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हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट ने अब जो बोला है, नफरत फैलाने वाले ऐंकरों को बहुत बुरा लगेगा!

हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट की बात सब पढ़ लें.

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हेट स्पीच के खिलाफ विरोध प्रदर्शन. (फोटो- PTI)

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 13 जनवरी को हेट स्पीच (Hate Speech) के दो मामलों में सुनवाई की. एक मामले में जांच एजेंसी पर तीखी टिप्पणी की और दूसरे में टीवी चैनलों को. दरअसल, दिसंबर 2021 में हिंदू युवा वाहिनी ने दिल्ली में 'धर्म संसद' आयोजित की थी, जिसमें हेट स्पीच दी गई थी. मुसलमानों के ख़िलाफ़ नारे लगे थे. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों से पूछा कि जांच के लिए अभी तक क्या क़दम उठाए गए हैं. भारत के CJI डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा ने जांच अधिकारी से कहा कि दो हफ़्तों के अंदर हलफ़नामा जमा करें.

पांच महीने क्यों लगे?

महात्मा गांधी के परपोते और ऐक्टिविस्ट तुषार गांधी ने एक अवमानना ​​याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई चल रही है. याचिका में आरोप लगाए गए हैं कि दिल्ली पुलिस ने तहसीन पूनावाला मामले में जारी किए गए SC के निर्देशों का उल्लंघन किया है. संदर्भ के लिए: 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने तहसीन पूनावाला मामले में राज्यों को मॉब लिंचिंग केसों में निवारक, दंडात्मक और उपचारात्मक क़दम उठाने के निर्देश जारी किए थे. कोर्ट ने ये भी रेकमेंड किया था कि संसद लिंचिंग के ख़िलाफ़ क़ानून बनाए.

वापस मुद्दे पर. याचिकाकर्ता ने बताया कि इस मामले में मई 2022 में FIR दर्ज की गई थी. यानी घटना के पांच महीने बाद. याचिका में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का मक़सद था कि ऐसे बयान देने वालों की पहचान की जाए और उन्हें सार्वजनिक मंच न दिए जाएं. ये भी कहा कि पुलिस लगातार मामले को टाल रही है और स्पष्ट जानकारी नहीं दे रही.

दिल्ली पुलिस की ओर से आए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) के एम नटराज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के किसी भी निर्देश का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है और ये भी कहा कि याचिकाकर्ता निर्धारित नहीं कर सकता कि जांच कैसे होगी. तब CJI ने पूछा,

"लेकिन आप जांच के संदर्भ में क्या कर रहे हैं? घटना दिसंबर 2021 की है. क़रीब पांच माह बाद FIR दर्ज कर रहे हैं. FIR दर्ज करने के लिए आपको पांच महीने क्यों लगे?"

इसके जवाब में ASG ने जवाब दिया कि देरी जानबूझकर नहीं की गई थी. उन्होंने कहा कि पुलिस को मिले इनपुट के आधार पर जांच आगे बढ़ रही है.

'ऐंकरों को हटा देना चाहिए'

एक और हेट स्पीच मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टीवी न्यूज़ चैनलों को लेकर तीखी टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसफ़ और जस्टिस नागरत्ना की बेंच ने हेट स्पीच मामले में दाख़िल PIL पर सुनवाई की. पेटिशनर के वक़ील निज़ाम पाशा ने कहा कि हरिद्वार में भी वही हेट स्पीच वक्ता थे, जो पहले भी ऐसे अपराध कर चुके थे. सुदर्शन न्यूज़ चैनल का भी ज़िक्र किया. कहा कि वो एक एजेंडे के तहत ख़बरें चलाते हैं. ईसाइयों और मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाते हैं.

सुदर्शन न्यूज़ की ओर से आए वक़ील विष्णु शंकर जैन ने मुस्लिम नेताओं ज़ाकिर नायक और अकबरुद्दीन ओवैसी की हेट स्पीच का ज़िक्र करते हुए उनकी वीडियो क्लिप्स सौंपी. जस्टिस जोसफ ने टोका कि ये तो पुराने बयान हैं. इस पर जैन ने मुनव्वर राना के बयान की याद दिला दी, जिसमें राणा ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस के ख़िलाफ़ आपत्ति जनक बातें कही थीं. जस्टिस जोसफ़ ने कहा कि उस मामले में कार्रवाई होनी चाहिए. फिर सुप्रीम कोर्ट ने न्यूज़ चैनल के संदर्भ में एक टिप्पणी की. कहा,

"चैनल एजेंडे से प्रेरित होते हैं और कॉम्पटीशन की वजह से समाचारों को सनसनीखेज़ बनाते हैं. समाज में विभाजन पैदा करते हैं. आपत्तिजनक एंकरों को हटा दिया जाना चाहिए और उन चैनलों पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए, जो प्रोग्राम कोड का उल्लंघन कर रहे हैं."

कोर्ट ने समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (NBSA) और केंद्र सरकार से पूछा कि वो ऐसे प्रसारणों को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं?

वीडियो: धर्म संसद में दिल्ली पुलिस को नहीं दिखी थी हेट स्पीच, सुप्रीम कोर्ट ने ये सवाल पूछ लिए