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यूक्रेन ने रूस से वापस छीनी अपनी ज़मीन, पुतिन के वफ़ादार ने उठाए सवाल!

क्या पुतिन का सपना टूटने वाला है?

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ज़ेलेन्स्की ने दावा किया कि, उनकी सेना ने लगभग छह हज़ार वर्ग किलोमीटर के इलाके पर फिर से अधिकार जमा लिया है. (AP)

रूस-यूक्रेन युद्ध ने दोहरा शतक लगा दिया है. ये अब भी जारी है. शुरूआती लड़ाई में रूस जीतता हुआ नज़र आ रहा था, लेकिन अब कहानी कुछ बदलती दिख रही है. यूक्रेन ने दावा किया है कि उसने अपनी ज़मीन का बड़ा हिस्सा रूस से वापस छीन लिया है. 12 सितंबर को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की ने दावा किया कि, उनकी सेना ने लगभग छह हज़ार वर्ग किलोमीटर के इलाके पर फिर से अधिकार जमा लिया है. इन दावों की अभी पुष्टि नहीं हो सकी है. क्योंकि लड़ाई के मोर्चों तक पत्रकारों को जाने की अनुमति नहीं हैं. और. जब तक किसी स्वतंत्र सोर्स से इसकी पुष्टि ना हो, यकीन करना मुश्किल होता है. दरअसल, युद्ध के समय में एक देश, दूसरे देश का मनोबल कम करने के लिए ऐसा करता रहता है.

रूस-यूक्रेन युद्ध से और क्या अपडेट है?

- रूस ने यूक्रेन के इज़ियम और कूपियांस्क से पीछे हटने की पुष्टि खुद की है. कूपियांस्क रूस की सेना के अहम सप्लाई रूट पर पड़ता है. वहीं, इज़ियम पर क़ब्ज़े के लिए रूस ने महीनेभर तक लड़ाई की थी. इन दोनों जगहों से रूस का पीछे हटने को पुतिन की बड़ी नाकामी के तौर पर देखा जा रहा है.

- रूस का तर्क है कि वो अपने सैनिकों को जमा रहा है. उसका दावा है कि उसकी सेनाएं अब लुहान्स्क और दोनेश्क पर फ़ोकस करेंगी. इन दोनों इलाकों को फ़रवरी 2022 में पुतिन ने अलग से मान्यता दे दी थी. जिसके बाद उन्होंने अपनी सेना को स्पेशल मिलिटरी ऑपरेशन चलाने का आदेश दिया था.

- रूस के तकरीबन 20 प्रतिशत हिस्से पर अभी भी रूस का नियंत्रण है. लेकिन जिस रफ़्तार से यूक्रेनी सैनिक वापसी कर रहे हैं, ये स्थिति बहुत जल्द बदल सकती है.

यूक्रेन की बढ़त के बीच रूस का माहौल क्या है?

रूस की सरकारी मीडिया ने पहली बार स्वीकारा है कि रूसी सेना को पहली बार मुश्किल का सामना करना पड़ा है. आमतौर पर सरकारी मीडिया में राष्ट्रपति पुतिन और सेना का गुणगान होता रहा है. लेकिन 11 सितंबर को नज़ारा बदला हुआ था. इस प्रोग्राम में कहा गया कि ये यूक्रेन की लड़ाई का सबसे मुश्किल हफ़्ता रहा. इसके अलावा भी कई ब्लॉगर्स और मिलिटरी एनेलिस्ट ने सेना की आलोचना कर चुके हैं.

इससे पहले चेचेन रिपब्लिक के मुखिया और पुतिन के वफ़ादार रमज़ान कादिरोव ने भी रूसी सेना के ख़िलाफ़ बयान दिया था. टेलीग्राम पर भेजे एक मेसेज में कादिरोव ने कहा था कि बहुत कुछ प्लान के अनुसार नहीं हो रहा है.

कादिरोव ने ये भी कहा था,

‘अगर स्पेशल मिलिटरी ऑपरेशन में जल्दी कोई बदलाव नहीं किया गया, तो मुझे राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें सच बताना होगा. मैं कोई विशेषज्ञ नहीं हूं लेकिन ये साफ़ है कि ज़मीन पर कई ग़लतियां हुईं है.’

कादिरोव के बयान से साफ़ है कि रूस की लीडरशिप के सामने बड़ा संकट आ चुका है. उन्हें यूक्रेन के जवाबी हमले ने बदहवास कर दिया है. रूस में पुतिन को हमेशा एक विजेता के तौर पर देखा गया है. माना जाता है कि पुतिन के पास हर मुश्किल का इलाज है. लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद से ये छवि बदल गई है. पुतिन अपने कार्यकाल में संभवत: पहली बार दलदल में फंसते दिख रहे हैं. क्या वो उससे उबर पाएंगे, यही आने वाले समय में रूस और ख़ुद उनका भविष्य तय करेगा.

यूक्रेन के चैप्टर को यहीं पर विराम देते हैं.अब चलते हैं बड़ी ख़बर के आख़िरी हिस्से की तरफ़. 

एक दफ़ा महात्मा गांधी ने कहा था,

‘The moment the slave resolves that he will no longer be a slave. His fetters fall... freedom and slavery are mental states.’
जिस क्षण एक ग़ुलाम ये निश्चय कर लेता है कि वो अब ग़ुलाम नहीं रहेगा. उसकी बेड़ियां उसी वक्त गिर जाती हैं. आज़ादी और ग़ुलामी मानसिक अवस्थाएं हैं.

अगर गांधी आज जिंदा होते तो UN की नई रिपोर्ट देखकर और भी कुछ कहते.

क्या है इस रिपोर्ट में?

UN की नई रिपोर्ट कहती है दुनिया भर में 5 करोड़ से अधिक लोग ‘आधुनिक गुलामी’ के शिकार हैं. ये रिपोर्ट इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन , इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन और वॉक फ्री इन तीनों ने मिलकर तैयार की है. 

क्या कहती है रिपोर्ट?

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि पूरी दुनिया में लगभग पांच करोड़ लोग “आधुनिक गुलामी” के शिकंजे में फंसे हुए हैं. ये लोग या तो बंधुआ मजदूरी में धकेल दिए गए या उनकी जबरन शादी करवा दी गई. 

हर 4 लोगों में से एक बच्चा है. इसके अलावा, 54 प्रतिशत महिलाएं हैं. 2 करोड़ 70 लाख लोगों से जबरन मजदूरी करवाई जा रही है. जबकि, 2 करोड़ 20 लाख लोगों की जबरन शादी करवाई गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2021 के अंत तक बंधुआ मजदूरों की संख्या 2 करोड़ 80 लाख थी. जो पिछले सालों में बहुत बढ़ी है. लोगों से जबरन मजदूरी के अधिकांश मामले प्राइवेट सेक्टर से हैं, इसमें कृषि, निर्माण और कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में काम करने वाले लोग शामिल हैं. ऐसी मजदूरी में फंसे लोगों की संख्या 86 प्रतिशत है. बाकी बचे 14 प्रतिशत मामले ऐसे हैं, जिनमें सरकार की मिलीभगत है. इसके अलावा, 60 लाख से अधिक महिलाओं और लड़कियों को शादी के लिए मजबूर किया गया है, जबरन शादी के 85 प्रतिशत से अधिक मामलों में परिवार का दबाव था. अधिकांश मामले एशिया और अरब देशों से सामने आए हैं.

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