1. 'स्टैचू.. हिलना मत, वरना सीएम हार जाएंगे' लखनऊ में रविवार को मैच हुआ टी-20. दो टीमें थीं. सीएम-11 और IAS-11. पहले बैटिंग करते हुए अखिलेश यादव की सीएम-11 ने 127 रन बनाए. यानी IAS-11 को बनाने थे 128. सारे अधिकारी जुट गए. फिर न जाने क्या हुआ. IAS-11 की टीम 126 पर जाकर टिक गई. आगे एक भी रन ही न बनाया. बस फिर क्या. अखिलेश यादव की टीम 1 रन से जीत गई. इसे कहते हैं मुख्यमंत्री का रौला. अरे कौन था रे, जो ब्यूरोक्रेसी की फ्रीडम की बात कर रिया था?
2. पूर्णिमा से तीन दिन पहले लखनऊ में पूनम अब गली का बालक तो खेल नहीं रहा था. सूबे का मुख्यमंत्री खेल रहा था. चीफ गेस्ट भी जाबड़ होने चाहिए थे. हां तो थे न. एक्सट्रा इनिंग्स वाली मंदिरा बेदी लखनऊ के ला-मार्टीनियर मैदान में पहुंची. लेकिन सस्पेंस यहीं नहीं खत्म हुआ. जी हां, देवियों और सज्जनों. मैच की एक चीफ गेस्ट सुश्री पूनम पांडे जी भी थीं. हालांकि ट्विटर पर मोहतरमा ने कोई फोटू नहीं डाली. पर लखनऊ से जुड़े कई ट्वीट किए. जिनको यहां चेपने का कोई लॉजिक नहीं है. क्योंकि उन ट्वीट्स का भी कोई लॉजिक नहीं है.
3. बाउंड्री के बाहर बाउंड्री... बल्लेबाज अखिलेश यादव पिच पर थे. बैटिंग कर रहे थे. तभी एक औरत गोद में बच्चा लिए पिच की तरफ दौड़ी. और अखिलेश यादव के पैरों में गिरकर अपनी कोई प्रॉब्लम बताई. अखिलेश के सिक्योरिटी गार्ड पहुंचे, तब तक अखिलेश ने कागज लेकर कहा, 'आप अपनी परेशानी बताने घर आइएगा. लेट मी कॉन्सन्ट्रेट ऑन क्रिकेट.' औरत को मैदान से बाहर कर दिया गया. फिर फैसला हुआ कि भैया सीएम साहेब बैटिंग कर रहे हैं. लिहाजा चौके छक्के वाली बाउंड्री के बाहर एक और बाउंड्री बनाई गई. सुरक्षाकर्मी बाउंड्री के बाहर बाउंड्री बनाकर खड़े हो गए. शुक्र ये रहा कि औरत के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.
धन्यवाद. यहां वंशवाद की खबर समाप्त होती है. :p