जब से SEBI ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले (Adani-Hindenburg Case) पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है, तब से कुछ न कुछ सवाल उठ रहे हैं. SEBI यानी सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया. पहले SEBI के इस जवाब पर सवाल उठा कि वो 2016 से अडानी ग्रुप की किसी कंपनी की जांच नहीं कर रही है. SEBI का ये जवाब उस जवाब के उलट था, जो 2021 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय की तरफ से लोकसभा में दिया गया था. फिर SEBI के दूसरे हलफनामे में कहा कि वो अडानी की कंपनी के खिलाफ साल 2020 से जांच कर रही है. इसके अलावा SEBI के दो हलफनामों में एक ही अधिकारी की उम्र अलग-अलग थी.
दरअसल, 15 मई को SEBI ने बताया था कि उसकी तरफ से अडानी समूह की किसी भी कंपनी की जांच 2016 से नहीं की गई. इस तरह के 'सभी दावे गलत' हैं. इस पर सवाल उठा क्योंकि 19 जुलाई, 2021 को वित्त मंत्रालय ने लोकसभा में बताया था कि SEBI अडानी ग्रुप की कई कंपनियों की जांच कर रही है.
SEBI के हलफनामे की जानकारी सामने आने के बाद कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने ट्वीट कर कहा,
"SEBI सुप्रीम कोर्ट में कह रही है कि वो 2016 से अडानी समूह की किसी कंपनी की जांच नहीं कर रही है. जबकि केंद्र सरकार ने संसद में कहा था कि SEBI अडानी की कुछ कंपनियों की जांच कर रही है."
उन्होंने सवाल किया,
“क्या ज्यादा खराब बात है, संसद को गुमराह करना या फिर उस वक्त सोए रहना, जब लाखों निवेशकों के साथ ठगी की गई? क्या ऊपर से कोई रोक रहा था?”
जयराम रमेश ने वित्त राज्यमंत्री द्वारा संसद में दिए गए लिखित जवाब को भी अपने ट्वीट में अटैच किया, जो TMC सांसद महुआ मोइत्रा के सवाल के जवाब में दिया गया था.
इधर जयराम रमेश के ट्वीट पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने जवाब देते हुए कहा,
"सरकार 19 जुलाई 2021 को सवाल नंबर 72 पर लोकसभा में दिए अपने जवाब पर कायम है, जो सभी संबंधित एजेंसियों के इनपुट पर आधारित था."
सरकार ने संसद में क्या बताया था?
19 जुलाई, 2021 को संसद में विपक्ष ने अडानी समूह की कंपनियों की जांच को लेकर सरकार से सवाल पूछा था. इस सवाल का जवाब देते हुए वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने बताया था कि SEBI अपने नियमों के अनुपालन को लेकर अडानी समूह की कई कंपनियों की जांच कर रही है. राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) भी समूह की कई कंपनियों की जांच कर रहा है. हालांकि, पंकज चौधरी ने इन कंपनियों का नाम नहीं बताया था.
इस 15 मई को SEBI की ओर से दायर हलफनामे में इस बात से इनकार किया गया था. वहीं 17 मई को दायर दूसरे हलफनामे में SEBI ने बताया कि जुलाई, 2021 में लोकसभा में अडानी ग्रुप की कंपनियों के बारे में जिस जांच का जिक्र था, वो जांच अक्टूबर 2020 में शुरू हुई थी न कि साल 2016 में. ये जांच मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग (MPS) नियमों के उल्लंघन को लेकर थी.
इसके बाद एक और हैरान करने वाली बात सामने आई. SEBI के दो हलफनामों में एक ही अधिकारी की उम्र अलग-अलग थी. लाइव लॉ के मुताबिक, 15 मई को दायर SEBI हलफनामे में साक्षी अधिकारी की उम्र 22 साल है. वहीं 17 मई को दाखिल हलफनामे में उसी अधिकारी की उम्र 25 साल लिखी गई है.
इससे पहले शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की प्रियंका चतुर्वेदी ने हैरानी जताई थी कि 22 साल के एक शख्स ने SEBI की ओर से हलफनामा दायर किया.
प्रियंका चतुर्वेदी ने SEBI अधिकारी की अलग-अलग उम्र पर भी निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट किया,
"15 मई को सत्यांश मौर्य 22 साल के थे.
17 मई को सत्यांश मौर्य 25 साल के हो गए हैं.
मोडानी साम्राज्य को बचाने के लिए इसे रायता फैलाना कहा जाता है; SEBI की ओर से साफ तौर पर ये गलत बयानी है."
SEBI के हलफनामे पर उठ रहे सवालों से इतर मामले में अपडेट ये है कि कोर्ट ने SEBI को अडानी-हिंडनबर्ग केस की जांच के लिए तीन महीने का वक्त और दिया है. SEBI ने सुप्रीम कोर्ट से जांच पूरी करने के लिए छह महीने का वक्त मांगा था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सेबी से 14 अगस्त तक जांच रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है. आजतक के संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच के लिए बनाई गई एक्सपर्ट कमिटी ने 2 महीने में अपनी रिपोर्ट कोर्ट में सौंप दी थी. इसके सुझावों पर गर्मियों के छुट्टियों के बाद 11 जुलाई को सुनवाई होगी. एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट को पक्षकारों के साथ साझा किया जाएगा. ऐसे में इस मामले की जांच को लेकर SEBI को 14 अगस्त तक का अतिरिक्त समय दिया जाता है.