The Lallantop
Logo
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

दी लल्लनटॉप शो : US Senate ने भारत के लिए जो काम किया है, उससे चीन को बहुत मिर्ची लगेगी!

भारत-चीन सीमा विवाद में समाधान की कोई राह खुलती है?

अप्रैल 1960 में चीन के प्रधानमंत्री ज़ोऊ एनलाई भारत यात्रा पर आए थे, तो यही ऑफर लाए थे. एक मत है कि अगर नेहरू इस ऑफर को मान लेते, तो भारत-चीन युद्ध नहीं होता. 
लेकिन नेहरू ने एनलाई का ऑफर स्वीकार नहीं किया. इसके बाद भारत और चीन के बीच संबंध खराब ही हुए. ढाई साल बाद चीन ने भारत पर दो तरफ से आक्रमण किया. पूर्व में NEFA पर हमला हुआ. पश्चिम में लद्दाख पर. नवंबर 1962 में चीन ने एकतरफा सीज़फायर का ऐलान किया, और लौट गया. लेकिन विवाद अब तक जारी है. अब इस खेल में एक और खिलाड़ी ने दिलचस्पी दिखाई है - अमेरिका. वहां की संसद ने एक संकल्प पारित कर कहा है कि अरुणाचल प्रदेश और चीन के बीच मैक महौन लाइन ही अंतर्राष्ट्रीय सीमा है. 
एक ऐसा विषय, जिसे भारत अपना आंतरिक मामला बताता है, उसमें किसी विदेशी संसद से पारित संकल्प का क्या महत्व है. और इससे भारत-चीन सीमा विवाद में समाधान की कोई राह खुलती है? इन्हीं सवालों के जवाब खोजेंगे दी लल्लनटॉप शो में.