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"कांग्रेस के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ"- विधायकों की बैठक कराने गए अजय माकन बोले

माकन ने कहा कि राजस्थान में जो कुछ हुआ, सोनिया गांधी ने उसकी लिखित रिपोर्ट मांगी है.

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अशोक गहलोत, अजय माकन और सचिन पायलट. (फाइल फोटो)

राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) में उठे राजनीतिक घमासान को लेकर अजय माकन (Ajay Maken) और मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात की है. राज्य में विधायक दल की बैठक कराने के लिए आलाकमान की ओर से माकन और खड़गे को बतौर ऑब्जर्वर भेजा गया था. हालांकि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के करीबी विधायकों के बीच मतभेद पैदा हो गए और ये बैठक हो ही नहीं पाई.

माकन ने बताया कि राजस्थान में कल 25 सितंबर को हुए पूरे घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष ने एक लिखित रिपोर्ट मांगी है. उन्होंने कहा,

‘मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सहमति के बाद उनके सुविधानुसार कल शाम सात बजे विधायकों की मीटिंग बुलाई गई थी. कांग्रेस अध्यक्षा का स्पष्ट निर्देश था कि एक-एक विधायकों से बात करके उन्हें रिपोर्ट सौंपी जाए. विधायकों से बात करके जो रिपोर्ट सौंपी जाती, उसके आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष को फैसला करना था.’

उन्होंने आगे कहा,

‘हमारे पास विधायकों के कुछ नुमाइंदे आए, जो मंत्री थे, और उन्होंने हमारे सामने तीन शर्तें रखी. एक शर्त ये था कि कोई भी निर्णय 19 अक्टूबर के बाद लिया जाए. इस पर हमारा ये कहना था कि जो व्यक्ति ये प्रस्ताव पेश कर रहा है कि सारे अधिकार (राजस्थान में मुख्यमंत्री बनाने के संबंध में) कांग्रेस अध्यक्ष को दिए जाएं और फिर वही व्यक्ति जब 19 अक्टूबर को अध्यक्ष बन जाएंगे तो उसके बाद वह खुद इसका फैसला करेंगे. ये Conflict of Interest (हितों का टकराव) नहीं है तो और क्या है.’

अजय माकन ने आगे बताया कि उनकी (विधायकों) दूसरी शर्त ये थी कि विधायकों से अलग-अलग नहीं, बल्कि समूह में मिला जाए. उन्होंने कहा,

‘इसमें हमारा ये कहना था कि कांग्रेस में कभी भी ये नहीं हुआ कि विधायक दल की बैठक में समूह में बात की जाए. इसमें सबसे अलग-अलग बात होती है, ताकि हर कोई खुलकर बात कर सके.’

माकन ने आगे बताया,

‘उनकी तीसरी शर्त ये थी कि जो विधायक अशोक गहलोत के प्रति वफादार रहे हैं (और दो साल पहले सरकार गिराने की कोशिश को नाकामयाब किया था) उसमें से किसी एक को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए. इस पर हमने कहा कि एक-एक विधायक की बात कांग्रेस अध्यक्ष के सामने रखी जाएगी और कांग्रेस में ये परंपरा रही है कि निर्णय लेने से पहले कोई शर्तें नहीं लगाई जाती हैं.’

हालांकि, ये मीटिंग नहीं हो पाई और अभी ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि क्या अशोक गहलोत ही राजस्थान के मुख्यमंत्री रहेंगे, या फिर उनके स्थान पर कोई और आएगा. बगावत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में पूछे जाने पर अजय माकन ने कहा,

‘जब कभी कांग्रेस द्वारा विधायक दल की बैठक बुलाई जाती है, ऐसे में कोई भी नुमाइंदा अलग से विधायकों की बैठक नहीं बुला सकता है. यदि ऐसा होता है तो यह स्पष्ट रूप से अनुशासनहीनता है.’

माकन ने बताया कि सोनिया गांधी के सामने उन्होंने ये भी बात रखी है.

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