तुर्किए में हुआ राष्ट्रपति चुनाव (Turkey President Elections) दूसरे राउंड में जाता हुए दिख रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तुर्किए के राष्ट्रपति तैय्यब अर्दोआन (Tayyip Erdogan) 49.38 फीसदी वोट के साथ सबसे आगे चल रहे हैं. वहीं उनके मुख्य प्रतिद्वंदी कमाल केरडोगलू को 44.90 फीसदी वोट मिले हैं. बीती 14 मई को हुए चुनाव में कोई भी उम्मीदवार पहले ही राउंड में जीत के लिए जरूरी 50 फीसदी वोट का आंकड़ा पाता नहीं दिख रहा है. ऐसे में अब दूसरे राउंड में विजेता का फैसला होगा. चुनाव से पहले अनुमान लगाए जा रहे थे कि आर्दोआन पहले ही राउंड में हार जाएंगे.
तुर्किए के चुनाव में पलट गया खेल, फिर भी जीतते-जीतते रह गए आर्दोआन, अब क्या होगा?
पहले कहा गया था कि आर्दोआन हार जाएंगे, लेकिन...
बता दें कि तुर्किए में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार को पहले राउंड 50 प्रतिशत से अधिक वोटों की दरकार होती है. अगर पहले राउंड में कोई भी उम्मीदवार इस सीमा को पार नहीं कर पाता है, तो दूसरे राउंड की वोटिंग कराई जाती है. इसे रन ऑफ राउंड कहा जाता है. इसमें पहले राउंड के शीर्ष के दो उम्मीदवारों के बीच टक्कर होती है. जैसा कि अभी अर्दोआन और केरडोगलू के बीच दिख रहा है. दूसरे राउंड की वोटिंग 28 मई को कराई जाएगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अर्दोआन को इंस्तांबुल में मामूली बढ़त मिली है. वहीं, केरडोगलू को उनके गृहनगर टुनसेली में सबसे ज्यादा वोट मिले हैं. अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, तुर्किए चुनाव बोर्ड के प्रमुख अहमत येनर ने बताया कि देश के भीतर 71.64 फीसदी और विदेश से 18.76 फीसदी वोट उनके सिस्टम में दर्ज किए गए हैं.
तुर्किए में इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में कुल चार उम्मीदवार हैं. पहले, मौजूदा राष्ट्रपति और आक पार्टी के नेता अर्दोआन. दूसरे, विपक्षी गठबंधन यानी टेबल ऑफ़ सिक्स के उम्मीदवार कमाल केरडोगलू. उनके गठबंधन में कुल 06 पार्टियां हैं. इसी वजह से इसे टेबल ऑफ़ सिक्स कहा जाता है. तीसरे हैं, मोहर्रम इन्स. उन्होंने 2018 में भी राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था. और चौथे हैं धुर-दक्षिणपंथी नेता सिनान ओगान.
तुर्किए में चुनाव अहम क्यों?तुर्किए में इस बार के चुनाव की काफी अहमियत बताई जा रही है. दरअसल, तुर्किए में 6 फरवरी को आए तेज भूकंप के झटकों के कारण 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद सरकार और राष्ट्रपति अर्दोआन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने लोगों के पास तेजी से मदद नहीं पहुंचाई. यही नहीं ऐसे भी आरोप लगे थे कि अर्दोआन सरकार सही तरीके से कंस्ट्रक्शन व्यवस्था लागू करने में भी असफल रही.
इस बार के चुनाव खास इसलिए भी हैं क्योंकि 20 बरसों में पहली बार अर्दोआन की कुर्सी पर खतरा नज़र आ रहा है. अभी तक उन्होंने साम दाम दंड भेद की नीति अपनाकर अपनी कुर्सी बचा रखी थी. लेकिन इस बार तुर्किए की जनता उनसे नाराज़ नज़र आ रही है. चुनाव से पहले आने वाले पोल्स में कहा गया था कि अर्दोआन अपना वोटर बेस खो रहे हैं. इसके चलते एक नए नेतृत्व की जगह खाली हो रही है. जिसको भर रहे हैं, टेबल ऑफ़ सिक्स के कमाल केरडोगलू.
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