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CM योगी को अंधेरे में करनी पड़ी पूजा, 3000 कर्मचारी सस्पेंड, UP बिजली संकट की पूरी कहानी

बर्खास्त करने के साथ ही दर्जनों FIR दर्ज की जा चुकी हैं.

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सांकेतिक तस्वीर.

उत्तर प्रदेश में करीब 1 लाख बिजली कर्मचारियों की हड़ताल आखिरकार 65 घंटे बाद खत्म हो गई. हड़ताल की वजह से राज्य के कई शहरों और गांवों में घंटों बिजली नहीं आ रही थी. बिजली नहीं आने से पानी की सप्लाई में भी दिक्कत होने लगी थी. 18 मार्च की रात ऊर्जा मंत्री एके शर्मा और बिजली कर्मचारी यूनियन के नेताओं के बीच तीसरे दौर की बातचीत के बाद हड़ताल खत्म हुई.

16 मार्च की रात 10 बजे से ही कर्मचारी 72 घंटे की हड़ताल पर थे. हड़ताल की वजह से तीन हजार से ज़्यादा संविदाकर्मियों को बर्खास्त करने के साथ ही दर्जनों FIR दर्ज की गई. आजतक की खबर के मुताबिक 22 बिजली कर्मियों पर आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (ESMA) के तहत केस दर्ज हुआ. हालांकि इन कार्रवाइयों के बावजूद कर्मचारी हड़ताल ख़त्म करने को तैयार थे.

इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हड़ताल कर रहे संगठनों के नेताओं के खिलाफ वारंट जारी किया. उनसे सोमवार को कोर्ट में पेश होने को कहा गया है. बिजली विभाग ने भी हड़ताल करने वाले कर्मचारियों को नोटिस जारी किया.

इधर हड़ताल में रेगुलर बिजली कर्मियों के साथ, संविदाकर्मी और आउटसोर्सिंग पर रखे गए कर्मचारी भी शामिल रहे. इससे कई जिलों में हालात खराब हो रहे हैं. पहले कुछ जिलों के स्थिति जान लेते हैं.

लखनऊ

राजधानी लखनऊ में कुछ इलाकों में बिजली कटौती की समस्या रही. फैज़ुल्ला गंज क्षेत्र में बिजली ना आने से लोग परेशान थे. इसकी शिकायत डीएम सूर्यपाल गंगवार को मिली, तो डीएम ने ख़ुद सब स्टेशन पर जाकर बिजली संचालन शुरू करवाया. राजधानी में तो बिजली सप्लाई जारी है, लेकिन पुराने लखनऊ समेत बाहरी इलाकों में कटौती चल रही है.

फर्रुखाबाद

हड़ताल के चलते फर्रुखाबाद में प्रशासन ने 13 संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दीं. यहां शहरी इलाकों में बिजली सप्लाई सही से चल रही है, लेकिन करीब 100 गांवों की बिजली सप्लाई ठप है.

वाराणसी

वाराणसी के ज्यादातर हिस्से में बिजली गुल है. पानी संकट भी गहरा गया है. शहरी इलाकों से लेकर गांवों तक भी हालत खराब है. गांवों में नलकूप बंद पड़े हैं और फसलों की सिंचाई तक नहीं हो पा रही है. यहां तक कि वाराणसी में बिजली संकट की हालत ये है कि सीएम योगी जब 18 मार्च को जिले के दौरे पर आए तो काल भैरव मंदिर पहुंचे थे. उन्हें अंधेरे में ही दर्शन पूजा करनी पड़ी.

रायबरेली

रायबरेली के तीन हजार गांवों में से करीब एक हजार गांव ऐसे हैं, जहां पर बिजली गुल है. शहरी क्षेत्र के करीब 70 मोहल्लों में बिजली का संकट बना हुआ है. लोगों को पीने के पानी तक के लिए दिक्कत हो रही है.

इसके साथ ही मुजफ्फरनगर, प्रयागराज, हरदोई, फ़िरोज़ाबाद, मुरादाबाद, एटा, देवरिया, गोरखपुर और चंदौली के साथ कई और भी जिलों में कुछ ऐसे ही हालात हैं.

कर्मचारियों की क्या मांग?

-बिजली कर्मचारियों को कई सालों का बकाया बोनस दिया जाए

-कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जाएं

-25 हजार करोड़ रुपये के मीटर खरीद आदेश को रद्द किया जाए

-पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए

-बिजली निगमों के अस्थाई कर्मियों को नियमित किया जाए

-मौजूदा चेयरमैन को हटाकर निर्धारित चयन प्रक्रिया के तहत बड़े पदों पर नियुक्ति हो

-बिजली उपकेंद्रों को आउटसोर्सिंग से चलाने के निर्णय को रद्द किया जाए

-निजीकरण की प्रक्रिया को रद्द किया जाए

-विद्युत उत्पादन निगम को ओबरा और अनपरा में 800-800 मेगा वॉट की 2-2 यूनिट दी जाए.

सरकार का क्या रूख? 

लल्लनटॉप से जुड़े रणवीर के मुताबिक, राज्य के उर्जा मंत्री एके शर्मा ने कर्मचारियों की मांग पर कहा

"दिसंबर 2022 में कर्मचारी संगठनों के साथ हुए समझौते के कुछ प्रस्तावों पर काम किया गया है. कुछ और बातों पर विचार किया जाएगा. बिजली विभाग एक लाख करोड़ रूपये के घाटे में चल रहा है. विभाग को महीने का 1500 करोड़ रूपये और हर दिन लगभग 8 से 10 करोड़ रूपये का घाटा हो रहा है. इसके बावजूद इस साल का बोनस दिया गया. कर्मचारियों के कैशलेस इलाज की व्यवस्था भी की गई."

हड़ताल को लेकर सीएम योगी ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के साथ बैठक बुलाई है. इसमें कई अधिकारी शामिल हो सकते हैं. 
 

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