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शिक्षक भर्ती घोटाले में TMC ने शुभेंदु अधिकारी को घेरा, 'उनकी सिफारिश पर 55 भर्तियां हुईं'

शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर अब तक बीजेपी और शुभेंदु अधिकारी सत्तारूढ़ TMC पर हमलावर थे. लेकिन हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद TMC ने हमलावर रुख अपना लिया है.

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शुभेंदु अधिकारी और ममता बनर्जी. (तस्वीरें- PTI औऱ इंडिया टुडे.)

पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) पर बंगाल शिक्षा घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया है. साथ ही ये अपील की है कि जांच एजेंसी उन्हें हिरासत में ले.

शुक्रवार, 10 मार्च को कलकत्ता हाई कोर्ट ने 842 सरकारी स्कूल के शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द कर दी थीं. इस बिनाह पर कि उन्होंने अवैध तरीक़े से नौकरी पाई है. इसके दो दिन बाद रविवार, 12 मार्च को TMC के मुख्य प्रवक्ता कुणाल घोष ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने आरोप लगाया कि इस घोटाले में सीधे तौर पर बीजेपी विधायक शुभेंदु अधिकारी का हाथ है. घोष ने कहा,

"शुभेंदु अधिकारी की सिफ़ारिश पर नौकरी पाने वाले 55 लोगों को उनकी सरकारी नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया गया है. ये 55 उम्मीदवार उन्हीं 842 उम्मीदवारों में से हैं, जिन्हें कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद नौकरी से बर्ख़ास्त किया गया है."

घोष ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एक पर्चा भी दिखाया, जिस पर उन 55 लोगों के नाम थे. और, आरोप लगाए कि अगर एक ही लिस्ट में 55 लोग हैं, तो कुल कितने लोगों को अवैध तरीक़े से भर्ती किया गया है?

जांच एजेंसियां कथित शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रही हैं. TMC ने जांच को निष्पक्ष बनाने के लिए शुभेंदु अधिकारी को हिरासत में लेने की भी मांग की है. पार्टी ने आरोप लगाया,

“बर्ख़ास्त हुए लोगों की सूची में एक नाम है संजीब सुकुल का. ये संजीब सुकुल बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी के राइट हैंड हैं. विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी सहित उन सभी 55 लोगों को जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए.”

घोष ने ये भी कहा,

"शुभेंदु शारदा चिटफंड मामले में आरोपी हैं. नारद घोटाले में नामज़द आरोपी हैं. वो केवल ED और CBI जैसी केंद्रीय एजेंसियों से ख़ुद को बचाने के लिए बीजेपी में शामिल हुए थे."

शारदा ग्रुप के वित्तीय घोटाले में ग्रुप ने अलग-अलग लुभावनी स्कीम्स के नाम पर 17 लाख लोगों से लगभग 20 से 30 हज़ार करोड़ रुपये इकट्ठा किए. लेकिन अप्रैल 2013 तक ये पूरी स्कीम ढह गई. लोगों के सारे पैसे डूब गए थे. इसके अलावा, नारद घोटाला असल में एक स्टिंग ऑपरेशन था, जिसमें कई नेताओं और अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए देखा गया था. 

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