उत्तराखंड (Uttarakhand) में 3 मई से चारधाम यात्रा (Char Dham Yatra) शुरू हो चुकी है. चारधाम यानी बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री. यात्रा शुरू होने के साथ ही केदारनाथ घाटी में श्रद्धालुओं के तंबू लगने शुरू हो गए हैं. श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के साथ ही कचरा और गंदगी भी बढ़ने लगी है. समस्या इतनी गंभीर हो चली है कि श्रद्धालुओं में बीमारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते कचरे का प्रबंधन नहीं किया गया, तो 2013 जैसी भीषण आपदाओं का खतर बढ़ सकता है.
दरअसल, केदारनाथ जाने का रास्ता काफी मुश्किल है. यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु पहले सोनप्रयाग आते हैं, फिर वहां से गौरीकुंड तक का रास्ता गाड़ियों से तय करते हैं. केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए 16 किलोमीटर का लंबा रास्ता पैदल तय करना पड़ता है. इस दौरान जगह-जगह श्रद्धालु अपने तंबू लगाते हैं. कैंप में रुकने वाले यही श्रद्धालु अपने पीछे प्लास्टिक की बोतल, पॉलिथीन और बाकी कई तरह का कचरा छोड़ जाते हैं. ट्विटर पर सामने आई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि घाटी में लोगों ने इतना कचरा छोड़ा है कि वहां भी अब कूड़े का ढेर नजर आने लगा है. ऐसे कूड़े के बीच श्रद्धालु रात गुजारने और खाना पकाने के लिए मजबूर हैं, जिससे वे बीमार भी पड़ सकते हैं. वहीं राज्य प्रशासन के आदेश के मुताबिक, बद्रीनाथ में रोज 15 हजार, केदारनाथ में 12 हजार, गंगोत्री में 7 हजार और यमुनोत्री में 4 हजार तीर्थयात्री ही दर्शन कर सकते हैं.
विशेषज्ञों ने क्या कहा?
गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के जियोग्राफी डिपार्ट्मेंट के हेड प्रोफेसर एमएस नेगी कहते हैं,
"केदारनाथ जैसी संवेदनशील जगह पर जिस तरह प्लास्टिक का कचरा इकट्ठा हो गया है, वो हमारे इकोसिस्टम के लिए बेहद नुकसानदायक है. इससे मिट्टी का कटाव होगा. जिसका नतीजा भूस्खलन के रूप में देखने को मिलेगा. हमें 2013 में हुई त्रासदी को भूलना नहीं चाहिए और सावधान रहना चाहिए."
इसके साथ ही HAPPRC के डायरेक्टर प्रोफेसर एमसी नौटियाल का कहना है,
"यहां पर्यटकों का आना-जाना कई गुना बढ़ गया है. इस वजह से प्लास्टिक कचरा भी बहुत तेजी से बढ़ा है. दूसरा कारण ये है कि यहां सफाई की उचित सुविधाएं नहीं हैं. इस वजह से यहां की वनस्पतियों पर असर पड़ रहा है. यहां कई सारे औषधीय पौधे गायब होते जा रहे हैं."
इधर चारधाम यात्रा को लेकर एक बैठक भी आयोजित की गई है. जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह ने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के सामने बढ़ती गंदगी की समस्या को उठाया है. उनका कहना है कि पहले केदारनाथ के पैदल मार्ग की सफाई का जिम्मा जिला पंचायत के पास था, मगर आपदा के बाद सुलभ इंटरनेशनल को साफ सफाई की जिम्मेदारी सौंप दी गई. जिसके बाद इस क्षेत्र में गंदगी बढ़ने लगी है. इस शिकायत के बाद पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने सुलभ इंटरनेशनल को सफाई व्यवस्था में सुधार लाने के निर्देश दिए हैं. उनके निर्देश के मुताबिक सुलभ इंटरनेशनल अगर ऐसा नहीं करता है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाएगी.
वीडियो: चार धाम यात्रा के दौरान हुई मौतों की असली वजह क्या है?