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7 साल के बच्चे को मां अस्पताल ले जा रही थी, दंगाईयों ने बंद एंबुलेंस में दोनों को जिंदा जला दिया

मणिपुर पुलिस साथ में थी, लेकिन कुछ ना कर पाई

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मणिपुर में एंबुलेंस में मां-बेटे समेत तीन लोगों को जिंदा जलाया (बाएं- ट्विटर-@TribalHerald, दाएं- सांकेतिक-AFP)

मणिपुर (Manipur) में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. एक एंबुलेंस (Ambulance) में तीन लोगों को जिंदा जला दिया गया (Three Burnt Alive). तीनों की मौत हो गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मरने वालों में एक सात साल का बच्चा, उसकी मां और उनका एक रिश्तेदार शामिल है. कहा जा रहा है कि मृतक महिला मैतेई थी और उसने कथित तौर पर एक कुकी शख्स से शादी की थी. खबर के सामने आने के बाद हर तरफ घटना की निंदा हो रही है.

इंडिया टुडे NE की रिपोर्ट के मुताबिक घटना लमसांग पुलिस स्टेशन में इरोइसेम्बा इलाके की है. 4 जून की शाम को करीब साढ़े छह बजे भीड़ ने एंबुलेंस को रोका और आग के हवाले कर दिया. 

मामले पर इंडियन एक्सप्रेस से जुड़ी सुकृता बरुआ ने भी रिपोर्ट तैयार की है. गांववालों और रिश्तेदारों ने बताया कि महिला ने कुकी समुदाय के शख्स से शादी की थी. जिस एंबुलेंस में आग लगाई गई वो बच्चे को अस्पताल ले जा रही थी. खबर है कि एंबुलेंस को पुलिस सुरक्षा भी दे रही थी.

लमसांग थाने के एक अधिकारी ने बताया कि घटना के बाद पुलिस ने एंबुलेंस के अंदर से कुछ हड्डियां बरामद की हैं. घटना वाली रात ही पुलिस ने हत्या से संबंधित धाराओं के तहत FIR दर्ज कर दी थी. कांगपोकपी जिले के कांगचुप चिंगखोक गांव के निवासियों के मुताबिक, तीनों मृतकों में मीना हैंगिंग, उनका सात का बेटा टॉमशिंग और मीना की रिश्तेदार लिडिया लौरेम्बम शामिल हैं.

घटना वाले दिन क्या-क्या हुआ? 

मृतकों के रिश्तेदार और गांव के निवासी जिन हैंगिंग ने अखबार को बताया कि 4 जून को इलाके में गोलीबारी हुई थी जिसमें टॉमशिंग सिर में गोली लगने से घायल हो गया था. उसे इंफाल वेस्ट के रिम्स अस्पताल ले जाया जा रहा था. 

स्क्रोल से जुड़े अरुनभ साइकिया की रिपोर्ट के मुताबिक, असम राइफल्स के अधिकारी ने बताया कि घायल बच्चे को ऑक्सीजन दी गई थी, लेकिन उसकी हालत गंभीर थी. नाम ना छापने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि उनके पास दो ऑप्शन थे. या तो बच्चे को कांगपोकपी जिले में लीमाखोंग के अस्पताल भेजें या 20 किमी से कम दूरी पर राजधानी इंफाल ले जाएं. लीमाखोंग एक कुकी क्षेत्र था, लेकिन इसके रास्ते पर कुछ मैतेई गांव भी थे. दूसरी ओर इंफाल एक मैतेई क्षेत्र था और पास भी था, इसलिए इंफाल जाने का फैसला लिया गया.

एक अन्य रिश्तेदार चंपी हैंगिंग ने बताया कि परिवार ने उन्हें जाने दिया क्योंकि मीना और लिडिया दोनों मैतेई थीं और उन्हें लगा कि कुछ नहीं होगा. चंपी हैंगिंग ने दावा किया कि उनके साथ दो गाड़ियों में मणिपुर पुलिस कर्मी भी रवाना हुए थे. असम राइफल्स के एक अधिकारी ने बताया कि किसी ने अफवाह फैलाई थी कि कुकी उग्रवादियों को इलाके से बाहर निकाला जा रहा है. रास्ते में ही भीड़ ने एंबुलेंस और पुलिस कर्मियों पर हमला कर दिया.

रिपोर्ट के मुताबिक, भीड़ ने आग लगाने से पहले एंबुलेंस के ड्राइवर और उसमें मौजूद नर्स को बाहर निकाल लिया था. 

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