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सुप्रीम कोर्ट से ताकत मिलने के बाद क्या बोले अरविंद केजरीवाल?

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सीएम को असली बॉस बताया है

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केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ट्वीट किया है | फोटो: आजतक

दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों की लड़ाई पर गुरूवार, 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया. फैसला दिल्ली सरकार के पक्ष में आया. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने लोगों की जीत बताया है (CM Arvind Kejriwal on Supreme Court Decision Delhi).

उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा,

‘दिल्ली के लोगों के साथ न्याय करने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट का तहे दिल से शुक्रिया. इस निर्णय से दिल्ली के विकास की गति कई गुना बढ़ेगी. जनतंत्र की जीत हुई.’

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर AAP नेता और पंजाब के सीएम भगवंत मान का भी बयान आया है. सीएम मान ने अपने एक ट्वीट में लिखा,

‘माननीय सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आज दिल्ली के लोगों के हक में दिए गए फैसले का स्वागत... देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए अरविंद केजरीवाल जी की सच्चे दिल से की गई कवायद को दिल से सलाम... दिल्ली सरकार को फैसले लेने का हक देकर लोकहित की राजनीति की जीत पर मोहर लग गई है…इंकलाब जिंदाबाद’

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

-केंद्र और राज्य दोनों के पास कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाए कि केंद्र का इतना ज्यादा दखल ना हो कि वो राज्य सरकार का काम अपने हाथ में ले ले. इससे संघीय ढांचा प्रभावित होगा.

-अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा.

- चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए.

-अगर चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक व्यस्था का अधिकार नहीं होगा, तो फिर ट्रिपल चेन जवाबदेही पूरी नहीं होती.

- उपराज्यपाल को सरकार की सलाह पर ही काम करना होगा.

- पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास रहेगा.

कैसे मामला कोर्ट तक पहुंचा?

दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल के बीच टकराव का ये मामला अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर के अधिकार से ही जुड़ा था. दिल्ली सरकार ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर ये अधिकार उसके हाथ में देने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 18 जनवरी, 2023 को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

दरअसल, 1991 में दिल्ली में नेशनल कैपिटल टेरिटरी एक्ट (NCT Act) लागू किया गया था. 2021 में केंद्र सरकार ने इसमें संशोधन किया. इसमें उपराज्यपाल को अतिरिक्त शक्ति दी गई. संशोधन के जरिए चुनी हुई सरकार को किसी भी फैसले से पहले एलजी की राय लेना अनिवार्य किया गया. इसी को आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

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