फिल्म का पहला ट्रेलर शुक्रवार को आया.
इसमें अरशद वारसी लीड रोल में हैं. उनके साथ अदिति राव हैदरी फीमेल लीड हैं. बोमन ईरानी, उनके बेटे कायोज़ी ईरानी भी इसमें हैं.
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फिल्म के दृश्य में अरशद और अदिति.
फिल्म में अरशद-अदिति की जोड़ी ही सबसे ताज़ा चीज है. फिर इसके रंग. इसके अलावा कई चीजें हैं जो कहीं न कहीं हमने देखी हैं. दूसरा, फिल्म का ट्रेलर देखकर exactly समझ भी नहीं आता है कि ये किस बारे में है. अरशद और बोमन का उच्चारण कई जगह साफ सुनाई नहीं देता. अदिति बिहारी बोलते हुए convincing नहीं लगती हैं. और वे शुरू में इस उच्चारण पर जोर डालती भी हैं लेकिन बाद में कहीं से ये नहीं लगता कि फिल्म की पृष्ठभूमि पटना, बिहार है.
ये फिल्म अपने पहले ट्रेलर में प्रभावित नहीं कर पाती है. जो चीज़ दिखाई देती है वो ये कि इसकी थीम अरशद वारसी की ही मुन्नाभाई एमबीबीएसऔर सीरीज की अन्य फिल्मों के मार्ग पर चलती है. दोनों में कई समानताएं हैं:
1.इसमें अरशद एक बिहारी भाई माइकल मिसरा बने हैं जो किडनैपिंग का काम करता है. लेकिन वो हंसमुख है. डरावना नहीं है. मुन्नाभाई एमबीबीएसमें भी संजय दत्त मुंबई के भाई बने थे जो किडनैपिंग जैसा काम करता है. वो भी हंसमुख है. डरावना नहीं है.
2.इसमें अरशद का एक साइडकिक है जो उसकी हर बात में हां मिलाता है, हर समय साथ रहता है, कूल मूड में रहता है. ये पात्र कायोजी ईरानी ने अदा किया है. इसके अलावा उनके पिता बोमन ईरानी माइकल का काम संभालने वाले बने लगते हैं.मुन्नाभाई सीरीजमें संजू का साइडकिक होता है सर्किट जो उसका काम संभालता है और हर चीज में साथ देता है. कूल बंदा है. ये रोल अरशद ने किया था.
लगे रहो मुन्नाभाई में अरशद और संजू.
द लैजेंड ऑफ माइकल मिसरा में अरशद-बोमन.
3.इस फिल्म में अरशद के पात्र को अदिति के पात्र से प्यार हो जाता है और वो उसकी बनने को तभी तैयार है जब वो सुधर जाए. इसके लिए वो डाकू वाल्मीकि से संत वाल्मीकि बनना शुरू करता है. हालांकि वो पूरा सुधरता है इसमें भी लोचा है. मुन्नाभाईमें मुन्ना के माता-पिता गांव से आ रहे होते हैं तो वो सुधरता है और सुधरने का नाटक करता है.
फिल्म का एक दृश्य.
4. इस फिल्म में माइकल अदालत चला जाता है और अपने सारे अपराधों की सजा काटने को तैयार होता है हालांकि ये और है कि ये सजा पांच सौ साल की निकलती है. मुन्नाभाई सीरीजकी फिल्मों में भी मुन्ना और सर्किट गांधीगिरी से प्रभावित होकर जेल चले जाते हैं. हिंसा छोड़ देते हैं.
कायोजी और अरशद.
अभी इस तरह राजकुमार हीरानी के अंदाज वाली feel good फिल्में सुभाष कपूर बनाते हैं. जैसे उनकी जॉली एलएलबीथी. अब मनीष झा की ये फिल्म आ रही है. खास बात ये है कि इन तीनों ही निर्देशकों की फिल्मों में अरशद वारसी प्रमुख भूमिकाओं में लिए गए.
https://www.youtube.com/watch?v=d97t-BAQ24Q&feature=youtu.be