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UP: पांचवी की किताब में राष्ट्रगान से 'उत्कल बंग' गायब, अधिकारी बोले- प्रिंटिंग मिस्टेक हो गई

शिक्षा अधिकारी ने कहा कि जानबूझकर किसी ने गलती नहीं की है.

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पांचवी क्लास की किताब 'वाटिका' में गड़बड़ी (फोटो- आजतक)

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के एक स्कूल में छात्र राष्ट्रगान गा रहे हैं. "जन-गण-मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता! पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा-द्राविड़ विंध्य-हिमाचल-यमुना-गंगा उच्छल-जलधि तरंग.....". राष्ट्रगान की शुरुआत में द्राविड़ के बाद बच्चे "उत्कल-बंग" शब्द नहीं बोलते हैं. क्योंकि बच्चे राष्ट्रगान किताब से देखकर गा रहे हैं, जो उन्हें सरकार की तरफ से दिया गया है. किताब के बैक कवर पर राष्ट्रगान लिखा हुआ है जिसमें "उत्कल बंग" शब्द गायब हैं. मामले ने तूल पकड़ा तो अधिकारियों ने सफाई दी कि किताब की प्रिंटिंग में गड़बड़ हो गई.

5 महीने लेट से भी बांटी गई किताबें

आजतक से जुड़े अखिलेश कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक, ये गड़बड़ी क्लास 5 के हिंदी की किताबों में हुई है. पांचवीं के छात्रों के लिए हिंदी में 'वाटिका' नाम की एक किताब पढ़ाई जाती है. किताब के बैक कवर पर राष्ट्रगान लिखा हुआ है. यह गलती एक या दो किताब में नहीं, बल्कि पांचवीं की सभी किताबों में है. करीब ढाई लाख किताबों में ये गड़बड़ी हुई है. कौशांबी के सरकारी स्कूलों में हाल में ये किताबें बांटी गई हैं. जबकि स्कूल का सेशन अप्रैल में ही शुरू हो गया था.

जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रकाश सिंह ने बताया कि किताब के प्रकाशन के दौरान गड़बड़ी हुई है. इसे तुरंत ठीक करवाया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह मानवीय भूल के कारण हुआ है. जानबूझकर किसी ने गलती नहीं की है.

प्रिंटिंग प्रेस में हुई गलती!

किताब के बैक कवर से पता चलता है कि ये किताबें मथुरा के प्रमोद प्रिंटर ने छापी थी. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रिंटिंग प्रेस के मालिक प्रमोद गुप्ता ने बताया कि उनके यहां सिर्फ किताब का कवर छपा था. उन्होंने कहा कि कवर छापने का ऑर्डर बेसिक शिक्षा विभाग ने नहीं दिया था, बल्कि मथुरा के ही हाई टेक प्रिंटर ने दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक गलती को हटाने के लिए "उत्कल-बंग" लिखे शब्द के स्टीकर छापे जा रहे हैं. इन्हें ही मिसप्रिंट वाली जगह पर चिपकाया जाएगा.

प्रमोद गुप्ता ने भी कहा कि हो सकता है कि हाई टेक प्रिंटर के यहां छपाई में कोई गलती हुई हो, इस शब्द को छापने का उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था. रिपोर्ट के मुताबिक मथुरा में विभाग ने 15 लाख किताबों को छापने का ऑर्डर दिया था. इनमें से ढाई लाख किताब में मिस प्रिंटिंग हुई.

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