अगर झांकी को इसलिए ख़ारिज़ किया गया है कि महाराष्ट्र में शिवसेना और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार है, तो मैं ख़ुद इस मामले को देखूंगा. दिल्ली पहुंचने के बाद मैं बात करूंगा इस बारे में.BJP और ग़ैर-BJP, दोनों सरकारों के प्रपोजल नामंजूर ब्रीफ में समझिए, तो इन झांकियों का सिस्टम यूं चलता है. राज्य सरकार रक्षा मंत्रालय के पास प्रस्ताव भेजती है. बताती है कि इस दफ़ा वो किस थीम पर झांकी बनाने वाली है. रक्षा मंत्रालय उस प्रस्ताव पर मुहर लगाता है या उसे ख़ारिज़ कर देता है. पहले बंगाल. फिर महाराष्ट्र. इनके प्रस्ताव मंजूर नहीं हुए. इस पर NCP, शिवसेना और तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र पक्षपात कर रहा है. दूसरी ओर रक्षा मंत्रालय ने इस बारे में एक बयान जारी किया. इसके मुताबिक, सीमित झांकियां ही चुनी जा सकती हैं, क्योंकि कार्यक्रम में समय का ध्यान रखना पड़ता है. और ऐसा नहीं कि बस ग़ैर-बीजेपी शासित प्रदेशों के ही प्रस्ताव ख़ारिज़ किए गए हों. उत्तराखंड, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश का प्रस्ताव भी मंजूर नहीं हुआ. जहां तक पश्चिम बंगाल की बात है, तो उसकी झांकी 2019 के परेड का हिस्सा थी. 56 प्रपोजल में से 22 चुने गए झांकी के लिए डिफेंस मिनिस्ट्री का कहना है कि तमाम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरफ से उनके पास कुल 56 प्रस्ताव भेजे गए थे. कई राज्यों ने एक से ज़्यादा प्रपोजल भेजे. इनमें से केवल 22 को ही चुना गया. चुने गए इन 22 प्रस्तावों में 16 तो राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों के हैं. बाकी छह अलग-अलग विभागों और मंत्रालयों के हैं. चुनाव के लिए पांच बार बैठक की गई. और इसके बाद सबसे बेहतर प्रस्ताव झांकी के लिए चुने गए.
महाराष्ट्र को ज़्यादातर बार अपनी झांकी के लिए अवॉर्ड मिले हैं. इस बार ऐसा क्या हुआ कि महाराष्ट्र और बंगाल को शामिल नहीं किया गया है? दोनों ही राज्यों में BJP की सरकार नहीं है. क्या यही कारण है?NCP की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय त्योहार है. ऐसे में केंद्र सरकार से उम्मीद की जाती है कि वो इस परेड में सभी राज्यों को शिरकत करने दे. सुप्रिया के मुताबिक-
केंद्र सरकार पक्षपाती तरीके से बर्ताव कर रही है. जिन राज्यों में विपक्षी पार्टियों की सरकारें हैं, उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.उधर पश्चिम बंगाल सरकार की लगातार ठनी हुई है केंद्र के साथ. न केवल राजनीतिक होड़ में, बल्कि पॉलिसी से जुड़े मुद्दों पर भी. सबसे ताज़ा विवाद है सिटिजनशिप अमेंडमेंट ऐक्ट (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़ंस (NRC). पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार इनका विरोध कर रही है. उनका आरोप है कि इन्हीं कारणों से राज्य की झांकी का प्रस्ताव ख़ारिज़ कर दिया गया. बंगाल के मंत्री तापस रॉय के मुताबिक-
26 जनवरी की झांकी के लिए भेजे गए हमारे प्रस्ताव का फोकस राज्य सरकार द्वारा छात्राओं के लिए चलाए गए कन्याश्री प्रॉजेक्ट पर था. इसे ख़ारिज़ कर दिया गया. ऐसा इसलिए कि तृणमूल ने नागरिकता संशोधन अधिनियिम जैसे जनता-विरोधी क़ानूनों को ख़ारिज़ कर दिया है. BJP ने बंगाल के लोगों का अपमान किया है. भविष्य में उन्हें इसका सही जवाब मिलेगा.
अशोक गहलोत सरकार कोटा में बच्चों की मौत की ज़िम्मेदारी क्यों नहीं ले रही?