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अवधेश राय हत्याकांड की पूरी कहानी, जिसमें मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है

छोटे भाई के साथ घर के बाहर खड़े थे अवधेश राय, जब वैन से आए कुछ लोग गोली मारकर भाग गए.

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अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी दोषी करार (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

"यह हमारे कई सालों के इंतजार का अंत है. मैंने, मेरे माता-पिता, अवधेश की बेटी और पूरे परिवार ने सब्र रखा..सरकारें आईं और गईं और मुख्तार अंसारी मजबूत होता गया. लेकिन हमने हार नहीं मानी. हमारे वकीलों की कोशिश से आज कोर्ट ने मुख्तार को मेरे भाई की हत्या के मामले में दोषी करार दिया है."

5 जून को वाराणसी की MP MLA कोर्ट ने अवधेश राय की हत्या के केस में गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सज़ा सुना दी. नतीजा आने के बाद अवधेश के छोटे भाई और पूर्व विधायक अजय राय ने प्रेस से वही कहा, जो आपने अभी अभी पढ़ा. अजय राय ने जो कहा, वो बताता है कि हमारे सिस्टम में रसूख वाले लोग जब कानून तोड़ते हैं, तो ज़िम्मेदारी तय करना कितना मुश्किल काम बन जाता है, न्याय तक का सफर कितना लंबा होता है. 

घर के बाहर ही हुई थी अंधाधुंध फायरिंग

तारीख थी 3 अगस्त, 1991. वाराणसी के चेतगंज थाना क्षेत्र का लहुराबीर इलाका. दोपहर का वक्त था. करीब 1 बज रहा था. अवधेश राय किसी को अस्पताल से देख कर लौटे थे. वो अपने छोटे भाई अजय राय और सहयोगी विजय पांडे के साथ अपने घर के बाहर ही खड़े थे. उसी वक्त एक मारुति वैन वहां तेजी से आई. वैन से 5 लोग उतरे और अवधेश राय को निशाना बनाकर गोलियां चलाने लगे. पूरा इलाका गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा. इससे पहले कि अजय राय कुछ कर पाते, हमलावर वहां से फरार हो गए. अवधेश राय का शरीर गोलियों से छलनी हो चुका था. वो जमीन पर गिर पड़े थे.

अजय राय ने शोर मचाया. वैन का पीछा भी किया और अपनी 32 बोर की पिस्टल से वैन पर फायर किया. वैन एक खंभे से जा टकराई. फायरिंग करने वाले पांचों लोग वैन से निकलकर भाग गए. फिर अजय राय अपने भाई को उसी वैन से कबीरचौरा अस्पताल ले गए. लेकिन वहां अवधेश राय को मृत घोषित कर दिया गया.

अवधेश राय के छोटे भाई अजय राय ने चेतगंज थाने में केस दर्ज कराया. केस नंबर था 229/91. IPC की धारा 302, 147 और 148 के तहत FIR हुई. इल्ज़ाम लगा मुख्तार अंसारी, पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, भीम सिंह, कमलेश सिंह और राकेश श्रीवास्तव पर.

इसके बाद अजय राय और उनका परिवार लगातार इंसाफ की लड़ाई लड़ता रहा. पुलिस की चार्जशीट, लंबी जिरह और गवाही के बाद अवधेश राय हत्याकांड में फैसले तक केस का पहुंचना आसान नहीं था. आजतक के संतोष शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक इस केस की ओरिजिनल डायरी भी गायब हो गई थी. वाराणसी पुलिस ने केस डायरी गायब होने के मामले में भी मुख्तार अंसारी के खिलाफ FIR दर्ज की थी. फिर केस डायरी की फोटो कॉपी दाखिल हुई और केस आगे बढ़ा.

क्यों हुई थी अवधेश राय की हत्या?

अवधेश राय की हत्या की वजह मुख्तार अंसारी से दुश्मनी बताई जाती है. आजतक के संतोष कुमार शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक चंदासी कोयला मंडी पर मुख्तार अंसारी का एकछत्र राज चलता था. लेकिन अवधेश राय की दबंगई ने मुख्तार अंसारी को चुनौती दी. बताया जाता है कि चंदासी कोयला मंडी से लेकर वाराणसी के बाजारों से मुख्तार अंसारी की वसूली में अवधेश राय अड़ंगा बन गए थे. अवधेश राय वाराणसी के व्यापारियों में मुख्तार अंसारी से टक्कर लेने वालों में गिने जाने लगे थे. मुख्तार अंसारी के कई करीबियों को अवधेश राय ने सरे बाजार बेइज्जत भी किया था. 

मुख्तार अंसारी इस समय बांदा जेल और भीम सिंह गाजीपुर जेल में बंद हैं. कमलेश सिंह और पूर्व विधायक अब्दुल कलाम की मौत हो चुकी है. वहीं पांचवें आरोपी राकेश ने मामले में अपनी फाइल अलग करवा कर ली थी, जिसका प्रयागराज सेशन कोर्ट में ट्रायल चल रहा है.  

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