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यूक्रेन के डैम में ब्लास्ट, कई गांव डूबने का खतरा, जेलेंस्की ने रूस का नाम लेकर क्या कहा?

काखोवका डैम को सोवियत संघ के दौर में बनाया गया था. यहां से क्रीमिया और जापरोजिया न्यूक्लियर प्लांट में पानी की आपूर्ति की जाती है.

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बांध में ब्लास्ट हादसा या हमला? (तस्वीरें- रॉयटर्स और इंडिया टुडे)

उत्तरी यूक्रेन में एक बांध के तबाह होने की रिपोर्ट्स हैं. बांध की एक दीवार में बड़ा धमाका होने की जानकारी दी गई है. ये धमाका कैसे हुआ या किसने किया, फिलहाल कुछ नहीं पता. रूस और यूक्रेन दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. काखोवका नाम के इस बांध के तबाह होने की काफी चर्चा है. वजह है इस इलाके में इसके पानी की अहमियत.

काखोवका डैम की चर्चा क्यों?

उत्तरी यूक्रेन में एक नदी है. नाम है नाइपर. इसी नदी पर बना है काखोवका डैम. सोवियत संघ के दौर में 1956 में ये बांध बनाया गया था. लंबाई है 30 मीटर. करीब 3.2 किलोमीटर के इलाके में फैला हुआ है. ये बांध उत्तरी यूक्रेन के एक बड़े इलाके में पानी की आपूर्ति के लिहाज से बेहद अहम बताया जाता है. और ना सिर्फ यूक्रेन, रूस भी इस डैम के पानी का फायदा लेता रहा है. इसका पानी क्रीमिया तक जाता है. यूक्रेन इसे अपना इलाका बताता है, लेकिन उस पर कब्जा रूस का है. यूक्रेन के जापरोजिया में बने न्यूक्लियर प्लांट में भी इस डैम का पानी पहुंचता है. जाहिर है डैम के तबाह होने से दोनों देशों को नुकसान हुआ है.

एक-दूसरे पर आरोप

पिछले साल अक्टूबर महीने में राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने आशंका जताई थी कि रूस इस बांध को नष्ट कर देगा, जिससे बाढ़ आ सकती है. अब यूक्रेन के साउथ मिलिट्री कमांड ने अपने ऑफिशियल फ़ेसबुक पेज पर बांध को हुए नुकसान की जानकारी दी है. खेरसोन रीजनल मिलिट्री एडमिनिस्ट्रेशन के एलेक्ज़ेंडर प्रोकुडिन ने इस कथित हमले के लिए रूस को ज़िम्मेदार बताया है. उनकी तरफ से बताया गया है कि डैम को हुए नुकसान और उसके चलते बाढ़ के खतरे का आंकलन किया जा रहा है.

घटनाक्रम पर यूक्रेन के राष्ट्रपति की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. एक ट्वीट में उन्होंने लिखा,

‘रूसी आतंकवादी. कखोवका डैम का विनाश पुष्टि करता है कि उन्हें (रूस) यूक्रेन की जमीन के हर कोने से बाहर निकाल दिया जाना चाहिए. वे एक-एक मीटर (की जमीन) को आतंक के लिए इस्तेमाल करते हैं.’

जेलेंस्की ने कहा कि इस डैम की मदद से ही कखोवका हाइड्रो पावर प्‍लांट में बिजली पहुंचती है. इसके तबाह होने से यूक्रेन में चल रही ऊर्जा समस्याओं में इजाफा होगा. साथ ही यह नहर के सिस्‍टम को भी खत्‍म कर सकता है जिनसे क्रीमिया सहित दक्षिणी यूक्रेन के अधिकांश हिस्से तक पानी पहुंचता है.

यूक्रेनी राष्ट्रपति  वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की. Photo- Twitter 
रूस ने आरोपों को ‘बकवास’ बताया 

उधर, रूस ने यूक्रेन के सभी आरोपों को झूठा करार दिया है. उसकी तरफ से नियुक्त काखोवका के गवर्नर व्लादिमीर लियोंतिएव ने पहले डैम के तबाह होने की खबर को बकवास बताया. फिर बांध की तस्वीरें सामने आने के बाद इसे एक 'गंभीर आतंकी हमला' बताया. हालांकि ये भी कहा कि अभी स्थिति इतनी गंभीर नहीं है कि लोगों को एरिया से बाहर निकालना पड़े.

वहीं समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक बांध को हुए नुकसान के चलते आसपास के गांवों को खाली कराया जा रहा है. खेरसोन को खास तौर पर अलर्ट पर रखा गया है. रूसी न्यूज एजेंसी RIA Novosto के मुताबिक करीब 80 गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.

परमाणु केंद्र पर खतरा?

उधर संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक संस्था इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने अपने बयान में कहा है कि उसके एक्सपर्ट जापरोजिया न्यूक्लियर प्लांट पर नजर बनाए हुए हैं. IAEA दुनियाभर के न्यूक्लियर प्लांट्स पर नज़र रखने का काम करती है. इसने ट्वीट कर कहा है कि फिलहाल प्लांट को खतरा नहीं है.

(इस खबर को हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे मानस राज ने लिखा है.)

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