति ने UPSC से पिछले 5 साल में ली गई फीस की जानकारी भी मांगी है.

इसके अलावा, संसदीय समिति ने UPSC से सिफारिश की है कि वह सिविल सेवा पीटी (प्रीलिमिनरी टेस्ट) परीक्षा की आंसर-की तुरंत पब्लिश करे. अभी, पीटी परीक्षा की आंसर-की फाइनल परीक्षा होने के बाद जारी की जाती है.

संसदीय समिति ने विदेश सेवा में तैनात अधिकारियों की पोस्टिंग को लेकर भी सिफारिश की है. समिति ने सिविल सर्विस की समीक्षा में पाया कि जब पति-पत्नी में से कोई एक ऑल इंडिया सर्विस और दूसरा विदेश सेवा में होता है तो उन्हें पोस्टिंग को लेकर दिक्कत होती है. IFS के पास क्षेत्रीय पासपोर्ट ऑफिस या राज्यों के ब्रांच में निर्धारित पदों के अलावा पोस्टिंग का विकल्प नहीं होता है. लेकिन ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारियों के पास डेप्यूटेशन (राज्य से केंद्र में या केंद्र से राज्य में जाने) का विकल्प होता है. इसलिए समिति ने सिफारिश की है कि ऑल इंडिया सर्विस के ऐसे अधिकारियों को AGMUT कैडर आवंटित की जाए. AGMUT यानी अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित कैडर. इससे अधिकारियों को दिल्ली या उनके राज्यों में पोस्टिंग मिल सकेगी, जहां उनके पति या पत्नी की पोस्टिंग होगी.

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