अब सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने नोटबंदी के आलोचकों के हाथ में हथियार पकड़ा दिया है. 2000 के नोट अब चलन से बाहर हो गए हैं. क्या अब वाकई मान लिया जाए कि ये प्रयोग पूरी तरह विफल रहा? या अब भी कोई तर्क है, जिसके पीछे सरकार छिप सकती है. 8 नवंबर 2016 तक देश में कुल 17.50 लाख करोड़ रुपए के नोट थे. इनमें से 15.50 लाख करोड़ रुपए के नोट पांच सौ और हजार के थे, जो उस समय कुल करेंसी का लगभग 88% थी. और मार्केट से करेंसी का इतना बड़ा हिस्सा अचानक से बाहर हुआ तो उसे भरने के लिए 2 हजार का नोट लाया गया. कहा गया कि अर्थव्यवस्था में करेंसी की जरूरत को तेजी से पूरा करने के लिए 2 हजार के नोट लाए गए. अब बीते 19 मई को RBI ने क्लीन नोट पॉलिसी के तहत 2000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने का निर्णय लिया है.