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'द केरला स्टोरी' पर बैन लगाने वाली ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा, क्या-क्या सुनाया?

कोर्ट ने पूछा- पश्चिम बंगाल अलग है क्या?

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8 मई को बंगाल सरकार ने फिल्म पर बैन लगा दिया था (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने 'द केरला स्टोरी' (The Kerala Story) बैन करने पर पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई है. 12 मई को फिल्म बैन करने के खिलाफ एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि जब देश भर में शांति से फिल्म चल सकती है तो पश्चिम बंगाल में रिलीज क्यों नहीं हो सकती? ये सवाल चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षा वाली बेंच ने किया. कोर्ट ने फिल्म बैन करने पर बंगाल सरकार और तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 8 मई को राज्य में फिल्म पर बैन लगाने का आदेश दिया था. फिल्म के प्रोड्यूसर इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सरकार से पूछा कि वे फिल्म क्यों नहीं चलने देना चाहते हैं. बेंच ने आगे कहा, 

“फिल्म देश के बाकी हिस्सों में रिलीज हुई है. पश्चिम बंगाल अलग नहीं है...जबकि दूसरे राज्यों में भी जनसंख्या का अनुपात बंगाल की तरह ही हैं. और इसका फिल्म के कलात्मक मूल्यों से कोई लेना देना नहीं है. फिल्म अच्छी या बुरी हो सकती है.” 

कोर्ट ने आगे कहा कि अगर लोगों को फिल्म अच्छी नहीं लगेगी तो वे खुद नहीं देखेंगे.

शांति भंग हो सकती है- बंगाल सरकार

दरअसल, बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा था कि इंटेलीजेंस इनपुट मिले थे कि फिल्म रिलीज से कानून-व्यवस्था की समस्या हो सकती है और समुदायों के बीच शांति भंग हो सकती है. इसी पर कोर्ट ने कहा कि बंगाल अलग नहीं है. वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे ने मांग की कि बंगाल सरकार के आदेश को रद्द किया जाए. हालांकि कोर्ट ने इस मामले पर कोई आदेश जारी नहीं किया. बल्कि दोनों राज्य सरकारों से जवाब मांग लिया. अगली सुनवाई 17 मई को होगी.

8 मई को ममता बनर्जी ने कहा था कि फिल्म पर बैन का फैसला राज्य में शांति बहाल करने के मक़सद से लिया गया है. उन्होंने अधिकारियों से ये सुनिश्चित करने को कहा था कि फिल्म किसी थिएटर में नहीं चलनी चाहिए. ममता ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि फिल्म की स्क्रीनिंग बंगाल के किसी सिनेमाघर में नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा था कि वो नहीं चाहती कि इस फिल्म की वजह से उनके राज्य में हेट क्राइम या हिंसा की घटना हो.

इससे एक दिन पहले, 7 मई को तमिलनाडु के थिएटर असोसिएशन ने खुद इस फिल्म को सिनेमाघरों में दिखाना बंद कर दिया था. उनका भी यही कहना था कि उन्होंने कानून-व्यवस्था के कारण ये फैसला लिया है.

रिलीज से पहले शुरू हुआ विवाद

'द केरला स्टोरी' 5 मई को रिलीज़ होने के पहले से ही खबरों में है. क्योंकि फिल्म के टीज़र में बताया गया था कि केरल की 32 हज़ार लड़कियों ने धर्म परिवर्तन किया. और फिर आतंकी संगठन ISIS में शामिल हो गईं. जबकि ट्रेलर में ये संख्या 32 हज़ार से घटकर 3 हो गई थी. कहा गया कि ये तीन लड़कियों की कहानी है. बवाल इसलिए हो रहा है कि कहीं ये आंकड़ा नहीं है कि 32 हज़ार लड़कियां ISIS में भर्ती हुईं.

कई फिल्म डायरेक्टर्स और एक्टर्स ने फिल्म पर बैन लगाने का विरोध किया था. उनका कहना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने जैसा है. एक तरफ तमिलनाडु और बंगाल में फिल्म को बैन किया गया. वहीं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित कई बीजेपी शासित राज्य सरकारों ने इस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया.

वीडियो: मास्टरक्लास: दी केरला स्टोरी का वो ज़रूरी पहलू जो अब तक किसी मूवी में नहीं दिखाया गया