The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

अमृतपाल सिंह के सपोर्ट में सोशल मीडिया पर बड़ा खेल हो रहा, सावधान रहिए!

सोशल मीडिया पर अमृतपाल सिंह के समर्थन में फर्जी माहौल बनाने की कोशिश.

post-main-image
अमृतपाल सिंह (बाएं) के समर्थन में ट्विटर पर फर्जी माहौल बनाने की कोशिश. (तस्वीरें- इंडिया टुडे/ट्विटर.)

पंजाब पुलिस 18 मार्च से अमृतपाल सिंह की तलाश कर रही है. लेकिन चार दिन बाद भी उसके पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि 'वारिस पंजाब दे' का मुखिया कहां है. वो पुलिस को चकमा देकर फरार चल रहा है. उधर दूसरे देशों में उसके समर्थक ट्विटर पर उसके लिए कैंपेन चला रहे हैं. अलग-अलग हैशटैग के जरिये अमृतपाल सिंह के पक्ष में माहौल तैयार करने की कोशिश हो रही है. इंडिया टुडे की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस टीम ने इसे ट्रैक करते हुए इनकी सच्चाई बताई है.

अमृतपाल के लिए ट्विटर पर क्या खेल चल रहा?

ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में बीती 19 मार्च को खालिस्तान बनाने की मांग पर कथित 'जनमत संग्रह' हुआ था. दावा किया गया कि उस कार्यक्रम में 11 हजार लोगों ने खालिस्तान की मांग के समर्थन में वोट डाले. कई ट्विटर अकाउंट पर उस कार्यक्रम को कामयाब दिखाने के लिए वीडियो शेयर किए गए, लगातार ट्वीट किए गए. हालांकि, इस ‘जनमत संग्रह’ को कोई खास समर्थन नहीं मिला. लेकिन इसको सफल दिखाने के लिए बॉट अकाउंट का एक पूरा नेटवर्क लग गया. इसी नेटवर्क का खुलासा इंडिया टुडे की बिदिशा साहा और आकाश शर्मा की रिपोर्ट में किया गया है. ये भी पता चला कि अमृतपाल सिंह के समर्थन में जिन अकाउंट से ट्विटर पर हैशटैग चलाए गए, उनमें से कई अकाउंट हाल में ही बनाए गए हैं.

20 मार्च को यूनाइटेड किंगडम (UK) में भारतीय दूतावास के बाहर लगे तिरंगे को हटा कर उसकी जगह खालिस्तानी झंडा लगा दिया गया. वहीं अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भी भारतीय वाणिज्य दूतावास पर भारी भीड़ के हमले का वीडियो सामने आया. भीड़ ने यहां खालिस्तान के झंडे फहराए, इमारत के दरवाजे और खिड़कियों पर तोड़-फोड़ की. वीडियो में अमृतपाल के सपोर्ट में बड़े-बड़े पोस्टर भी दिखे.

सोशल मीडिया पर इसके वीडियो काफी वायरल हुए और इन्हीं वीडियो के जरिए ऐसा दिखाया जा रहा है कि यूके और अमेरिका में हुआ विरोध प्रदर्शन उस 'जनमत संग्रह' के पक्ष में है, जो ब्रिस्बेन में हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक ट्विटर पर किए गए पोस्ट्स की पड़ताल से पता चला है कि इन वीडियो का इस्तेमाल ब्रिस्बेन में ‘खालिस्तानी रेफरेंडम’ के नैरेटिव को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए किया गया. इतना ही नहीं, जिन ट्विटर अकाउंट से ऐसा किया गया, वो हाल ही में बनाए गए थे.

इन अकाउंट्स पर सैन फ्रांसिस्को से ट्रेंड करने वाले वीडियो का इस्तेमाल ब्रिस्बेन रेफरेंडम को लेकर किया गया. यहां तक कि इसमें एक तरह की टेक्स्ट कॉपी और पोस्ट किए गए थे, जो ब्रिस्बेन के कार्यक्रम पर लिखे जा रहे थे. रिपोर्ट के मुताबिक इसका पता Netlytic और Talkwalker जैसे ओपन-सोर्स टूल से लगाया गया है.

इंडिया टुडे ने 19 और 20 मार्च के बीच 15 अकाउंट्स से ट्वीट किए गए उन 200 पोस्ट को जांचा जिनमें “Khalistan Flag Raised Brisbane” लिखा था. इन 15 अकाउंट्स में से 13 अकाउंट्स जनवरी 2023 के बाद बनाए गए हैं.

वीडियो के प्रचार के लिए अकाउंट में कॉपी-पेस्ट कैप्शन का इस्तेमाल किया गया था. इन अकाउंट्स पर एक ही क्लिप शेयर की गई और इसके साथ ही भारतीय पत्रकारों को टैग किया गया.

सिर्फ दो दिनों में #WeStandWithAmritpalSingh वाले लगभग 53.7K पोस्ट किए गए जबकि #FreeAmritpalSingh के साथ लगभग 18.9K पोस्ट हुए. इंडिया टुडे ने हर हैशटैग के लिए 10,000 पोस्ट की जांच की, जिसमें पहले हैशटैग के लिए 877 ट्वीट और 7592 रीट्वीट थे. दूसरे हैशटैग के लिए 1075 ट्वीट और 6842 रीट्वीट थे.

#WeStandWithAmritpalSingh के साथ किए ट्वीट में से 28.5 पर्सेंट ट्वीट अमेरिका से और 8.9 पर्सेंट ट्वीट कनाडा से किए गए थे. #FreeAmritpalSingh के साथ किए गए ट्वीट में से 30.9 पर्सेंट ट्वीट अमेरिका से और 13.6 पर्सेंट ट्वीट कनाडा से किए गए थे. इसमें ट्विटर यूजर का लोकेशन उनकी पब्लिक प्रोफाइल में दिए गए 'होम' के आधार पर लिया गया.

#WeStandWithAmritpalSingh हैशटैश में इन्गेज रहे 2238 अकाउंट में से 20 पर्सेंट अकाउंट पिछले साल ही बनाए गए हैं और करीब 109 अकाउंट जनवरी 2023 के बाद बनाए गए. #FreeAmritpalSingh हैशटैश में इन्गेज रहे 2557 अकाउंट में से 23.5% अकाउंट एक साल के अंदर बनाए गए और 243 अकाउंट जनवरी 2023 के बाद बनाए गए हैं.

वीडियो: खालिस्तान बहुत सुना... पर इस शब्द का असली मतलब जानते नहीं होंगे?